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इस साल नहीं झेलना पड़ेगा बाढ़ का कहर! कोसी के आसपास के इलाकों में बाढ़ निरोधी कार्य जारी

खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के लोगों को हर साल बाढ़ की तबाही देखनी पड़ती है. उन्हें अपने घरों को छोड़कर दर-दर भटकना पड़ता है. लेकिन, इस साल प्रशासन मुस्तैदी से काम करा रहा है.

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Published : Jun 10, 2020, 5:45 PM IST

खगड़िया: कोसी नदी में आने वाली बाढ़ के कारण हर साल बेलदौर प्रखंड में भारी तबाही मचती है. यहा के लोग बीते कई सालों से बाढ़ की त्रासदी को झेलते आ रहे हैं. हर साल वे अपना बसा-बसाया घर छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं. अब जब एक बार फिर मॉनसून दस्तक देने को तैयार है तो लोग आने वाली मुसीबत के बारे में सोचकर डर जाते हैं. हालांकि बाढ़ की तबाही से इलाके को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर काम जोर-शोर से चल रहा है.

इस साल बाढ़ से पहले प्रशासन की ओर से कई प्रकार की तैयारियां की जा रही है. सरकार और जल संसाधन विभाग का दावा है कि इसबार तबाही नहीं होगी. कोसी किनारे युद्धस्तर पर काम हो रहा है. अबकी बार गांव के गांव को विस्थापित होने की नौबत नहीं आएगी.

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कोसी तटबंध पर काम जारी

2008 में टूटा था तटबंध
साल 2008 में आई बाढ़ अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसे बेलदौर प्रखंड ने झेला था. उस दौरान भारत-नेपाल सीमा पर कुसहा के पास कोसी का तटबंध टूट गया था. हाल ये हुआ कि कुसहा का पानी बेलदौर प्रखंड तक पहुंच गया था. प्रखंड के 16 में से 10 पंचायत बुरी तरह से प्रभवित हुए थे. अब 12 साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय लोग उस त्रासदी को नहीं भूल पाए हैं.

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बाढ़ से पहले तैयारी पूरी

इन इलाकों में आती है भारी तबाही
कोसी के ऊफान के कारण बेलदौर प्रखंड के इतमादी, दिघौन, कुबर्न, पचौत और बेलदौर पंचायत में कोसी के कारण आफत आती है. कई बार तो कैंजरी और महिनाथनगर पंचायत भी कोसी की जद में आ जाती है. यहां रह रहे लोगों की मानें तो बाढ़ की विभिषिका झेलना उनकी नियति बन चुकी है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल वे पलायन को मजबूर होते हैं. लेकिन, इस बार जो बाढ़ निरोधी कार्य हो रहा है, उससे वे काफी हद तक संतुष्ट हैं.

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बेलदौर प्रखंड में हो रहा बाढ़ रोधक कार्य

कटाव की चपेट में आती हैं कई पंचायतें
जमींदारी बांध के अंदर बने गाइड बांध की तरफ बलैठा पंचायत के पचाठ, नवटोलिया, मुनिटोल और इतमदी पंचायत के गांधीनगर में बड़े पैमाने पर हर साल कटाव होता आया है. सैकड़ों एकड़ खेत को अब तक कोसी और बागमती के संगम ने निगल लिया है. स्थानीय और जन प्रतिनिधियों की सालों की मेहनत का बाद अब यहां कटाव रोधी काम भी किया जा रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता गौरव सिंह की रिपोर्ट

3 करोड़ 45 लाख की लागत से हो रहा काम
जल संसाधन विभाग के जेईई ने बताया कि सरकार की ओर से 3 करोड़ 45 लाख की लागत से कटाव निरोधी कार्य कराया जा रहा है. काम तेजी से होने के कारण अब कुछ ही दिन और लगेंगे. उन्होंने बताया कि काम अंतिम चरण में है. ग्रामीण इतने बड़े पैमाने पर हो रहे बाढ़ निरोधी कार्य का श्रेय यहां के स्थानीय युवा शक्ति के जिला अध्यक्ष चंदन सिंह को दे रहे हैं.

खगड़िया: कोसी नदी में आने वाली बाढ़ के कारण हर साल बेलदौर प्रखंड में भारी तबाही मचती है. यहा के लोग बीते कई सालों से बाढ़ की त्रासदी को झेलते आ रहे हैं. हर साल वे अपना बसा-बसाया घर छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं. अब जब एक बार फिर मॉनसून दस्तक देने को तैयार है तो लोग आने वाली मुसीबत के बारे में सोचकर डर जाते हैं. हालांकि बाढ़ की तबाही से इलाके को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर काम जोर-शोर से चल रहा है.

इस साल बाढ़ से पहले प्रशासन की ओर से कई प्रकार की तैयारियां की जा रही है. सरकार और जल संसाधन विभाग का दावा है कि इसबार तबाही नहीं होगी. कोसी किनारे युद्धस्तर पर काम हो रहा है. अबकी बार गांव के गांव को विस्थापित होने की नौबत नहीं आएगी.

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कोसी तटबंध पर काम जारी

2008 में टूटा था तटबंध
साल 2008 में आई बाढ़ अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसे बेलदौर प्रखंड ने झेला था. उस दौरान भारत-नेपाल सीमा पर कुसहा के पास कोसी का तटबंध टूट गया था. हाल ये हुआ कि कुसहा का पानी बेलदौर प्रखंड तक पहुंच गया था. प्रखंड के 16 में से 10 पंचायत बुरी तरह से प्रभवित हुए थे. अब 12 साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय लोग उस त्रासदी को नहीं भूल पाए हैं.

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बाढ़ से पहले तैयारी पूरी

इन इलाकों में आती है भारी तबाही
कोसी के ऊफान के कारण बेलदौर प्रखंड के इतमादी, दिघौन, कुबर्न, पचौत और बेलदौर पंचायत में कोसी के कारण आफत आती है. कई बार तो कैंजरी और महिनाथनगर पंचायत भी कोसी की जद में आ जाती है. यहां रह रहे लोगों की मानें तो बाढ़ की विभिषिका झेलना उनकी नियति बन चुकी है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल वे पलायन को मजबूर होते हैं. लेकिन, इस बार जो बाढ़ निरोधी कार्य हो रहा है, उससे वे काफी हद तक संतुष्ट हैं.

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बेलदौर प्रखंड में हो रहा बाढ़ रोधक कार्य

कटाव की चपेट में आती हैं कई पंचायतें
जमींदारी बांध के अंदर बने गाइड बांध की तरफ बलैठा पंचायत के पचाठ, नवटोलिया, मुनिटोल और इतमदी पंचायत के गांधीनगर में बड़े पैमाने पर हर साल कटाव होता आया है. सैकड़ों एकड़ खेत को अब तक कोसी और बागमती के संगम ने निगल लिया है. स्थानीय और जन प्रतिनिधियों की सालों की मेहनत का बाद अब यहां कटाव रोधी काम भी किया जा रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता गौरव सिंह की रिपोर्ट

3 करोड़ 45 लाख की लागत से हो रहा काम
जल संसाधन विभाग के जेईई ने बताया कि सरकार की ओर से 3 करोड़ 45 लाख की लागत से कटाव निरोधी कार्य कराया जा रहा है. काम तेजी से होने के कारण अब कुछ ही दिन और लगेंगे. उन्होंने बताया कि काम अंतिम चरण में है. ग्रामीण इतने बड़े पैमाने पर हो रहे बाढ़ निरोधी कार्य का श्रेय यहां के स्थानीय युवा शक्ति के जिला अध्यक्ष चंदन सिंह को दे रहे हैं.

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