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कटिहार: बड़े साहबों की खातिरदारी कर परेशान हैं पुलिसकर्मी, सुनिए दुख भरी दास्तां - Bihar Military Police news

बिहार सैन्य पुलिस के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रुप में नियुक्त अधिकारी बड़े साहबों के किचन मेंटेन और अन्य कार्यों में लगे हैं. यहां तक की जब अधिकारियों का तबादला होता है तो वह अपने साथ इन कर्मचारियों को भी ले जाते हैं.

पुलिस कर्मचारी
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Published : Aug 18, 2019, 9:09 AM IST

Updated : Aug 18, 2019, 9:19 AM IST

कटिहार: जिले में पुलिस विभाग में आपसी कलह देखने को मिल रही हैं. पुलिसकर्मी यहां अपने सीनियर्स अधिकारियों से परेशान हैं. बिहार सैन्य पुलिस के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रुप में नियुक्त अधिकारी बड़े साहबों के किचन मेंटेन और अन्य कार्यों में लगे हैं. इससे परेशान कर्मचारियों की समस्या सुनने वाला कोई भी नहीं है.

दरअसल, पूरा मामला बिहार सैन्य पुलिस के कटिहार शाखा का है. यहां जवान अपने सीनियर्स के करतूतों से परेशान हैं. इनकी परेशानी ऐसी कि कोई भी इस जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहा है.

katihar
बिहार पुसिस कर्मचारी संघ कार्यालय का बोर्ड

संघ कर्मचारी का बयान
बिहार सैन्य पुलिस चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के कटिहार जिला अध्यक्ष निरंजन कुमार बताते हैं यहां लोग बिहार सैन्य पुलिस में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति रसोइया, जलवाहक, झाडूकश जैसे पदों पर हुई है. पद के अनुसार इन सभी का काम बंटा हुआ है. लेकिन, समस्या यह है कि जो सबसे अच्छा भोजन पकाता है. उसे कोई ना कोई अधिकारी अपने साथ घर पर बुला लेते हैं. वहां कोई किचेन संभालता है तो कोई दूसरा काम देखता है. उन्होंने कहा कि इन साहबों का जब कटिहार से दूसरे जिलों में तबादला होता है तो वह अपने साथ ही इस कर्मचारियों को भी ले जाते हैं.

अधिकारियों के सामने बेबस कर्मचारी
वहीं, संघ के जिला मंत्री नारायण केवट ने बताया कि छोटे पद पर होने के कारण कोई भी अधिकारियों के सामने अपनी जुबान नहीं खोल पाता है. हमलोगों का पद भी कुछ इसी तरह का है कि लोग इसी नजर से देखते हैं. जबकि ड्यूटी केवल जवानों के मेस का भोजन तैयार करना हैं ना कि बड़े साहबों के यहां सेवा देना.

पेश है रिपोर्ट

मेस कर्मचारी की परेशानी
इस बाबत मेस कर्मचारी बलदेव पासवान ने कहा कि उनकी नियुक्ति यहां मेस में हुई थी. उनकी आंखों में परेशानी थी. जब उन्होंने इस बात की जिक्र अपने अधिकारी से किया तो उन्हें पहले रिपोर्ट करने को कहा गया. उसके बाद उन्हें फौरन ड्यूटी पर जाने का आदेश दिया गया. बलदेव पासवान का कहना है कि अधिकारियों की तानाशाही से वह काफी परेशान हैं और उनकी सुनने वाला यहां कोई नहीं है.

क्या है प्रावधान ?
बता दें कि बिहार सैन्य पुलिस में रसोइया, खानसामा, झाडूकश जैसे पदों की नियुक्ति के लिये जवानों की सीधी नियुक्ति होती है. जिसका सेवा पुलिस लाइन में चल रहे मेस में देना होता है. इसमें कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जिसे बंगलों पर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मिलने का प्रावधान हैं. लेकिन, आईपीएस या बीपीएस जैसे स्टील बॉडी जब जिलों में तैनाती होती है तो मिले प्रावधानों के तहत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मिलते हैं. लेकिन, उक्त अधिकारियों का जब तबादला हो जाता है तो वह इन्हें मुक्त करने के बजाय अपने साथ लेते चले जाते हैं.

