खगड़िया: बिहार के कई जिलों में इस समय नदियां उफान पर हैं. ऐसे में खगड़िया में कोसी की उपधारा भी तेजी से बह रही है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर मारड पंचायत के बेलदौर, छीनासिया, कमाथान गांव के लोग इसके चलते प्रभावित हो रहे हैं. इसके पीछे का कारण कोसी की उपधारा में पुल का निर्माण न होना है.
बात करें बेलदौर गांव की, तो यहां लोग दो पीपा के सहारे नदी पार करते हैं. नदी के दूसरे छोर पर पांच गांव स्थित हैं, जिनसे इन्हीं दो पीपों के कारण संपर्क बना हुआ है. गांव की तकरीबन पांच हजार आबादी इन्हीं दो पीपों पर आश्रित है. यही गांव के पुल हैं और यही यहां के लोगों के लिए नाव.
बरसात आते ही बढ़ती है मुसीबत
बैलदौर गांव के लोगों की मानें, तो बारिश आते ही कोसी की उपधारा में अच्छा खासा बहाव रहता है. ऐसे में पुल न बने होने के कारण आपातकालीन स्थिति में काफी समस्या उठानी पड़ती है. अगर कोई बीमार हो जाता है, तो डॉक्टर के पास ले जाने में इन्हीं पीपा और चचरी पुल का इस्तेमाल करना पड़ता है.
ग्रामीणों बताया कि पिछले 40 सालों से इसी जुगाड़ के सहारे वो अपनी जिंदगी जी रहे हैं. हर साल बारिश के मौसम में इसी तरह जिंदगी की गाड़ी दौड़ती नजर आती है. बच्चे स्कूल भी इसी के सहारे जाते हैं.
नेताओं ने किया वादा, अब फिर बनेगा चुनावी मुद्दा
गांव के सरपंच ओम प्रकाश बताते हैं कि चुनाव के समय में नेता मंत्री यहां आए तो थे और वादा भी किया था कि पुल बनवा देंगे. लेकिन ये वादा आज तक पूरा नहीं हुआ. इस बार फिर से चुनाव हैं. ऐसे में इस गांव के लिए वोट मांगने का जरिया भी कोसी की उपधारा में बनने वाला पुल ही होगा.
- 2014 के लोकसभा चुनाव के समय खगड़िया लोकसभा प्रत्याशी चौधरी महबूब अली कैसर ने यंहा के लोगों से वादा किया था कि चुनाव में जीत के बाद पुल का निर्माण होगा, जो आज तक पूरा नहीं हुआ.
- जेडीयू से पूनम यादव 3 बार से सदर विधानसभा की विधायक हैं. लेकिन वो आज तक इस गांव की स्थिति जानने नहीं पहुंची है.
- इस गांव में सड़क का निर्माण भी नहीं हुआ है. ऐसे में विकास के तमाम वादे फेल नजर आते हैं.
क्यों नहीं बनी सड़क और पुल
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, जो मुख्य सड़क से कट कर छोटी सड़क इस गांव के किनारे तक पहुंचती है. उसमें जमीन को लेकर विवाद है. इस वजह से न सड़क पास हो पाई और न ही यहां पुल बन सका. पुल बनाने के लिए एक बार विधायक की ओर से 20 लाख का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन विभाग और इंजीनियरों ने इन पैसों को नाकाफी बताया.
क्या कहता है प्रशासन
हालांकि, गांव की समस्या को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने जब जिलाधिकारी से फोन पर बात की, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है. वहीं, जिलाधिकारी आलोक रजंन घोष ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए इसे नोट कर लिया है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द हालातों का जायजा लिया जाएगा. ग्रामीणों की समस्या दूर करने का प्रयास होगा.