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बाढ़ की विभीषिका: नहीं हो पाई सड़कों की मरम्मत, जान जोखिम में डाल लोग बांस के पुल पर कर रहे आवागमन - Demand to repair the road as soon as possible

स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने से काफी परेशानी हो रही है. युवा तो किसी तरह बांस पार कर जाते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों को होती है. रात के अंधेरे में समस्या और भी बढ़ जाती है.

जान जोखिम में डालकर आवागमन करते लोग
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Published : Aug 28, 2019, 8:42 AM IST

कटिहार: बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का सामाधान किये जाने को लेकर प्रशासन लाख दावे कर ले, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. लोगों की परेशानी जस की तस बनी हुई है. इलाके में पानी तो घटा है, लेकिन मुसीबत बढ़ गयी है. कटिहार जिला मुख्यालय से महज पन्द्रह किलोमीटर दूर सैलाबजदा इलाके में लोगों के आवागमन के लिये सड़क की सुविधा नहीं है. खुद से चचरी पुल बनाकर लोग आवागमन कर रहे हैं.

बिहार के कई जिलों मे आई बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई. लाखों लोग बेघर हो गये. सड़क टूट जाने से एक गांव से दूसरे गांव का संपर्क टूट गया. जिला प्रशासन तो बाढ़ में टूटे हुए सभी सड़कों की मरम्मत हो जाने का दावा करती है. लेकिन सहजा पंचायत के हावर गांव में लोग चचरी पुल के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं.

katihar
सड़क नहीं होने से बढ़ी परेशानी

जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे ग्रामीण
बाढ़ से काफी क्षति हुई है, खेत-खलिहान में पानी घुस गया, सारे फसल नष्ट हो गये. घर में पानी घुस जाने से सारा सामान पानी में बह गया. जगह-जगह सड़कें कट गयी. जलस्तर घट जाने के बावजूद टूटी हुई सड़कों पर पानी लगा है. ग्रामीणों को आने जाने में काफी परेशानी हो रही है. किसी तरह चचरी पुल के सहारे आना जाना हो रहा है. लेकिन यह काफी जोखिम भरा है. अगर जरा भी संतुलन बिगड़ तो गहरे पानी में गिर सकते हैं.

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अबतक नहीं हुई सड़क की मरम्मत

सड़क जल्द से जल्द मरम्मत करने की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. युवा तो किसी तरह बांस पार कर जाते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों को होती है. रात के अंधेरे में समस्या और भी बढ़ जाती है. अंधेरों में टटोलकर बांस पार करना पड़ता है. इनका कहना है कि दूसरा कोई उपाय नहीं है, क्योंकि गांव में आने-जाने का एकमात्र यही रास्ता है. इनकी मांग है कि सड़कों की जल्द से जल्द मरम्मत की जाये.

जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे लोग

क्या कहती हैं जिला पदाधिकारी
मामले पर जिला पदाधिकारी पुनम कुमारी का कहना है कि सड़क मरम्मत का काम पूरी तत्परता से किया जा रहा है. इंजीनियरों को काम में लगाया गया है. कई पंचायतों में सड़क मरम्मत का कार्य पूरा हो चुका है. जो शेष बचे है वहां भी दो तीन दिनों में काम पूरा करने का आदेश दिया गया है.

कटिहार: बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का सामाधान किये जाने को लेकर प्रशासन लाख दावे कर ले, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. लोगों की परेशानी जस की तस बनी हुई है. इलाके में पानी तो घटा है, लेकिन मुसीबत बढ़ गयी है. कटिहार जिला मुख्यालय से महज पन्द्रह किलोमीटर दूर सैलाबजदा इलाके में लोगों के आवागमन के लिये सड़क की सुविधा नहीं है. खुद से चचरी पुल बनाकर लोग आवागमन कर रहे हैं.

बिहार के कई जिलों मे आई बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई. लाखों लोग बेघर हो गये. सड़क टूट जाने से एक गांव से दूसरे गांव का संपर्क टूट गया. जिला प्रशासन तो बाढ़ में टूटे हुए सभी सड़कों की मरम्मत हो जाने का दावा करती है. लेकिन सहजा पंचायत के हावर गांव में लोग चचरी पुल के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं.

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सड़क नहीं होने से बढ़ी परेशानी

जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे ग्रामीण
बाढ़ से काफी क्षति हुई है, खेत-खलिहान में पानी घुस गया, सारे फसल नष्ट हो गये. घर में पानी घुस जाने से सारा सामान पानी में बह गया. जगह-जगह सड़कें कट गयी. जलस्तर घट जाने के बावजूद टूटी हुई सड़कों पर पानी लगा है. ग्रामीणों को आने जाने में काफी परेशानी हो रही है. किसी तरह चचरी पुल के सहारे आना जाना हो रहा है. लेकिन यह काफी जोखिम भरा है. अगर जरा भी संतुलन बिगड़ तो गहरे पानी में गिर सकते हैं.

