कटिहार: प्रकृति के सबसे करीब रहने वाले आदिवासी समुदाय ने अपने हक और अधिकारों के लिये आवाज उठायी है. उन्होंने पारंपरिक वेषभूषा में पदयात्रा का निकाली, जो शहर के कई मार्गों से होते हुए कटिहार रेलवे रालाराम इंस्टिट्यूट में जाकर सभा में तब्दील हो गयी. जहां कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे.
दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा
बताया गया कि इसका मुख्य उद्देश्य अपनी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली को बरकरार रखते हुए अपनी भाषा को सहेज कर रखना है. इस मौके पर मौजूद कार्यक्रम के संयोजक ने बताया कि आदिवासियों-मूलवासियों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है. यह देखना होगा कि जो संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान से मिले हैं, उसे इस समाज के लोग राज्य और देशहित में उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं. भारतीय संविधान के तहत आदिवासियों को धर्मांतरण बिल प्रावधान, जमीन अधिग्रहण बिल-2017 प्रावधान, जल-जंगल-जमीन पर परंपरागत अधिकार, पांचवी अनुसूची में वर्णित प्रावधान, ग्राम सभा का अधिकार, सीएनटी, एसपीटी एक्ट प्रावधान, वन अधिकार कानून और स्थानीय नीति के प्रावधान यह सब संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं.
शक्तियों का अभाव
लोगों ने बताया कि इस समुदाय का शोषण भी बहुत होता है, क्योंकि वे गरीब और मजदूर वर्ग से आते हैं. इस समुदाय के पास शक्तियों का अभाव है. इस वजह से ताकतवर लोग उनका शोषण करते हैं. यह एक बहुत बड़ी समस्या है. जिसे शिक्षा के जरिये ही दूर किया जा सकता है. ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जिससे इस समुदाय के हाथों में भी शक्तियां हों. वह अपने अधिकारों को समझ सकें और नये मुकाम हासिल कर सकें.