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सरकारी फाइलों में गुम हुई सिंचाई योजना, कर्ज लेकर पटवन कर रहे हैं किसान

नलकूप विभाग के कणीय अभियंता ने बताया कि जिले में 180 नलकूप हैं, जिसमें 144 चालू हालात में हैं. फिलहाल अभी सरकारी नलकूप लगाने का कोई प्रावधान नहीं है. पुराने बंद नलकूपों को ठीक किया गया था, जो कई प्रखंडों में अभी चल रहे हैं.

सरकारी फाइलों में गुम हुई सिंचाई योजना
सरकारी फाइलों में गुम हुई सिंचाई योजना
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Published : Jan 11, 2020, 11:02 AM IST

खगड़िया: प्रदेश की सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए सिंचाई की उत्तम व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर कई योजनाओं को चला रही है. लेकिन ये योजनाएं धरातल तक पहुंचने से पहले ही कहीं गुम हो जाती हैं, जिस वजह से किसानों की दशा में आज तक कोई सुधार नहीं हो सका है.

दरअसल, मामला जिले के खैरी-खुटहा पंचायत का है, जहां सिंचाई के लिए एक भी सरकारी नलकूप नहीं है. जिस वजह से किसानों को सरकार की ओर से चलाई जाने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

पटवन के लिए जाता हुआ किसान
पटवन के लिए जाता हुआ किसान

पूरे जिले में है 181 नलकूप
जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 181 नलकूप हैं, लेकिन बेलदौर प्रखंड और खैरी खुटहा पंचायत में एक भी नलकूप नहीं है. जिस वजह से इस पंचायत के सैकड़ों किसानों को खेती करने के लिए पैसे देकर किराए से पटवन करना पड़ता है.

'कर्ज लेकर कर रहे हैं खेती '
इस बाबात स्थानीय किसान बताते हैं कि रवि फसल की बुआई का समय चल रह है. किसानों को हर तरफ पटवन के लिए सिंचाई की आवश्यकता है. प्रखंड में एक भी सरकारी नलकूप नहीं है. जिस वजह से निजी पंप सेट मालिक को 200 रुपया प्रति घंटा पटवन के लिए देते हैं. किसानों को 1 एकड़ जमीन का पटवन करने में 30 घंटे से ज्यादा का समय लगता है. ऐसे में पटवन करने में 36 सौ रुपये से ज्यादा की लागत आती है. कर्ज लेकर हर साल खेती करते हैं, लेकिन हालात सुधरने के बजाय दिन-प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं.

स्थानीय किसान
स्थानीय किसान

'सरकार किसानों के लिए करे पहल'
किसानों का कहना है कि प्रदेश की सरकार उनके लिए कई योजनाएं चलाती है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के उदासीन रवैयै के कारण ये सभी योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही सरकारी फाइलों में दम तोड़ देती है. स्थानीय बताते हैं कि वे मक्का के अलावा सब्जियों की खेती कर रहे हैं. हमलोग पटवन और मजदूरी देने में परेशान हैं. किसानों का कहना है कि हमारे पंचायत में सरकार एक नलकूप देने का प्रावधान करे, जिससे हमारी माली हालात में सुधार हो सके.

पेश है एक रिपोर्ट

नए नलकूप लगाने की अभी नहीं है कोई योजना- विभाग
इस मामले पर नलकूप विभाग के कणीय अभियंता मौसही आलम बताते हैं कि जिले में 180 नलकूप हैं, जिसमें 144 चालू हालात में हैं. फिलहाल अभी सरकारी नलकूप लगाने का कोई प्रावधान नहीं है. पुराने बंद नलकूपों को ठीक किया गया था, जो कई प्रखंडों में अभी चल रहे हैं.

प्रखंड के हिसाब से खगड़िया में चालू नलकूप

  • खगड़िया- 21 नलकूप
  • अलौली- 17 नलकूप
  • परबत्ता- 33 नलकूप
  • चौथम- 15 नलकूप
  • मानसी- 09 नलकूप
  • गोगरी- 22 नलकूप
  • बेलदौर- 00 नलकूप

प्रखंड के अनुसार बंद नलकूप पड़े नलकूप

  • खगड़िया- 09 नलकूप
  • अलौली- 07 नलकूप
  • परबत्ता- 03 नलकूप
  • चौथम- 04 नलकूप
  • मानसी- 01 नलकूप
  • गोगरी- 04 नलकूप

खगड़िया: प्रदेश की सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए सिंचाई की उत्तम व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर कई योजनाओं को चला रही है. लेकिन ये योजनाएं धरातल तक पहुंचने से पहले ही कहीं गुम हो जाती हैं, जिस वजह से किसानों की दशा में आज तक कोई सुधार नहीं हो सका है.