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अबतक नहीं हुई सड़क की मरम्मत

सड़क जल्द से जल्द मरम्मत करने की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. युवा तो किसी तरह बांस पार कर जाते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों को होती है. रात के अंधेरे में समस्या और भी बढ़ जाती है. अंधेरों में टटोलकर बांस पार करना पड़ता है. इनका कहना है कि दूसरा कोई उपाय नहीं है, क्योंकि गांव में आने-जाने का एकमात्र यही रास्ता है. इनकी मांग है कि सड़कों की जल्द से जल्द मरम्मत की जाये.

जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे लोग

क्या कहती हैं जिला पदाधिकारी
मामले पर जिला पदाधिकारी पुनम कुमारी का कहना है कि सड़क मरम्मत का काम पूरी तत्परता से किया जा रहा है. इंजीनियरों को काम में लगाया गया है. कई पंचायतों में सड़क मरम्मत का कार्य पूरा हो चुका है. जो शेष बचे है वहां भी दो तीन दिनों में काम पूरा करने का आदेश दिया गया है.

Intro:.......प्रशासन लाख दावे कर लें लेकिन बाढ़ पीड़ित इलाके के लोगों की परेशानी पानी घटने के बाद भी जस की तस बनी हुई हैं ....। इलाके में पानी तो घटा हैं लेकिन मुसीबत बढ़ गयी हैं .....। आईये , आज हम आपको कटिहार जिला मुख्यालय से महज पन्द्रह किलोमीटर दूर सैलाबजदा इलाके की तस्वीर दास्ताँ हैं जहाँ सैलाब के थपेड़ों ने सड़क को लील लिया लेकिंन स्थानीय ग्रामीण उसपर बाँस - बल्लम के जरिये पैदल चलने को मजबूर हैं । मजे की बात यह हैं कि जिला प्रशासन फ्लड से तबाह हुए सभी सड़कों के मरम्मत कर चुकने का दावा करता हैं ......।


Body:दरअसल , यह दास्ताँ जिला मुख्यालय से पन्द्रह किलोमीटर दूर सहजा पंचायत के हावर गाँव का हैं जहाँ बीते दिनों आये बाढ़ ने इलाके में जमकर तबाही मचायी .....। लोगों के खेत - खलियान से लेकर घरों के अंदर तक पानी घुस आया .....। काफी कुछ क्षति हुआ ....। खेतों में लगे धान के पौधे गल गये वहीं घरों में पानी घुस जाने से लोगों को सामान का भी काफी नुकसान हुआ .... । पानी के करेंट में जगह - जगह सड़कें कट गयी और आज भी जल स्तर घट जाने के बाबजुद उक्त कटिंग पर पानी लगा हैं ....। ग्रामीणों को चलने में हो रही दिक्कतों के बाद लोगों ने उक्त कटिंग पर किसी तरह बाँस - बल्लम के जरिये आवाजाही करते हैं लेकिन आप जरा खुद ही देखिये , कि किस कदर यह जोखिमभरा हैं .....। जरा सा संतुलन गड़बड़ाया तो गये गहरे पानी मे .....। स्थानीय ग्रामीण अबुल कलाम आजाद बताते हैं कि लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती हैं । खासकर बुजुर्गों , बच्चे और महिलाओं को , युवा लोग तो किसी तरह बाँस को पार कर जाते हैं लेकिन उक्त बुजुर्गो , महिलाओं ने चलना कम कर दिया हैं । रात के अंधेरे में समस्या और भी बढ़ जाती हैं जब अंधेरों में टटोलकर बाँस पार करना पड़ता हैं .......। स्थानीय ग्रामीण बाबर बताते हैं गांव में आने - जाने का एकमात्र रास्ता यही हैं और एक किलोमीटर के मिट्टी के रास्ते मे दो जगह ऐसे जानलेवा कटिंग हैं .....। कटिहार के जिला पदाधिकारी पूनम बताती हैं कि जिस इलाके में बाढ़ से सड़क तबाह हुआ हैं , वहाँ जल्द से जल्द मरम्मत के आदेश दिये गये हैं .......।


Conclusion:बाढ़ के पानी हटने के बाद तबाही का तस्वीर आनी शुरू हो गयी हैं । जहाँ बड़े पैमाने पर सड़क तबाह हुए थे , आवागमन ठप्प था.... वैसे कुछेक जगहों पर , जो बड़े चैलेंज थे , उसपर सड़क आवागमन बहाल कर बाकी के इलाकों को जिला प्रशासन ने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया हैं जिससे लोग जैसे - तैसे जान जोखिम में डाल कर चलने को मजबूर हैं .....। उम्मीद की जानी चाहिये कि जिला प्रशासन जल्द से जल्द मामले को संज्ञान में लेकर बदहाल ग्रामीण सड़कों को दुरुस्त करवायेगा .....।
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