कटिहार: वर्ष 1973 में 2 अक्टूबर को पूर्णिया से अलग होकर कटिहार स्वतंत्र जिला के रूप में अस्तित्व में आया. गंगा, कोसी, महानंदा व कई सहायक नदियों के मुहाने पर बसा कटिहार जिला आज 47 वर्ष का हो गया है. हालांकि, इन 47 वर्षों में जितना विकास कटिहार जिला को होना चाहिए था वैसा नहीं हुआ. बावजूद इसके अन्य जिलों की तुलना में कटिहार संप्रदायिक सौहार्द एवं आपसी भाईचारे के मूल्यों को कायम रखते हुए विकास के पथ पर बढ़ने को आतुर है.
बाढ़ से त्रस्त कटिहार
विकास के पथ पर आगे बढ़ने के साथ-साथ कटिहार जिला को कई तरह की त्रासदी झेलनी पड़ती है. हर वर्ष ये जिला बाढ़ और कटाव का दंश झेलता है, जिले के करीब 50,000 की आबादी आज भी रेलवे लाइन के किनारे शरण लेने को मजबूर है. कभी कटिहार जिला देशभर में औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब उद्योग के नाम पर विरानगी की स्थिति बनी हुई है. एक से एक दिग्गज जनप्रतिनिधि होने के बावजूद उद्योग नगरी के रूप में चर्चित कटिहार उद्योग के मानचित्र से गायब हो चुका है. दो जूट मिल, दियासलाई फैक्ट्री, फ्लावर मिल सहित कई तरह के उद्योग कटिहार में स्थापित थे पर आज उद्योग के मामले में कटिहार पूरी तरह वीरान है.
कटिहार में लगभग 31 लाख की आबादी
3056 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले कटिहार जिले में वर्तमान में जिले के कुल आबादी 30,68,149 है और जिले की साक्षरता दर 53.56% है. जिले में कुल 3 अनुमंडल,16 प्रखंड, 16 अंचल, सात विधानसभा, एक लोक सभा, एक नगर निगम, दो नगर पंचायत, 235 ग्राम पंचायत, चार महाविद्यालय, एक मेडिकल कॉलेज (निजी), एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक पॉलिटेक्निक कॉलेज एक सदर अस्पताल दो अनुमंडलीय अस्पताल एक रेफरल अस्पताल और 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं.
चुनाव को लेकर कार्यक्रम नहीं
आज जिले का स्थापना दिवस है. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर लगाया गये आदर्श आचार संहिता की वजह से प्रशासनिक स्तर से किसी बड़े आयोजन तैयारी नहीं की गई है. कोरोना संक्रमण और विधानसभा चुनाव को लेकर गांधी जयंती और कटिहार स्थापना दिवस पर शहीद चौक स्थित गांधी जी की प्रतिमा पर वरीय पदाधिकारियों ने सिर्फ श्रद्धांजलि दी.