कटिहार: जिले में पुलिस विभाग में आपसी कलह देखने को मिल रही हैं. पुलिसकर्मी यहां अपने सीनियर्स अधिकारियों से परेशान हैं. बिहार सैन्य पुलिस के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रुप में नियुक्त अधिकारी बड़े साहबों के किचन मेंटेन और अन्य कार्यों में लगे हैं. इससे परेशान कर्मचारियों की समस्या सुनने वाला कोई भी नहीं है.
दरअसल, पूरा मामला बिहार सैन्य पुलिस के कटिहार शाखा का है. यहां जवान अपने सीनियर्स के करतूतों से परेशान हैं. इनकी परेशानी ऐसी कि कोई भी इस जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहा है.
संघ कर्मचारी का बयान
बिहार सैन्य पुलिस चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के कटिहार जिला अध्यक्ष निरंजन कुमार बताते हैं यहां लोग बिहार सैन्य पुलिस में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति रसोइया, जलवाहक, झाडूकश जैसे पदों पर हुई है. पद के अनुसार इन सभी का काम बंटा हुआ है. लेकिन, समस्या यह है कि जो सबसे अच्छा भोजन पकाता है. उसे कोई ना कोई अधिकारी अपने साथ घर पर बुला लेते हैं. वहां कोई किचेन संभालता है तो कोई दूसरा काम देखता है. उन्होंने कहा कि इन साहबों का जब कटिहार से दूसरे जिलों में तबादला होता है तो वह अपने साथ ही इस कर्मचारियों को भी ले जाते हैं.
अधिकारियों के सामने बेबस कर्मचारी
वहीं, संघ के जिला मंत्री नारायण केवट ने बताया कि छोटे पद पर होने के कारण कोई भी अधिकारियों के सामने अपनी जुबान नहीं खोल पाता है. हमलोगों का पद भी कुछ इसी तरह का है कि लोग इसी नजर से देखते हैं. जबकि ड्यूटी केवल जवानों के मेस का भोजन तैयार करना हैं ना कि बड़े साहबों के यहां सेवा देना.
मेस कर्मचारी की परेशानी
इस बाबत मेस कर्मचारी बलदेव पासवान ने कहा कि उनकी नियुक्ति यहां मेस में हुई थी. उनकी आंखों में परेशानी थी. जब उन्होंने इस बात की जिक्र अपने अधिकारी से किया तो उन्हें पहले रिपोर्ट करने को कहा गया. उसके बाद उन्हें फौरन ड्यूटी पर जाने का आदेश दिया गया. बलदेव पासवान का कहना है कि अधिकारियों की तानाशाही से वह काफी परेशान हैं और उनकी सुनने वाला यहां कोई नहीं है.
क्या है प्रावधान ?
बता दें कि बिहार सैन्य पुलिस में रसोइया, खानसामा, झाडूकश जैसे पदों की नियुक्ति के लिये जवानों की सीधी नियुक्ति होती है. जिसका सेवा पुलिस लाइन में चल रहे मेस में देना होता है. इसमें कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जिसे बंगलों पर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मिलने का प्रावधान हैं. लेकिन, आईपीएस या बीपीएस जैसे स्टील बॉडी जब जिलों में तैनाती होती है तो मिले प्रावधानों के तहत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मिलते हैं. लेकिन, उक्त अधिकारियों का जब तबादला हो जाता है तो वह इन्हें मुक्त करने के बजाय अपने साथ लेते चले जाते हैं.