दरअसल, मामला जिले के खैरी-खुटहा पंचायत का है, जहां सिंचाई के लिए एक भी सरकारी नलकूप नहीं है. जिस वजह से किसानों को सरकार की ओर से चलाई जाने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

पटवन के लिए जाता हुआ किसान
पटवन के लिए जाता हुआ किसान

पूरे जिले में है 181 नलकूप
जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 181 नलकूप हैं, लेकिन बेलदौर प्रखंड और खैरी खुटहा पंचायत में एक भी नलकूप नहीं है. जिस वजह से इस पंचायत के सैकड़ों किसानों को खेती करने के लिए पैसे देकर किराए से पटवन करना पड़ता है.

'कर्ज लेकर कर रहे हैं खेती '
इस बाबात स्थानीय किसान बताते हैं कि रवि फसल की बुआई का समय चल रह है. किसानों को हर तरफ पटवन के लिए सिंचाई की आवश्यकता है. प्रखंड में एक भी सरकारी नलकूप नहीं है. जिस वजह से निजी पंप सेट मालिक को 200 रुपया प्रति घंटा पटवन के लिए देते हैं. किसानों को 1 एकड़ जमीन का पटवन करने में 30 घंटे से ज्यादा का समय लगता है. ऐसे में पटवन करने में 36 सौ रुपये से ज्यादा की लागत आती है. कर्ज लेकर हर साल खेती करते हैं, लेकिन हालात सुधरने के बजाय दिन-प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं.

स्थानीय किसान
स्थानीय किसान

'सरकार किसानों के लिए करे पहल'
किसानों का कहना है कि प्रदेश की सरकार उनके लिए कई योजनाएं चलाती है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के उदासीन रवैयै के कारण ये सभी योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही सरकारी फाइलों में दम तोड़ देती है. स्थानीय बताते हैं कि वे मक्का के अलावा सब्जियों की खेती कर रहे हैं. हमलोग पटवन और मजदूरी देने में परेशान हैं. किसानों का कहना है कि हमारे पंचायत में सरकार एक नलकूप देने का प्रावधान करे, जिससे हमारी माली हालात में सुधार हो सके.

पेश है एक रिपोर्ट

नए नलकूप लगाने की अभी नहीं है कोई योजना- विभाग
इस मामले पर नलकूप विभाग के कणीय अभियंता मौसही आलम बताते हैं कि जिले में 180 नलकूप हैं, जिसमें 144 चालू हालात में हैं. फिलहाल अभी सरकारी नलकूप लगाने का कोई प्रावधान नहीं है. पुराने बंद नलकूपों को ठीक किया गया था, जो कई प्रखंडों में अभी चल रहे हैं.

प्रखंड के हिसाब से खगड़िया में चालू नलकूप

  • खगड़िया- 21 नलकूप
  • अलौली- 17 नलकूप
  • परबत्ता- 33 नलकूप
  • चौथम- 15 नलकूप
  • मानसी- 09 नलकूप
  • गोगरी- 22 नलकूप
  • बेलदौर- 00 नलकूप

प्रखंड के अनुसार बंद नलकूप पड़े नलकूप

  • खगड़िया- 09 नलकूप
  • अलौली- 07 नलकूप
  • परबत्ता- 03 नलकूप
  • चौथम- 04 नलकूप
  • मानसी- 01 नलकूप
  • गोगरी- 04 नलकूप
Intro:किसानों की सिंचाई पानी की उपलब्ध्ता के लिए सूबे की सरकार कई तरह की योजनाय चला रही है। जैसे राजकीय नलकूप योजना या हर खेत बिजली योजना। यंहा हम राजकीय नलकूप से जुड़ी समस्या के बारे अवगत करा रहे है। जिले में करीब 181 नलकूप बन कर तैयार है लेकिन खगड़िया के खैरी खुटहा पंचायत में एक भी नलकूप नही है जब कि इस पंचायत के किसान हजारों एकड़ में खेती करते है। नलकूप की समस्या यंही खत्म नही होती खगड़िया के बेलदौर प्रखंड में भी एक भी नलकूप नहीं है।


Body:किसानों की सिंचाई पानी की उपलब्ध्ता के लिए सूबे की सरकार कई तरह की योजनाय चला रही है। जैसे राजकीय नलकूप योजना या हर खेत बिजली योजना। यंहा हम राजकीय नलकूप से जुड़ी समस्या के बारे अवगत करा रहे है। जिले में करीब 181 नलकूप बन कर तैयार है लेकिन खगड़िया के खैरी खुटहा पंचायत में एक भी नलकूप नही है जब कि इस पंचायत के किसान हजारों एकड़ में खेती करते है। नलकूप की समस्या यंही खत्म नही होती खगड़िया के बेलदौर प्रखंड में भी एक भी नलकूप नहीं है।

