ETV Bharat / state

आदिवासियों ने पारंपरिक वेषभूषा में निकाली पदयात्रा, उठाई अधिकारों की आवाज - Katihar news

लोगों ने बताया कि इस समुदाय का शोषण भी बहुत होता है, क्योंकि वे गरीब और मजदूर वर्ग से आते हैं. इस समुदाय के पास शक्तियों का अभाव है. इस वजह से ताकतवर लोग उनका शोषण करते हैं.

कटिहार में आदिवासी समुदाय ने किया पदयात्रा
author img

By

Published : Aug 10, 2019, 9:33 AM IST

कटिहार: प्रकृति के सबसे करीब रहने वाले आदिवासी समुदाय ने अपने हक और अधिकारों के लिये आवाज उठायी है. उन्होंने पारंपरिक वेषभूषा में पदयात्रा का निकाली, जो शहर के कई मार्गों से होते हुए कटिहार रेलवे रालाराम इंस्टिट्यूट में जाकर सभा में तब्दील हो गयी. जहां कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे.

Katihar news
पदयात्रा के दौरान लोग

दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा
बताया गया कि इसका मुख्य उद्देश्य अपनी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली को बरकरार रखते हुए अपनी भाषा को सहेज कर रखना है. इस मौके पर मौजूद कार्यक्रम के संयोजक ने बताया कि आदिवासियों-मूलवासियों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है. यह देखना होगा कि जो संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान से मिले हैं, उसे इस समाज के लोग राज्य और देशहित में उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं. भारतीय संविधान के तहत आदिवासियों को धर्मांतरण बिल प्रावधान, जमीन अधिग्रहण बिल-2017 प्रावधान, जल-जंगल-जमीन पर परंपरागत अधिकार, पांचवी अनुसूची में वर्णित प्रावधान, ग्राम सभा का अधिकार, सीएनटी, एसपीटी एक्ट प्रावधान, वन अधिकार कानून और स्थानीय नीति के प्रावधान यह सब संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं.

कटिहार में आदिवासी समुदाय ने किया पदयात्रा

शक्तियों का अभाव
लोगों ने बताया कि इस समुदाय का शोषण भी बहुत होता है, क्योंकि वे गरीब और मजदूर वर्ग से आते हैं. इस समुदाय के पास शक्तियों का अभाव है. इस वजह से ताकतवर लोग उनका शोषण करते हैं. यह एक बहुत बड़ी समस्या है. जिसे शिक्षा के जरिये ही दूर किया जा सकता है. ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जिससे इस समुदाय के हाथों में भी शक्तियां हों. वह अपने अधिकारों को समझ सकें और नये मुकाम हासिल कर सकें.

कटिहार: प्रकृति के सबसे करीब रहने वाले आदिवासी समुदाय ने अपने हक और अधिकारों के लिये आवाज उठायी है. उन्होंने पारंपरिक वेषभूषा में पदयात्रा का निकाली, जो शहर के कई मार्गों से होते हुए कटिहार रेलवे रालाराम इंस्टिट्यूट में जाकर सभा में तब्दील हो गयी. जहां कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे.

Katihar news
पदयात्रा के दौरान लोग

दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा
बताया गया कि इसका मुख्य उद्देश्य अपनी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली को बरकरार रखते हुए अपनी भाषा को सहेज कर रखना है. इस मौके पर मौजूद कार्यक्रम के संयोजक ने बताया कि आदिवासियों-मूलवासियों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है. यह देखना होगा कि जो संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान से मिले हैं, उसे इस समाज के लोग राज्य और देशहित में उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं. भारतीय संविधान के तहत आदिवासियों को धर्मांतरण बिल प्रावधान, जमीन अधिग्रहण बिल-2017 प्रावधान, जल-जंगल-जमीन पर परंपरागत अधिकार, पांचवी अनुसूची में वर्णित प्रावधान, ग्राम सभा का अधिकार, सीएनटी, एसपीटी एक्ट प्रावधान, वन अधिकार कानून और स्थानीय नीति के प्रावधान यह सब संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं.

कटिहार में आदिवासी समुदाय ने किया पदयात्रा

शक्तियों का अभाव
लोगों ने बताया कि इस समुदाय का शोषण भी बहुत होता है, क्योंकि वे गरीब और मजदूर वर्ग से आते हैं. इस समुदाय के पास शक्तियों का अभाव है. इस वजह से ताकतवर लोग उनका शोषण करते हैं. यह एक बहुत बड़ी समस्या है. जिसे शिक्षा के जरिये ही दूर किया जा सकता है. ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जिससे इस समुदाय के हाथों में भी शक्तियां हों. वह अपने अधिकारों को समझ सकें और नये मुकाम हासिल कर सकें.

Intro:........ प्रकृति के सबसे करीब रहने वाले आदिवासी समुदाय ने अपने हक और हुकूक के लिये की आवाजें बुलंद .....। पारंपरिक भेषभूषा में निकाला पदयात्रा और कहा कि आदिवासी अपनी भाषा , संस्कृति , परंपरा और जीवन शैली को बरकरार रखते हुए अपनी भाषा को सहेज कर रखना हमारी जिम्मेदारी.......।


Body:यह दृश्य कटिहार का हैं जहाँ आदिवासियों ने अपने हक और हुक़ूक़ के लिये पदयात्रा का आयोजन किया हैं .....। इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक चम्पई किस्कू ने बताया कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम आदिवासी - मूलवासी लोगों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करें ....। हम यह देखें कि जो संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान ने हमें दिया है इसे अपने समाज - राज्य और देश - हित में उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं .....। चाहे जल -जंगल - जमीन पर परंपरागत अधिकार हो पांचवी अनुसूची में वर्णित प्रावधान हो , ग्राम सभा का अधिकार हो , सीएनटी , एसपीटी एक्ट के प्रावधान हो , वन अधिकार कानून हो या फिर स्थानीय नीति के प्रावधान हों , हम देखें कि धर्मांतरण बिल के प्रावधान और जमीन अधिग्रहण बिल - 2017 के प्रावधानों ने कितना हित किया गया है .......। उन्होंने बताया कि आदिवासी समुदाय का शोषण भी बहुत होता है क्योंकि वह गरीब और मजदूर वर्ग के लोग हैं ....। आदिवासी समुदाय के पास शक्तियों का अभाव है इसलिये ताकतवर लोग उनका शोषण करते हैं....। यह एक बड़ी बहुत बड़ी समस्या है जिसे शिक्षा के जरिये ही दूर किया जा सकता है .....। वहाँ कानून ऐसे बनाने चाहिए ताकि आदिवासी समुदायों के हाथों में भी शक्तियाँ हो और वह अधिकारों को समझ सके , हासिल कर सके और इससे आदिवासी समुदायों को ताकत मिलेगी , वह काम करेंगे........।


Conclusion:यह पदयात्रा पूरे शहर घूमते हुए कटिहार रेलवे रालाराम इंस्टिट्यूट में जाकर सभा में परिणत हो गया और वक्ताओं ने अपने - अपने विचार रखें ......।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.