खगड़ियाः कोई भी गांव, जिला या राज्य अपनी भौगोलिक संरचना, इतिहास या विकास की वजह से पहचाना जाता है. लेकिन खगड़िया की 2 पंचायतों की स्थिति ही अजीब है. यहां के लोगों को सड़क देखना नसीब ही नहीं हुआ. इन दोनों पंचायतों की आबादी लगभग 35 से 40 हजार की है, ये दोनों पंचायतें विकास नहीं होने की वजह से दियारा क्षेत्र के नाम से जानी जाती हैं. क्योंकि इस इलाके में न ही एक अच्छा विद्यालय है, न अस्पताल और न ही कोई अन्य सुविधा. इस पंचायत के लोग घोड़े की सवारी करते हैं.
20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में होती है तय
खगड़िया की 2 पंचायतें दक्षिणी रहीमपुर और पश्चिमी रहीमपुर मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो शहर से 20 मिनट का रास्ता है. लेकिन सड़क न होने की वजह से 20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में तब्दील हो जाती है. ये क्षेत्र अपराधियों के छिपने के साथ अवैध धंधे लिए भी मशहूर है. क्योंकि सड़क नहीं होने की वजह से पुलिस जा नहीं पाती और इस क्षेत्र में एक भी थाना नहीं है. अपराधी आराम से किसी सगे सम्बन्धी के यहां अपराध करने के बाद डेरा डाल लेते हैं जब तक मामला ठंडा नहीं होता.
घोड़ा है लोगों की मुख्य सवारी
यहां आने-जाने के लिए मुख्य सड़क कच्ची है. थोड़ी सी बारिश हो जाती है तो इन पंचायतों के लोगों का जीवन नरक बन जाता है. मोटरसाइकिल और अन्य वाहनों की बात करना यहां बेमानी है. दक्षिणी रहीमपुर और उत्तरी रहीमपुर के लोगों की मुख्य सवारी घोड़ा ही है. क्योंकि जैसी सड़क है उस पर बारिश के बाद पैदल भी नहीं चला जा सकता है. पंचायत के गांव के आस पास गंगा नदी होने की वजह से चारो तरफ बालू है. ऐसी जगहों पर सिर्फ घोड़ा ही लोगों के काम आ पाता है.
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कोसों पैदल चलते हैं लोग
एक 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला निशो देवी ने बताया कि सड़क नहीं होने की वजह से गाड़ी नहीं चलती है, जिसकी वजह से कोसों दूर पैदल ही चलना पड़ता है. वहीं, मथार के पूर्व सरपंच शिवनेन्द्र प्रसाद यादव का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से हमारी बहु बेटियां गर्भावस्था में आंख के सामने ही दम तोड़ देती हैं. इस से बड़ा दुख किसी पंचायत और गांव के लिए और क्या हो सकता है. बच्चे उच्च शिक्षा नहीं ले पाते, बेटियों की शादी अच्छे घर में नहीं हो पाती. ये सारी परेशानी सड़क नहीं होने के कारण ही है.
'निकाला जा रहा सड़क के लिए टेंडर'
वहीं, जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि सड़क का टेंडर तो 7 साल पहले ही पास हो चुका था, लेकिन जिस ठेकेदार को ये टेंडर दिया गया था वो बीच में ही छोड़कर भाग गया. जिस वजह से सड़क का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया. कॉन्ट्रेक्टर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. दोबारा टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. उसके बाद ही सड़क बन पाएगी.