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कटिहार: मनिहारी गंगा नदी के तट पर नहीं है शवदाह गृह, लोगों को होती है परेशानी - शवदाह गृह

जिले के मनिहारी गंगा नदी के तट पर अभी तक शवदाह गृह का निर्माण नहीं हो पाया है. इससे इलाके के लोगों को काफी परेशानी होती है. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द शवदाह गृह का निर्माण कराने की मांग की है.

Katihar
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Published : Aug 26, 2020, 6:43 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 5:46 PM IST

कटिहार: जिले के मनिहारी गंगा नदी तट हर रोज दर्जनों शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी का किनारा शवों के अंतिम संस्कार का सबसे उत्तम क्षेत्र माना जाता है. इससे मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन जिले के गंगा नदी के तट पर अभी तक शवदाह गृह का निर्माण नहीं हो पाया है.

लोगों को यहां अपने परिजनों के दाह संस्कार में काफी दिक्कतें होती है. यहां एक भी शवदाह गृह नहीं है. लोग जैसे-तैसे खुले आसमान के नीचे शव का संस्कार करते हैं. स्थानीय विष्णु शाण्डिल्य ने बताया कि शव का अंतिम संस्कार करने के लिए यहां काफी परेशानी होती है. यहां कोई शेड का इंतजाम नहीं है. इससे परिजनों के साथ शवों को जलाने में परेशानी होती है.

देखें रिपोर्ट

बाढ़ के दिनों में शवदाह का नहीं रहता है ठिकाना
स्थानीय करन मानस ने बताया कि आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी गंगा किनारे एक शवदाहगृह का निर्माण नहीं हो पाया है. बारिश के दिनों में और भी बुरा हाल हो जाता है. उन्होंने बताया कि मनिहारी गंगा नदी तट पर सिर्फ कटिहार जिले के लोग ही नहीं पहुंचते हैं. बल्कि आसपास के पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल जैसे जिलों के लोग भी शव के अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द शवदाह गृह का निर्माण कराने की मांग की है.

कटिहार: जिले के मनिहारी गंगा नदी तट हर रोज दर्जनों शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी का किनारा शवों के अंतिम संस्कार का सबसे उत्तम क्षेत्र माना जाता है. इससे मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन जिले के गंगा नदी के तट पर अभी तक शवदाह गृह का निर्माण नहीं हो पाया है.

लोगों को यहां अपने परिजनों के दाह संस्कार में काफी दिक्कतें होती है. यहां एक भी शवदाह गृह नहीं है. लोग जैसे-तैसे खुले आसमान के नीचे शव का संस्कार करते हैं. स्थानीय विष्णु शाण्डिल्य ने बताया कि शव का अंतिम संस्कार करने के लिए यहां काफी परेशानी होती है. यहां कोई शेड का इंतजाम नहीं है. इससे परिजनों के साथ शवों को जलाने में परेशानी होती है.

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बाढ़ के दिनों में शवदाह का नहीं रहता है ठिकाना
स्थानीय करन मानस ने बताया कि आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी गंगा किनारे एक शवदाहगृह का निर्माण नहीं हो पाया है. बारिश के दिनों में और भी बुरा हाल हो जाता है. उन्होंने बताया कि मनिहारी गंगा नदी तट पर सिर्फ कटिहार जिले के लोग ही नहीं पहुंचते हैं. बल्कि आसपास के पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल जैसे जिलों के लोग भी शव के अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द शवदाह गृह का निर्माण कराने की मांग की है.

Last Updated : Sep 20, 2020, 5:46 PM IST
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