कटिहार: जिले में पुलिस विभाग में आपसी कलह देखने को मिल रही हैं. पुलिसकर्मी यहां अपने सीनियर्स अधिकारियों से परेशान हैं. बिहार सैन्य पुलिस के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रुप में नियुक्त अधिकारी बड़े साहबों के किचन मेंटेन और अन्य कार्यों में लगे हैं. इससे परेशान कर्मचारियों की समस्या सुनने वाला कोई भी नहीं है.

दरअसल, पूरा मामला बिहार सैन्य पुलिस के कटिहार शाखा का है. यहां जवान अपने सीनियर्स के करतूतों से परेशान हैं. इनकी परेशानी ऐसी कि कोई भी इस जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहा है.

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बिहार पुसिस कर्मचारी संघ कार्यालय का बोर्ड

संघ कर्मचारी का बयान
बिहार सैन्य पुलिस चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के कटिहार जिला अध्यक्ष निरंजन कुमार बताते हैं यहां लोग बिहार सैन्य पुलिस में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति रसोइया, जलवाहक, झाडूकश जैसे पदों पर हुई है. पद के अनुसार इन सभी का काम बंटा हुआ है. लेकिन, समस्या यह है कि जो सबसे अच्छा भोजन पकाता है. उसे कोई ना कोई अधिकारी अपने साथ घर पर बुला लेते हैं. वहां कोई किचेन संभालता है तो कोई दूसरा काम देखता है. उन्होंने कहा कि इन साहबों का जब कटिहार से दूसरे जिलों में तबादला होता है तो वह अपने साथ ही इस कर्मचारियों को भी ले जाते हैं.

अधिकारियों के सामने बेबस कर्मचारी
वहीं, संघ के जिला मंत्री नारायण केवट ने बताया कि छोटे पद पर होने के कारण कोई भी अधिकारियों के सामने अपनी जुबान नहीं खोल पाता है. हमलोगों का पद भी कुछ इसी तरह का है कि लोग इसी नजर से देखते हैं. जबकि ड्यूटी केवल जवानों के मेस का भोजन तैयार करना हैं ना कि बड़े साहबों के यहां सेवा देना.

पेश है रिपोर्ट

मेस कर्मचारी की परेशानी
इस बाबत मेस कर्मचारी बलदेव पासवान ने कहा कि उनकी नियुक्ति यहां मेस में हुई थी. उनकी आंखों में परेशानी थी. जब उन्होंने इस बात की जिक्र अपने अधिकारी से किया तो उन्हें पहले रिपोर्ट करने को कहा गया. उसके बाद उन्हें फौरन ड्यूटी पर जाने का आदेश दिया गया. बलदेव पासवान का कहना है कि अधिकारियों की तानाशाही से वह काफी परेशान हैं और उनकी सुनने वाला यहां कोई नहीं है.

क्या है प्रावधान ?
बता दें कि बिहार सैन्य पुलिस में रसोइया, खानसामा, झाडूकश जैसे पदों की नियुक्ति के लिये जवानों की सीधी नियुक्ति होती है. जिसका सेवा पुलिस लाइन में चल रहे मेस में देना होता है. इसमें कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जिसे बंगलों पर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मिलने का प्रावधान हैं. लेकिन, आईपीएस या बीपीएस जैसे स्टील बॉडी जब जिलों में तैनाती होती है तो मिले प्रावधानों के तहत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मिलते हैं. लेकिन, उक्त अधिकारियों का जब तबादला हो जाता है तो वह इन्हें मुक्त करने के बजाय अपने साथ लेते चले जाते हैं.

Intro:.......कटिहार में वर्दी वाले ......वर्दीवाले से हैं परेशान .....। ड्यूटी का कमान कहीं का और काम लिया जा रहा हैं कहीं और .....। बेगारी ड्यूटी करने को किया जाता हैं मजबूर .....। जी हाँ , यह दर्द हैं उनलोगों के जिसकी नियुक्ति बिहार सैन्य पुलिस के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में हुई हैं लेकिन काम के नाम पर यह सभी बड़े साहबों के किचेन मेंटेन और अन्य कार्यों में तैनात हैं .....। खास बात यह कि कोई भी इस बात पर अपना ऐतराज जतायेगा तो उसकी......सस्पेंशन से लेकर पनिशमेंट के साथ गाज गिरना तय हैं........।


