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खगड़िया के इस गांव में सड़क के लिए तरस रहे लोग, आज भी घोड़ा है इनकी मुख्य सवारी

खगड़िया की 2 पंचायत दक्षिणी रहीमपुर और पश्चिमी रहीमपुर मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो शहर से 20 मिनट का रास्ता है. लेकिन सड़क न होने की वजह से 20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में तब्दील हो जाती है.

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Published : Dec 14, 2019, 12:45 PM IST

खगड़ियाः कोई भी गांव, जिला या राज्य अपनी भौगोलिक संरचना, इतिहास या विकास की वजह से पहचाना जाता है. लेकिन खगड़िया की 2 पंचायतों की स्थिति ही अजीब है. यहां के लोगों को सड़क देखना नसीब ही नहीं हुआ. इन दोनों पंचायतों की आबादी लगभग 35 से 40 हजार की है, ये दोनों पंचायतें विकास नहीं होने की वजह से दियारा क्षेत्र के नाम से जानी जाती हैं. क्योंकि इस इलाके में न ही एक अच्छा विद्यालय है, न अस्पताल और न ही कोई अन्य सुविधा. इस पंचायत के लोग घोड़े की सवारी करते हैं.

20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में होती है तय
खगड़िया की 2 पंचायतें दक्षिणी रहीमपुर और पश्चिमी रहीमपुर मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो शहर से 20 मिनट का रास्ता है. लेकिन सड़क न होने की वजह से 20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में तब्दील हो जाती है. ये क्षेत्र अपराधियों के छिपने के साथ अवैध धंधे लिए भी मशहूर है. क्योंकि सड़क नहीं होने की वजह से पुलिस जा नहीं पाती और इस क्षेत्र में एक भी थाना नहीं है. अपराधी आराम से किसी सगे सम्बन्धी के यहां अपराध करने के बाद डेरा डाल लेते हैं जब तक मामला ठंडा नहीं होता.

रहीमपुर पंचायत की कच्ची सड़क और जानकारी देते संवाददाता

घोड़ा है लोगों की मुख्य सवारी
यहां आने-जाने के लिए मुख्य सड़क कच्ची है. थोड़ी सी बारिश हो जाती है तो इन पंचायतों के लोगों का जीवन नरक बन जाता है. मोटरसाइकिल और अन्य वाहनों की बात करना यहां बेमानी है. दक्षिणी रहीमपुर और उत्तरी रहीमपुर के लोगों की मुख्य सवारी घोड़ा ही है. क्योंकि जैसी सड़क है उस पर बारिश के बाद पैदल भी नहीं चला जा सकता है. पंचायत के गांव के आस पास गंगा नदी होने की वजह से चारो तरफ बालू है. ऐसी जगहों पर सिर्फ घोड़ा ही लोगों के काम आ पाता है.

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गांव की सड़क

ये भी पढ़ेंः मौसम की पहली बारिश से किसानों में खुशी, कहा- ये शुभ संकेत

कोसों पैदल चलते हैं लोग
एक 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला निशो देवी ने बताया कि सड़क नहीं होने की वजह से गाड़ी नहीं चलती है, जिसकी वजह से कोसों दूर पैदल ही चलना पड़ता है. वहीं, मथार के पूर्व सरपंच शिवनेन्द्र प्रसाद यादव का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से हमारी बहु बेटियां गर्भावस्था में आंख के सामने ही दम तोड़ देती हैं. इस से बड़ा दुख किसी पंचायत और गांव के लिए और क्या हो सकता है. बच्चे उच्च शिक्षा नहीं ले पाते, बेटियों की शादी अच्छे घर में नहीं हो पाती. ये सारी परेशानी सड़क नहीं होने के कारण ही है.

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गांव की मुख्य सड़क

'निकाला जा रहा सड़क के लिए टेंडर'
वहीं, जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि सड़क का टेंडर तो 7 साल पहले ही पास हो चुका था, लेकिन जिस ठेकेदार को ये टेंडर दिया गया था वो बीच में ही छोड़कर भाग गया. जिस वजह से सड़क का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया. कॉन्ट्रेक्टर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. दोबारा टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. उसके बाद ही सड़क बन पाएगी.

