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सावधान! डुप्लिकेट एंड्रॉइड एप्लिकेशन से हो रही साबर ठगी.. भूलकर भी लिंक पर न करें क्लिक

बिहार में साइबर फ्रॉड की घटनाएं लगातार बढ़ रही है. सबसे खास बात है कि साइबर क्रिमिनल फ्रॉड करने के लिए आयकर सहित अन्य एजेंसियों का डुप्लिकेट एंड्रॉइड एप्लिकेशन का सहारा ले रहे हैं. 2019 की तुलना में 2021 में साइबर फ्रॉड में बढ़ोतरी जारी है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Oct 8, 2021, 5:54 PM IST

Cyber Crime
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पटना: बिहार सहित पूरे देश में साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud In Bihar) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. साइबर अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए लगातार नये तरीके अपना रहे हैं. किशनगंज पुलिस की ओर से साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए जिले में जागरुकता फैलायी जा रही है.

इन्हें भी पढ़ें- पटना में फिर एक्विट हुए ATM क्लोन करने वाले जालसाज, निकाल लिए 50 हजार

किशनगंज एसपी कुमार आशीष ने बताया कि साइबर अपराधी नकली मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं. भारत सरकार के आयकर विभाग के मूल सरकारी एंड्रॉइड एप्लिकेशन का डुप्लिकेट बना रहे हैं. इस फ्रॉड में एसएमएस टेक्स्ट फिशिंग हमले का उपयोग करके मैलवेयर भेजा जाता है.

anti cyber fraud tips
anti cyber fraud tips 2

नकली मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करने वाले फिशिंग लिंक साइबर-अपराध में हमलों का एक सामान्य रूप है, जो उपयोगकर्ताओं को विशेष रूप से दुर्भावनापूर्ण लिंक या URL पर क्लिक करके एक विशिष्ट कार्रवाई करने के लिए धोखा देने के लिए डिजाइन किया गया है.

इन्हें भी पढ़ें- सावधान! बैंकों की कमी का फायदा उठाकर आपकी गाढ़ी कमाई में सेंध लगा रहे हैं साइबर अपराधी

एसपी ने आगे बताया कि इस तरीके में साइबर अपराधी नागरिकों को ठगने के लिए एसएमएस के जरिए फिशिंग कैंपेन का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि वे अपने आईटी रिटर्न को आसानी से फाइल करने के लिए मैलवेयर से भरे नकली 'आईमोबाइल ऐप' को डाउनलोड कर सकें. चूंकि ये मोबाइल एप्लिकेशन दुर्भावनापूर्ण है, इसलिए एक बार इंस्टॉल हो जाने के बाद, यह डिवाइस में संग्रहीत संपर्क, ई-मेल पते, एसएमएस आदि जैसी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंचने की अनुमति मांगता है.

अनुमति के साथ ही, यह मोबाइल की संवेदनशील व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी को चुराने में सक्षम है. इस डेटा का उपयोग साइबर अपराधी पहचान की चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए कर सकते हैं.

एसपी ने लोगों को सलाह दिया कि इस तरह के साइबर फ्रॉड से बचने के लिए असत्यापित (verified) स्रोत से या किसी भी तृतीय-पक्ष मोबाइल से एप्लिकेशन को डाउनलोड करने से बचें. संदिग्ध URL पर क्लिक न करें. कोई भी जानकारी सबमिट करने से पहले URL पर पूरा ध्यान दें.

अज्ञात एप्लिकेशन से अवांछित डाउनलोड को ब्लॉक करने के लिए एंटी-वायरस समाधान स्थापित करें. ऐसी किसी भी घटना की रिपोर्ट cybercrime.gov.in पोर्टल पर करें और सुरक्षा युक्तियों के बारे में अधिक जानने के लिए ट्विटर पर @CyberDost को फॉलो करें.

क्या है मैलवेयर?

