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खगड़िया: औषधीय पौधों और जैविक खेती से आत्मनिर्भर हो रहे किसान - किसानों के इस नए प्रयोग की हुई सराहना

कृषि प्रधान खगड़िया जिले में किसानों द्वारा पंचगव्य से जुड़े औषधीय पौधों और जैविक खेती के जरिए आत्मनिर्भर बनने की बड़ी मुहिम शुरू हो गई है. इस मुहिम में अभी 200 से ज्यादा किसान प्रयोग के तौर पर शामिल हुए हैं. खास बात यह है कि सरकार ने जिस पराली को खेत में जलाने पर पाबंदी लगाई है, उस पराली से भी जैविक खाद बनाए जा रहे हैं. देखें रिपोर्ट-

खगड़िया
औषधीय पौधों और जैविक खेती के जरिये आत्मनिर्भर हो रहे किसान
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Published : Jan 4, 2021, 2:40 PM IST

खगड़िया: जिले के गोगरी प्रखंड का गौछारी पंचायत पूरी तरह से कृषि प्रधान पंचायत है. खेती किसानी में यह पंचायत नए-नए प्रयोग के लिए भी जाना जाता है. वर्तमान समय में इस पंचायत में बड़ी तादाद में औषधीय पौधों की खेती और जैविक खेती में किसान रुचि ले रहे हैं. फायदा देखते हुए 200 से ज्यादा किसान इस तरह की खेती कर रहे हैं.

खगड़िया
जैविक खेती से सेकड़ो किसान हुए आत्मनिर्भर

रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर
इन नए प्रयोगों के सूत्रधार स्थानीय किसान विनय वरुण हैं. जिनके कारण सैकड़ों किसानों ने रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर रुख किया है. उनके द्वारा पंचायत में गाय के गोबर और गोमूत्र से भी औषधि तैयार की जा रही है. साथ ही इन औषधियों से लोग निरोग भी हो रहे हैं.

खगड़िया
रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर कदम

'किसान अब जैविक खेती के फायद को समझ चुके हैं और रही खर्च की बात तो अगर रासायनिक खेती में ₹5000 बीघा खर्च आता है तो जैविक खेती में मात्र ₹2000 बीघा खर्च कर लोग जैविक खेती से अनाज पैदा कर सकते हैं .खासतौर पर हमारे यहां पराली से जैविक खाद तैयार किया जाता है, जिसको लेकर सरकार ने काफी सख्त आदेश जारी किया है. सरकार के मुताबिक जो भी किसान खेत में पराली जलाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी. उसको देखते हुए भी पराली को हमारे यहां के किसान खेतों में नहीं जलाते हैं बल्कि उसका जैविक खाद तैयार किया जा रहा है'.- विनय वरुण, किसान

खगड़िया
आत्मनिर्भर हो रहे किसान

किसानों के इस नए प्रयोग की हुई सराहना
जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती देखने के लिए खगड़िया के डीएम, जिला कृषि पदाधिकारी समेत कृषि विभाग के पटना स्तर की भी कई अधिकारी, इस पंचायत आ चुके हैं और उन्होंने किसानों के इस नए प्रयोग को सराहा भी है. यही वजह है कि जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सरकार ने यहां पर कई किसानों को सम्मानित भी किया है और 11 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान भी कई किसानों को दिया गया है.

रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर कदम

सैकड़ों किसान हुए आत्मनिर्भर
बहरहाल, आत्म निर्भर किसान विनय वरुण से प्रेरणा लेकर पंचायत के सैकड़ों किसान आत्मनिर्भर हो चुके हैं. सरकार भी ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करे ताकि दूसरे किसान भी सीख लेकर खुद को आत्मनिर्भर बना सकें.

खगड़िया: जिले के गोगरी प्रखंड का गौछारी पंचायत पूरी तरह से कृषि प्रधान पंचायत है. खेती किसानी में यह पंचायत नए-नए प्रयोग के लिए भी जाना जाता है. वर्तमान समय में इस पंचायत में बड़ी तादाद में औषधीय पौधों की खेती और जैविक खेती में किसान रुचि ले रहे हैं. फायदा देखते हुए 200 से ज्यादा किसान इस तरह की खेती कर रहे हैं.

खगड़िया
जैविक खेती से सेकड़ो किसान हुए आत्मनिर्भर

रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर
इन नए प्रयोगों के सूत्रधार स्थानीय किसान विनय वरुण हैं. जिनके कारण सैकड़ों किसानों ने रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर रुख किया है. उनके द्वारा पंचायत में गाय के गोबर और गोमूत्र से भी औषधि तैयार की जा रही है. साथ ही इन औषधियों से लोग निरोग भी हो रहे हैं.

खगड़िया
रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर कदम

'किसान अब जैविक खेती के फायद को समझ चुके हैं और रही खर्च की बात तो अगर रासायनिक खेती में ₹5000 बीघा खर्च आता है तो जैविक खेती में मात्र ₹2000 बीघा खर्च कर लोग जैविक खेती से अनाज पैदा कर सकते हैं .खासतौर पर हमारे यहां पराली से जैविक खाद तैयार किया जाता है, जिसको लेकर सरकार ने काफी सख्त आदेश जारी किया है. सरकार के मुताबिक जो भी किसान खेत में पराली जलाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी. उसको देखते हुए भी पराली को हमारे यहां के किसान खेतों में नहीं जलाते हैं बल्कि उसका जैविक खाद तैयार किया जा रहा है'.- विनय वरुण, किसान

खगड़िया
आत्मनिर्भर हो रहे किसान

किसानों के इस नए प्रयोग की हुई सराहना
जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती देखने के लिए खगड़िया के डीएम, जिला कृषि पदाधिकारी समेत कृषि विभाग के पटना स्तर की भी कई अधिकारी, इस पंचायत आ चुके हैं और उन्होंने किसानों के इस नए प्रयोग को सराहा भी है. यही वजह है कि जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सरकार ने यहां पर कई किसानों को सम्मानित भी किया है और 11 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान भी कई किसानों को दिया गया है.

रासायनिक खेती त्याग कर जैविक खेती की ओर कदम

सैकड़ों किसान हुए आत्मनिर्भर
बहरहाल, आत्म निर्भर किसान विनय वरुण से प्रेरणा लेकर पंचायत के सैकड़ों किसान आत्मनिर्भर हो चुके हैं. सरकार भी ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करे ताकि दूसरे किसान भी सीख लेकर खुद को आत्मनिर्भर बना सकें.

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