Body:दरअसल , पूरा मामला बिहार सैन्य पुलिस के कटिहार शाखा का हैं जहाँ जवान अपने सीनियर के करतूतों से परेशान हैं .....। इसकी परेशानी ऐसी कि कोई भी इस जुल्म के खिलाफ अपनी मुँह नहीं खोल सकता.....। बिहार सैन्य पुलिस चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष और मंत्री अपने कर्मियों पर बड़े साहबों द्वारा हो रहे जुल्म की दास्ताँ बयां कर रहे हैं । दरअसल , यह लोग बिहार सैन्य पुलिस में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं और इसकी नियुक्ति रसोइया , जलवाहक , झाडूकश जैसे पदों पर हुई हैं । पद के अनुसार इस सभी का काम बंटा हुआ हैं लेकिन इसकी समस्या यह हैं कि जो सबसे अच्छा भोजन पकाता हैं , उसे कोई ना कोई साहब अपने साथ कोठी पर मंगा लेते हैं ....। वहाँ कोई किचेन संभालता हैं तो कोई अन्य दूसरा काम ....। बात इतनी तक ही खत्म नहीं होती , इस साहबों की जब कटिहार से दूसरे जिलों में तबादला होता हैं तो साहब अपने साथ ही इस कर्मचारियों को दूसरे जिले भी ले जाते हैं ......। इस वाकये में कई जिलों के पुलिस अधीक्षक और सेवानिवृत पुलिस पदाधिकारी भी शामिल हों ....जिसके साथ पुलिस और इस तरह कर्मी काम कर रहें हैं .....। जरा आप खुद भी सुनिये बिहार सैन्य पुलिस चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के कटिहार जिला अध्यक्ष निरंजन कुमार बताते हैं कि समस्या क्या हैं और क्या परेशानी हैं .....। संघ के जिला मंत्री नारायण केवट बताते हैं कि छोटा कर्मचारी होने के कारण कोई भी अधिकारियों के सामने अपनी जुबान नहीं खोल पाता हैं और दूसरा हमलोगों का पद भी कुछ इसी तरह का हैं कि लोग इसी नजर से देखते हैं जबकि अपनी ड्यूटी केवल जवानों के मेस का भोजन तैयार करना हैं ना कि बड़े साहबों के यहाँ सेवा देना .....। जितेन्द्र पासवान बताते हैं कि उसकी आँखोँ की समस्या का जब उसने बाबुओं के सामने जिक्र किया तो लोगों का नजरिया कुछ ऐसा था मानो हम ड्यूटी करने में बहानेबाजी कर आनाकाना कर रहे हैं ......।


Conclusion:बिहार सैन्य पुलिस में रसोइया , खानसामा , झाडूकश जैसे पदों के नियुक्ति के लिये जवानों की सीधी नियुक्ति होती हैं जिसकी सेवा पुलिस लाइन में चल रहे मेस में सेवा देना हैं । इसमें कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जिसे बंगलों पर चतुर्थवर्गीय कर्मचारी मिलने का प्रावधान हैं लेकिन आईपीएस या बीपीएस जैसे स्टील बॉडी जब जिलों में तैनाती होती हैं तो मिले प्रावधानों के तहत चतुर्थवर्गीय कर्मचारी मिलते हैं लेकिन उक्त अधिकारियों का जब तबादला हो जाता हैं तो वह इन्हें मुक्त करने के बजाय अपने साथ लेते चले जाते हैं जिससे यह उसी के हो जाते हैं और पुलिस लाइन खाली होता चला जाता हैं और यह कमोवेश जिला से लेकर राज्य पुलिस लाइन से लेकर पटना तक के पुलिस लाइनों का कमोवेश यही दर्द - ए - दास्ताँ हैं ....। अनुशासन की आड़ में कोई अपनी जुबान नहीं खोल सकता और सेवा देना जरूरी हैं .....। मजे की बात यह हैं कि इस प्रथा या सिस्टम के खिलाफ कोई अधिकारी अपनी जुबान कतई नहीं खोलता , जिस कारण यह जवान बंधुआ मजदूर की तरह बन जाते हैं और तिल - तिल कर घूँटते रहते हैं .....। अच्छा तो यह होता कि विभाग के उच्च अधिकारी इसपर ध्यान देते तो कुछ फलसफा निकलता ......।
Last Updated : Aug 18, 2019, 9:19 AM IST
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