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VIDEO : परिवार से बिछड़ गई थी बेटी, मिली तो पापा के गले लग कर खूब रोईं कोमल - kishanganj news

नयी तकनीकी से लोगों का जीवन आज काफी आसान हो गया है. घंटों का काम महज चुटकी बजाते ही पूरा हो जा रहा है. इसी तकनीकी का कमाल एक बार फिर देखने को मिला जब छह महीने बाद एक मूक-बधिर बालिका का उसके परिवार से मिलन हुआ. पढ़ें यह खबर.

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Published : Sep 19, 2021, 8:01 AM IST

Updated : Sep 20, 2021, 9:25 PM IST

किशनगंज: बिहार के किशनगंज (Kishanganj) बालिका गृह की एक बच्ची आधार कार्ड (Aadhar card) की सहायता से अपने बिछड़े पिता से मिली. मिलते ही पिता-पुत्री भावुक हो गए. दोनों की आखों से खुशी के आंसू बहने लगे. यह नजारा देखकर बालिकागृह का माहौल भावुक हो गया. सभी खुश भी थे क्योंकि बिछड़ी बेटी अपने पिता से मिल रही थी.

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बताते चलें कोमल बोल नहीं सकती है. करीब छह महीने पहले वह अररिया बस स्टैंड में अपने परिवार से बिछुड़ गई थी. सीडब्ल्यूसी (CWC) अररिया द्वारा बच्ची को अररिया बस स्टैंड से बरामद कर 7 मार्च 2021 किशनगंज बालिका गृह को सौपा था. ये बच्ची मिसिंग कैटेगरी की थी जो अररिया बस स्टैंड के पास अकेली पाई गई थी.

देखें वीडियो

जब बच्ची से उसके मात-पिता व घर का पता पूछा गया तो पता चला वह विशेष बालिका है. वह बोल नहीं सकती हैं. इसके चलते उसके परिवार का पता लगा पाना संभव नहीं हो पा रहा था. बालिका की विवरणी ट्रैक द चाइल्ड (Track the Child) पोर्टल पर सीडब्ल्यूसी, अररिया एवं बालिका गृह, किशनगंज के द्वारा अपलोड किया गया. साथ ही अखबार एवं पोस्टर के विज्ञापन के माध्यम से भी बालिका के परिवार का पता लगाने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली.

ये भी पढ़ें: 72 घंटे के अंदर लूट की वारदात को अंजाम देने वाले 3 अपराधी गिरफ्तार, गहने बरामद

इसके बाद बालिका के परिवार का पता लगाने का एक और तरीका अपनाया गया जो बायोमेट्रिक (Biometric) आधारित था. इसमें बालिका को आधार कार्ड सेंटर (Aadhar Card Center) पर आधार डिटेक्शन (Aadhar Detection) के लिए बालिका गृह के द्वारा ले जाया गया. यह तरीका कामयाब रहा. इस बार कोमल (काल्पनिक) के परिवार के बारे में जानकारी मिल गयी. इसमें बालिका का नाम- दिलखुश, पिता- एखलाक, माता-अस्मिरा खातून जन्म तिथि- 01.01.2003 ग्राम- मदार गंज, सिमराहा, जिला अररिया बताया गया.

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बालिका के बारे पता चलते ही उसे उसके परिवार से मिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई. दूरभाष एवं पत्र के माध्यम से सीडब्ल्यूसी अररिया को सूचित किया गया. जिसके उपरांत बालिका का सामाजिक प्रतिवेदन (SIR) सीडब्ल्यूसी, अररिया को प्राप्त होते ही उसके माता-पिता से संपर्क कर कोमल/दिलखुश को 16 सितबंर को सौंप दिया गया. जिस तरह से दिलखुश अपने पिता को देखकर उनसे लिपट गई और उसके पिता रोने लगे, बालिका गृह में यह एक भावुक कर देने वाला पल था.

नई तकनीक व आधार कार्ड के कारण एक बालिका अपने परिवार से दोबारा मिल पायी. इसमें बालिका गृह, किशनगंज, सीडब्ल्यूसी, अररिया, जिला बाल संरक्षण इकाई, किशनगंज एवं अररिया, जन प्रतिनिधियों एवं आधार कार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

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किशनगंज: बिहार के किशनगंज (Kishanganj) बालिका गृह की एक बच्ची आधार कार्ड (Aadhar card) की सहायता से अपने बिछड़े पिता से मिली. मिलते ही पिता-पुत्री भावुक हो गए. दोनों की आखों से खुशी के आंसू बहने लगे. यह नजारा देखकर बालिकागृह का माहौल भावुक हो गया. सभी खुश भी थे क्योंकि बिछड़ी बेटी अपने पिता से मिल रही थी.

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बताते चलें कोमल बोल नहीं सकती है. करीब छह महीने पहले वह अररिया बस स्टैंड में अपने परिवार से बिछुड़ गई थी. सीडब्ल्यूसी (CWC) अररिया द्वारा बच्ची को अररिया बस स्टैंड से बरामद कर 7 मार्च 2021 किशनगंज बालिका गृह को सौपा था. ये बच्ची मिसिंग कैटेगरी की थी जो अररिया बस स्टैंड के पास अकेली पाई गई थी.

देखें वीडियो

जब बच्ची से उसके मात-पिता व घर का पता पूछा गया तो पता चला वह विशेष बालिका है. वह बोल नहीं सकती हैं. इसके चलते उसके परिवार का पता लगा पाना संभव नहीं हो पा रहा था. बालिका की विवरणी ट्रैक द चाइल्ड (Track the Child) पोर्टल पर सीडब्ल्यूसी, अररिया एवं बालिका गृह, किशनगंज के द्वारा अपलोड किया गया. साथ ही अखबार एवं पोस्टर के विज्ञापन के माध्यम से भी बालिका के परिवार का पता लगाने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली.

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इसके बाद बालिका के परिवार का पता लगाने का एक और तरीका अपनाया गया जो बायोमेट्रिक (Biometric) आधारित था. इसमें बालिका को आधार कार्ड सेंटर (Aadhar Card Center) पर आधार डिटेक्शन (Aadhar Detection) के लिए बालिका गृह के द्वारा ले जाया गया. यह तरीका कामयाब रहा. इस बार कोमल (काल्पनिक) के परिवार के बारे में जानकारी मिल गयी. इसमें बालिका का नाम- दिलखुश, पिता- एखलाक, माता-अस्मिरा खातून जन्म तिथि- 01.01.2003 ग्राम- मदार गंज, सिमराहा, जिला अररिया बताया गया.

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बालिका के बारे पता चलते ही उसे उसके परिवार से मिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई. दूरभाष एवं पत्र के माध्यम से सीडब्ल्यूसी अररिया को सूचित किया गया. जिसके उपरांत बालिका का सामाजिक प्रतिवेदन (SIR) सीडब्ल्यूसी, अररिया को प्राप्त होते ही उसके माता-पिता से संपर्क कर कोमल/दिलखुश को 16 सितबंर को सौंप दिया गया. जिस तरह से दिलखुश अपने पिता को देखकर उनसे लिपट गई और उसके पिता रोने लगे, बालिका गृह में यह एक भावुक कर देने वाला पल था.

नई तकनीक व आधार कार्ड के कारण एक बालिका अपने परिवार से दोबारा मिल पायी. इसमें बालिका गृह, किशनगंज, सीडब्ल्यूसी, अररिया, जिला बाल संरक्षण इकाई, किशनगंज एवं अररिया, जन प्रतिनिधियों एवं आधार कार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

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Last Updated : Sep 20, 2021, 9:25 PM IST
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