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कटिहार: बाढ़ के पानी में डूबे खेत-खलिहान, मवेशियों के चारे के लिए परेशान हैं किसान - कटिहार

पशुपालकों ने कहा कि बाढ़ के पानी में डूब जाने के कारण हरी घास सूख चुकी है. पशुपालकों के सामने पशुचारा की घोर किल्लत सामने आ रही है. पशुपालन अब गंभीर चुनौती बन गई है. किसानों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई.

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Published : Aug 8, 2020, 5:21 PM IST

कटिहार: बिहार में अभी बाढ़ का प्रलय थमा नही हैं. बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ खेत में लगी फसल पानी में डूब चुके हैं. क्षेत्र के पशुपालक पशु चारा की किल्लत से बेहद परेशान हैं. पशुपालकों ने कहा कि बाढ़ के पानी में डूब जाने के कारण हरी घास सूख चुकी है. पशुओं को भरपेट आहार नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से पशुओं की जान पर आफत आ गई है. किसानों की मानें तो इस मुसीबत की घड़ी में अब तक कोई सरकारी सहयोग नहीं पाया है.

निचले इलाके में फैला बाढ़ का पानी
पशुपालक अब्दुल हलीम और मो. कलामुद्दीन ने बताया कि इलाके में अभी भी गंगा, कोसी और महानंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इन नदियों का पानी निचले इलाके में पूरी तरह से फैल चुका है. खेत-खलिहान सभी डूब चुके हैं. हम लोग किसी तरह से पशुओं के साथ ऊंचे स्थान पर शरण लिये हुए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जिला प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
पशुपालकों ने कहा कि बाढ़ के पानी मे डूब जाने के कारण हरी घास सुख चुकी है. पशुपालकों के सामने पशुचारा की घोर किल्लत सामने आ रही है. पशुपालन अब गंभीर चुनौती बन गई है. किसी तरह से पशुओं को कुछ सूखा भूसा खिला रहे हैं. किसानों ने बताया कि हमलोग किसी तरह से भूखे पेट भी सो जाते हैं, लेकिन पशुओं को कैसे समझाएं कुछ समझ में नहीं आ रहा है. लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई.

कटिहार में बाढ़ से 7 प्रखंड प्रभावित
गौरतलब है कि जिले में बाढ़ के कारण 7 प्रखंड प्रभावित हैं. बाढ़ के पानी के कारण इलाके के खेत-खलिहान जलमग्न हो चुके हैं. इसका सबसे ज्यादा असर बेजुबान जानवरों पर हो रहा है. किसान बाजार से किसी तरह अपने पशुधन को सूखा भूसा खरीदकर खिला रहे हैं. वहीं, इन सब से इतर जिला पशुपालन विभाग के अधिकारी अभी भी गहरी नींद में सोए हैं.

कटिहार: बिहार में अभी बाढ़ का प्रलय थमा नही हैं. बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ खेत में लगी फसल पानी में डूब चुके हैं. क्षेत्र के पशुपालक पशु चारा की किल्लत से बेहद परेशान हैं. पशुपालकों ने कहा कि बाढ़ के पानी में डूब जाने के कारण हरी घास सूख चुकी है. पशुओं को भरपेट आहार नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से पशुओं की जान पर आफत आ गई है. किसानों की मानें तो इस मुसीबत की घड़ी में अब तक कोई सरकारी सहयोग नहीं पाया है.

निचले इलाके में फैला बाढ़ का पानी
पशुपालक अब्दुल हलीम और मो. कलामुद्दीन ने बताया कि इलाके में अभी भी गंगा, कोसी और महानंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इन नदियों का पानी निचले इलाके में पूरी तरह से फैल चुका है. खेत-खलिहान सभी डूब चुके हैं. हम लोग किसी तरह से पशुओं के साथ ऊंचे स्थान पर शरण लिये हुए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जिला प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
पशुपालकों ने कहा कि बाढ़ के पानी मे डूब जाने के कारण हरी घास सुख चुकी है. पशुपालकों के सामने पशुचारा की घोर किल्लत सामने आ रही है. पशुपालन अब गंभीर चुनौती बन गई है. किसी तरह से पशुओं को कुछ सूखा भूसा खिला रहे हैं. किसानों ने बताया कि हमलोग किसी तरह से भूखे पेट भी सो जाते हैं, लेकिन पशुओं को कैसे समझाएं कुछ समझ में नहीं आ रहा है. लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई.

कटिहार में बाढ़ से 7 प्रखंड प्रभावित
गौरतलब है कि जिले में बाढ़ के कारण 7 प्रखंड प्रभावित हैं. बाढ़ के पानी के कारण इलाके के खेत-खलिहान जलमग्न हो चुके हैं. इसका सबसे ज्यादा असर बेजुबान जानवरों पर हो रहा है. किसान बाजार से किसी तरह अपने पशुधन को सूखा भूसा खरीदकर खिला रहे हैं. वहीं, इन सब से इतर जिला पशुपालन विभाग के अधिकारी अभी भी गहरी नींद में सोए हैं.

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