किसान है परेशान
इन दिनों रवि फसल की बुआई का सीजन चल रहा है और हर तरफ खेतो में किसानों को ज्यादा से ज्यादा पानी की जरूरत है।लेकिन क्या किसानों को सरकार के द्वारा दी गई साधन से सहूलियत पहुंच रही है ? ये खुद खगड़िया के किसान ही बता रहे है। खगड़िया के किसान प्रति घण्टा 200 रुपया निजी पंप सेट को देते है और एक विघा खेत पटवन करने में कम से कम 12 या 13 घण्टा लगता है। अगर 12 घण्टा भी जोड़े तो एक बार पटवन करने में 2400 रुपया खर्च किसान को आता है और ये पटवन कितनी बार फसल में दिया जायगा ये फसल के ऊपर निर्भर करता है कि किसान किसी फसल की खेती किये है।

विओ 1
लाल चैरसिया
खगड़िया के किसान है और ये मक्का के अलावे सब्जियों की खेती कर रहे है। अभी कुछ दिनों पहले ही मक्का की बुआई किये है। लाल चैरसिया जंहा खेती कर रहे है। वंहा आसपास सिर्फ निजी नलकूप और इनका कहना है कि पटवन और मजदूरी देने में ही हमलोग परेशान है,अगर सरकार हमारे पंचायत में सरकारी नलकुप दे देती है तो हमारा बहुत पैसा बच जायगा

विओ 2
सुनील चैरसिया अस्थनीय किसान है और अपनी पीड़ा बताते हुए कहते है कि सरकार कहती है कि किसानो की आय दुगनी करंगे कैसे होगी आय दुगनी ? नलकुप तो एक दिया नही गया आज तक। 200 रुपया प्रति घण्टा पटवन देना पड़ रहा है। किसान तो पटवन और खाद में ही परेशान है। सरकार या जिला प्रसाशन के किसानों में कोई रुचि नही है।

मिली जानकारी के अनुसार जिले में कागज पर 180 नलकूप है जिसमे करीब 144 नलकूप चालू हालात में है। आपको बता दे कि ये अकड़ा नलकूप विभाग के कागज पर धरातल पर नही।

विओ 3
किरण देव चैरसिया बड़े पैमाने पर मक्का की खेती किये है और इनको मक्का में आय दिन पानी देना पड़ रहा है। लेकिन सरकारी नलकूप नही होने के वजह से आय दिन पैसा ज्यादा देना पड़ रहा है।
प्रखंड के हिसाब से खगड़िया में चालू नलकूप
1.खगड़िया- 21 नलकूप
2.अलौली- 17 नलकूप
3.परबत्ता- 33 नलकूप
4. चौथम- 15 नलकूप
5.मानसी- 09 नलकूप
6.गोगरी- 22 नलकूप
7.बेलदौर- 00 नलकूप

प्रखंड के हिसाब से खगड़िया में बंद नलकूप
1.खगड़िया- 09 नलकूप
2.अलौली- 07 नलकूप
3.परबत्ता- 03 नलकूप
4. चौथम- 04 नलकूप
5.मानसी- 01 नलकूप
6.गोगरी- 04नलकूप
7.बेलदौर- 00 नलकूप


किसान को हो रही अब ज्यादा परेशानी।

कैसे पिसे जा रहे नलकूप के चक्कर मे किसान ये देखिए
जब से नलकूप मुखिया के हाथों सौपी गई है, तब से मुखिया मनमाने ढंग से पैसे वसूल रहे है कही 500 रुपया प्रति एकड़ ले रहे है तो कही 600 से 700 रुपया ऐसे में किसानों की हालत दिन पर दिन पतली होते जा रही है, लेकिन जिला प्रसाशन हो या सूबे की सरकार हो किसी को इस बात की सुध नही।

वही इन सभी सवालों के जवाब में राजकीय नलकूप विभाग के कणीय अभियंता मौसहि आलम का कहना है कि जिला में नए नलकूप देने का कोई प्रवधान फिलहाल नही है,हां अस्थनीय कोई जनप्रतिनिधी पहल करे तो सरकार दे सकती है लेकिन उसके लिए भी वंहा के किसानों को ही जमीन उपलब्ध करानी पड़ेगी। फिलहाल जितने नलकूप पहले से बदहाल स्थिति में उसको ठीक किया जा रहा है।


Conclusion:जिला प्रसाशन को ग्राउंड पर जा कर किसानों की समस्या सुननी चहिए और उनको उस पंचायत में नलकूप व्यवस्था करनी चाहिए ताकि किसानो का पटवन में पैसा बच सके और उनकी आय अच्छी हो सके
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