मैलीशियस सॉफ्टवेयर को ही मैलवेयर कहते हैं. मैलवेयर ऐसा सॉफ़्टवेयर होता है जिसे खास तौर पर किसी कंप्यूटर या उसमें इंस्टॉल किए गए दूसरे सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया जाता है. मैलवेयर संवेदनशील जानकारी (क्रेडिट कार्ड के नंबर या पासवर्ड) चुरा सकता है या वह उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना उसके ईमेल खाते से जाली ईमेल भेज सकता है.

नोट: ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा साइबर फ्रॉड की वेबसाइट :https//cybercrime.gov.in पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

पटना: बिहार सहित पूरे देश में साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud In Bihar) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. साइबर अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए लगातार नये तरीके अपना रहे हैं. किशनगंज पुलिस की ओर से साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए जिले में जागरुकता फैलायी जा रही है.

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किशनगंज एसपी कुमार आशीष ने बताया कि साइबर अपराधी नकली मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं. भारत सरकार के आयकर विभाग के मूल सरकारी एंड्रॉइड एप्लिकेशन का डुप्लिकेट बना रहे हैं. इस फ्रॉड में एसएमएस टेक्स्ट फिशिंग हमले का उपयोग करके मैलवेयर भेजा जाता है.

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नकली मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करने वाले फिशिंग लिंक साइबर-अपराध में हमलों का एक सामान्य रूप है, जो उपयोगकर्ताओं को विशेष रूप से दुर्भावनापूर्ण लिंक या URL पर क्लिक करके एक विशिष्ट कार्रवाई करने के लिए धोखा देने के लिए डिजाइन किया गया है.

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एसपी ने आगे बताया कि इस तरीके में साइबर अपराधी नागरिकों को ठगने के लिए एसएमएस के जरिए फिशिंग कैंपेन का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि वे अपने आईटी रिटर्न को आसानी से फाइल करने के लिए मैलवेयर से भरे नकली 'आईमोबाइल ऐप' को डाउनलोड कर सकें. चूंकि ये मोबाइल एप्लिकेशन दुर्भावनापूर्ण है, इसलिए एक बार इंस्टॉल हो जाने के बाद, यह डिवाइस में संग्रहीत संपर्क, ई-मेल पते, एसएमएस आदि जैसी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंचने की अनुमति मांगता है.

अनुमति के साथ ही, यह मोबाइल की संवेदनशील व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी को चुराने में सक्षम है. इस डेटा का उपयोग साइबर अपराधी पहचान की चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए कर सकते हैं.

एसपी ने लोगों को सलाह दिया कि इस तरह के साइबर फ्रॉड से बचने के लिए असत्यापित (verified) स्रोत से या किसी भी तृतीय-पक्ष मोबाइल से एप्लिकेशन को डाउनलोड करने से बचें. संदिग्ध URL पर क्लिक न करें. कोई भी जानकारी सबमिट करने से पहले URL पर पूरा ध्यान दें.

अज्ञात एप्लिकेशन से अवांछित डाउनलोड को ब्लॉक करने के लिए एंटी-वायरस समाधान स्थापित करें. ऐसी किसी भी घटना की रिपोर्ट cybercrime.gov.in पोर्टल पर करें और सुरक्षा युक्तियों के बारे में अधिक जानने के लिए ट्विटर पर @CyberDost को फॉलो करें.

क्या है मैलवेयर?

मैलीशियस सॉफ्टवेयर को ही मैलवेयर कहते हैं. मैलवेयर ऐसा सॉफ़्टवेयर होता है जिसे खास तौर पर किसी कंप्यूटर या उसमें इंस्टॉल किए गए दूसरे सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया जाता है. मैलवेयर संवेदनशील जानकारी (क्रेडिट कार्ड के नंबर या पासवर्ड) चुरा सकता है या वह उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना उसके ईमेल खाते से जाली ईमेल भेज सकता है.

नोट: ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा साइबर फ्रॉड की वेबसाइट :https//cybercrime.gov.in पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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