खगड़ियाः कोई भी गांव, जिला या राज्य अपनी भौगोलिक संरचना, इतिहास या विकास की वजह से पहचाना जाता है. लेकिन खगड़िया की 2 पंचायतों की स्थिति ही अजीब है. यहां के लोगों को सड़क देखना नसीब ही नहीं हुआ. इन दोनों पंचायतों की आबादी लगभग 35 से 40 हजार की है, ये दोनों पंचायतें विकास नहीं होने की वजह से दियारा क्षेत्र के नाम से जानी जाती हैं. क्योंकि इस इलाके में न ही एक अच्छा विद्यालय है, न अस्पताल और न ही कोई अन्य सुविधा. इस पंचायत के लोग घोड़े की सवारी करते हैं.

20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में होती है तय
खगड़िया की 2 पंचायतें दक्षिणी रहीमपुर और पश्चिमी रहीमपुर मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो शहर से 20 मिनट का रास्ता है. लेकिन सड़क न होने की वजह से 20 मिनट की दूरी 2 घण्टे में तब्दील हो जाती है. ये क्षेत्र अपराधियों के छिपने के साथ अवैध धंधे लिए भी मशहूर है. क्योंकि सड़क नहीं होने की वजह से पुलिस जा नहीं पाती और इस क्षेत्र में एक भी थाना नहीं है. अपराधी आराम से किसी सगे सम्बन्धी के यहां अपराध करने के बाद डेरा डाल लेते हैं जब तक मामला ठंडा नहीं होता.

रहीमपुर पंचायत की कच्ची सड़क और जानकारी देते संवाददाता

घोड़ा है लोगों की मुख्य सवारी
यहां आने-जाने के लिए मुख्य सड़क कच्ची है. थोड़ी सी बारिश हो जाती है तो इन पंचायतों के लोगों का जीवन नरक बन जाता है. मोटरसाइकिल और अन्य वाहनों की बात करना यहां बेमानी है. दक्षिणी रहीमपुर और उत्तरी रहीमपुर के लोगों की मुख्य सवारी घोड़ा ही है. क्योंकि जैसी सड़क है उस पर बारिश के बाद पैदल भी नहीं चला जा सकता है. पंचायत के गांव के आस पास गंगा नदी होने की वजह से चारो तरफ बालू है. ऐसी जगहों पर सिर्फ घोड़ा ही लोगों के काम आ पाता है.

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गांव की सड़क

ये भी पढ़ेंः मौसम की पहली बारिश से किसानों में खुशी, कहा- ये शुभ संकेत

कोसों पैदल चलते हैं लोग
एक 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला निशो देवी ने बताया कि सड़क नहीं होने की वजह से गाड़ी नहीं चलती है, जिसकी वजह से कोसों दूर पैदल ही चलना पड़ता है. वहीं, मथार के पूर्व सरपंच शिवनेन्द्र प्रसाद यादव का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से हमारी बहु बेटियां गर्भावस्था में आंख के सामने ही दम तोड़ देती हैं. इस से बड़ा दुख किसी पंचायत और गांव के लिए और क्या हो सकता है. बच्चे उच्च शिक्षा नहीं ले पाते, बेटियों की शादी अच्छे घर में नहीं हो पाती. ये सारी परेशानी सड़क नहीं होने के कारण ही है.

khagaria
गांव की मुख्य सड़क

'निकाला जा रहा सड़क के लिए टेंडर'
वहीं, जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि सड़क का टेंडर तो 7 साल पहले ही पास हो चुका था, लेकिन जिस ठेकेदार को ये टेंडर दिया गया था वो बीच में ही छोड़कर भाग गया. जिस वजह से सड़क का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया. कॉन्ट्रेक्टर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. दोबारा टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. उसके बाद ही सड़क बन पाएगी.

