खगड़िया : बिहार के खगड़िया जदयू के कद्दावर नेता व पूर्व एमएलसी सोनेलाल मेहता की पटना में इलाज के दौरान निधन हो गया. जिले में शोक की लहर दौड़ गई. सोनेलाल मेहता के निधन की खबर मिलते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई वरीय नेताओं ने शोक जताया है. शुक्रवार को अंतिम यात्रा में स्थानीय लोग शामिल हुए. बताते चलें कि सोनेलाल मेहता नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे. सोनेलाल मेहता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1972 में की थी. 1974 में जेपी आंदोलन में उन्होंने खगड़िया में छात्र-आंदोलन का नेतृत्व किया.
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1975 में इमरजेंसी में जेल भी गए: जदयू के नेता और पूर्व एमएलसी सोनेलाल मेहता 1975 में इमरजेंसी में जेल भी गए. फिर 1975 के अंत में मीसा के अंतर्गत केंद्रीय कारा बक्सर में बंदी बनाकर रखा गया. जहां वे लगभग एक साल से अधिक समय तक जेल में रहे. सोनेलाल मेहता 1977 में जनता पार्टी, फिर लोकदल से होते हुए 1985 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए 1987 में खगड़िया जिला युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बनाए गए. जिसके लगभग आठ साल तक जिलाध्यक्ष रहे. बाद में नीतीश कुमार के साथ समता पार्टी में शामिल हुए और प्रदेश के महासचिव बनाए गए.
10 साल तक रहे खगड़िया जिलाध्यक्ष : इसके बाद सोनेलाल मेहता जनता दल (यू) बनने पर 2004 में खगड़िया जिला जदयू के जिलाध्यक्ष बने. लगभग 10 साल तक जिलाध्यक्ष रहे. साल 2013 में जदयू के प्रदेश महासचिव बनाए गए. मार्च 2014 में उन्हें बिहार विधान परिषद् का सदस्य बनाये गये. सोनेलाल मेहता का पार्थिव शरीर संहौली स्थित पैतृक आवास पहुंचते ही अन्तिम दर्शन करने वालों की भीड़ लग गयी. उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में जदयू और विभिन्न दलों के नेता के साथ साथ स्थानीय लोग शामिल हुए. अंतिम यात्रा में शामिल लोगों ने उन्हें मिलनसार और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले नेता बताये जाते हैं.
"इनके विचारधारा पर हमलोग चल रहे हैं. सबको साथ लेकर चलते थे. इनका कार्यकाल काफी अच्छा रहा. आम कार्यकर्ता की तरह काम करते थे. वे मिलनसार थे. उन्होंने पार्टी को एक नई ऊंचाई दी है."-राज कुमार फोगला,जदयू नेता