Intro:कोई भी जिला या राज्य को उसके भगौलिक,इतिहास या विकाश के वजह से उसकी पहचान बनाती है। अगर जिला में अच्छे महाविद्यालय हो अच्छी सड़के हो तो उस जिला की एक अलग पहचान बनती है।
लेकिन खगड़िया की स्थिति बाकी जगहों से उलट है क्यों कि


Body:कोई भी जिला या राज्य को उसके भगौलिक,इतिहास या विकाश के वजह से उसकी पहचान बनाती है। अगर जिला में अच्छे महाविद्यालय हो अच्छी सड़के हो तो उस जिला की एक अलग पहचान बनती है।
लेकिन खगड़िया की स्थिति बाकी जगहों से उलट है क्यों कि खगड़िया के 2 पंचायत ऐसे है जिनको आज तक आजाद भारत में सड़क देखना नसीब ही नही हुआ। दक्षिणी रहीमपुर,पश्चिमी रहीमपुर ये खगड़िया मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर पंचायत है मुश्किल से 20 मिनट का रस्ता है लेकिन सड़क ना होने के वजह से 20 मिनट की दूरी 2 घण्टे से ज्यादा के समय मे तब्दील हो जाती है।
इस दोनों पंचायत की आबादी लगभग 35 से 40 हजार की है, ये दोनों पंचायत विकाश नही होने के वजह से दियरा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है क्यों कि इस एरिया में ना ही एक अच्छा विद्यालय है ना अस्पताल है ना ही कोई भी आधुनिक दुनिया की सुविधा।

ये क्षेत्र अपराधियों के छिपने के साथ अवैध धंधे लिए भी मशहूर है, क्यों कि सड़क नही होने के वजह से पुलिस जा नही पाती और क्षेत्र में एक भी थाना नही है तो अपराधी आराम से किसी सगे सम्बन्धी के यंहा अपराध करने के बाद डेरा डाल लेते है जब तक मामला ठंडा नही होता।

जो तस्वीर में कच्ची सड़क दिखाया गया वो मुख्य सड़क है जाने का लेकिन जैसे ही थोड़ी सी बारिश जो जाती है तो इन पंचायतों के लोगो जीवन नरक से कम नही होता पुरुष हो या महिला सबको चपल हाथ मे और कपड़ा घुटना के ऊपर तक चढ़ाने के बाद ही इस नरक को पार करना होता है। मोटरसाइकिल और अन्य वाहन की बात करने का यंहा कोई मतलब नहीं बनता।

घोड़ा,घोड़ी है मुख्य सवारी
रहीमपुर दक्षिणी और,उतरी रहीमपुर के अस्थनीय लोगो का मुख्य सवारी घोड़ा या घोड़ी ही है क्यों कि जैसा सड़क है उस पर बारिश के बाद आप पैदल भी नही चल सकते है और पंचायत के गांव के आस पास गंगा नदी होने के वजह से चारो तरफ बालू है तो ऐसे जगहों पर सिर्फ घोड़ा ही लोगो के काम मे आ पाता है।

ग्रामीण और राहगीरों से प्रतिक्रिया लिया गया जिसमें एक बुजुर्ग महिला राहगीर है निशो देवी जिनकी उम्र करीब करीब 80 वर्ष होगी। ये महिला इस उम्र में कई किलोमीटर पैदल चल कर आते हुए दिखी तो हमने पूछा कि क्यों पैदल आ रही है महिला का जवाब था सड़क नही होने के वजह से गाड़ी नही चलती इसलिए पैदल ही जा रहे है। वंही मथार के पूर्व सरपंच का कहना शिवनेन्द्र प्रसाद यादव का कहना है कि सड़क का नही होने वजह हमलोग अपने बहु बेटियों को गर्भावस्था में आंख के सामने दम तोड़ते हुए देखा है। इस से बड़ा दुख किसी पंचायत और गांव के लिए और क्या हो सकता है। बच्चे उच्च शिक्षा नही ले पाते, बेटियों की शादी अच्छे घर मे नही हो पाती,आधुनिक दुनिया हमलोग नही देख पाते ये सारी वजह सड़क का नही होना ही है।

जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताय की सड़क तो 7 साल पहले ही पास हो चुका था कब का बन गया होता लेकिन जिस ठेकेदार को ये टेंडर दिया गया था वो बीच मे ही छोड़ कर भाग गया जिस वजह से सड़क का काम अभी तक पूरा नही हो पाया। कॉन्ट्रेक्टर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है और फिर से प्रक्रिया की जा रही है दोबरा टेंडर निकालने की।

बाइट-ग्रामीण,राहगीर
बाइट-जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार


Conclusion:
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