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कटिहार: अवैध वसूली के मामले में पूर्व थानाध्यक्ष फरार, अंधेरे में हाथ मार रही पुलिस

स्टेट हाइवे - 77 पर वाहनों से अवैध वसूली करते पोठिया ओपी के एएसआई संजीव पासवान, निजी चालक समेत दो अन्य दलाल को जिले के अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.

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Published : Aug 2, 2019, 3:20 PM IST

पुलिस अधीक्षक

कटिहार: जिले का एक पूर्व थानाध्यक्ष कानून की नजरों से लापता है. चार दिन पहले सरेराह सड़कों पर वाहनों से अवैध वसूली के मामले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पूर्व थानाध्यक्ष की शिनाख्त हुई थी. सूबे के डीजीपी के निर्देश पर मामले का खुलासा हुआ था. मौके पर पकड़े गये एक एएसआई समेत चार लोग तो जेल भेजे गये. लेकिन खेल की बड़ी मछली छापेमारी के तुरंत बाद फुर्र हो गई. पुलिस अधिकारी आरोपी पूर्व थानाध्यक्ष के गिरफ्तारी के सवाल पर कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

जानकारी देते पुलिस अधीक्षक

क्या है मामला
दरअसल, पूरा मामला जिले के पोठिया ओपी थाना का है, जहां बीते सोमवार को बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के निर्देश पर स्टेट हाइवे - 77 पर वाहनों से अवैध वसूली करते पोठिया ओपी के एएसआई संजीव पासवान, निजी चालक समेत दो अन्य दलाल को जिले के अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.

छापेमारी में बरामद हुए वसूले गये रूपये
इस मामले में पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने फलका थाने में छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये थे. जिसमें पोठिया ओपी के तत्कालीन थानाध्यक्ष अमजद अली को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में चिन्हित करते हुए आरोपी बनाया गया था. एसडीपीओ अनिल कुमार ने कार्रवाई करते हुए आरोपी थानाध्यक्ष के आवास पर छापा मार वाहनों से वसूले गये तीस हजार से अधिक रूपये बरामद किए थे.

पुलिस अधीक्षक झाड़ लेते हैं पल्ला
इस घटना के बाद आरोपी थानाध्यक्ष अमजद अली फरार हो गया. इसके बाद पुलिस गिरफ्तारी की कार्रवाई के अलावा पोठिया ओपी के नये थानाध्यक्ष के रूप में दीपनारायण यादव की पोस्टिंग कर दी. लेकिन आरोपी थानाध्यक्ष कहां लापता हो गया, उसकी कब तक गिरफ्तारी होगी. इस सवाल पर पुलिस अधीक्षक एफआईआर और तत्कालीन गिरफ्तारी की बात कह पल्ला झाड़ लेते हैं. पुलिस अधीक्षक विकास कुमार का कहना है कि गिरफ्तारी की कार्रवाई चल रही हैं.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने लिया था संज्ञान
अब सवाल उठता है कि किसी आम आदमी के मामूली झगड़े के मामले में पुलिस कार्रवाई के नाम पर गिरफ्तारी के लिये छापेमारी की लड़ी लगा देती है. लेकिन एक वर्दीधारी, जो अवैध वसूली में शामिल था और जिसके खिलाफ खुद डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने संज्ञान लेकर वारदात का खुलासा किया था. ऐसे में अब तक गिरफ्तारी नहीं होना पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा करता है. अब देखना है कि आरोपी पूर्व थानाध्यक्ष कानून की शिकंजे में कब तक आ पाता है.

कटिहार: जिले का एक पूर्व थानाध्यक्ष कानून की नजरों से लापता है. चार दिन पहले सरेराह सड़कों पर वाहनों से अवैध वसूली के मामले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पूर्व थानाध्यक्ष की शिनाख्त हुई थी. सूबे के डीजीपी के निर्देश पर मामले का खुलासा हुआ था. मौके पर पकड़े गये एक एएसआई समेत चार लोग तो जेल भेजे गये. लेकिन खेल की बड़ी मछली छापेमारी के तुरंत बाद फुर्र हो गई. पुलिस अधिकारी आरोपी पूर्व थानाध्यक्ष के गिरफ्तारी के सवाल पर कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

जानकारी देते पुलिस अधीक्षक

क्या है मामला
दरअसल, पूरा मामला जिले के पोठिया ओपी थाना का है, जहां बीते सोमवार को बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के निर्देश पर स्टेट हाइवे - 77 पर वाहनों से अवैध वसूली करते पोठिया ओपी के एएसआई संजीव पासवान, निजी चालक समेत दो अन्य दलाल को जिले के अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.

छापेमारी में बरामद हुए वसूले गये रूपये
इस मामले में पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने फलका थाने में छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये थे. जिसमें पोठिया ओपी के तत्कालीन थानाध्यक्ष अमजद अली को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में चिन्हित करते हुए आरोपी बनाया गया था. एसडीपीओ अनिल कुमार ने कार्रवाई करते हुए आरोपी थानाध्यक्ष के आवास पर छापा मार वाहनों से वसूले गये तीस हजार से अधिक रूपये बरामद किए थे.

पुलिस अधीक्षक झाड़ लेते हैं पल्ला
इस घटना के बाद आरोपी थानाध्यक्ष अमजद अली फरार हो गया. इसके बाद पुलिस गिरफ्तारी की कार्रवाई के अलावा पोठिया ओपी के नये थानाध्यक्ष के रूप में दीपनारायण यादव की पोस्टिंग कर दी. लेकिन आरोपी थानाध्यक्ष कहां लापता हो गया, उसकी कब तक गिरफ्तारी होगी. इस सवाल पर पुलिस अधीक्षक एफआईआर और तत्कालीन गिरफ्तारी की बात कह पल्ला झाड़ लेते हैं. पुलिस अधीक्षक विकास कुमार का कहना है कि गिरफ्तारी की कार्रवाई चल रही हैं.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने लिया था संज्ञान
अब सवाल उठता है कि किसी आम आदमी के मामूली झगड़े के मामले में पुलिस कार्रवाई के नाम पर गिरफ्तारी के लिये छापेमारी की लड़ी लगा देती है. लेकिन एक वर्दीधारी, जो अवैध वसूली में शामिल था और जिसके खिलाफ खुद डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने संज्ञान लेकर वारदात का खुलासा किया था. ऐसे में अब तक गिरफ्तारी नहीं होना पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा करता है. अब देखना है कि आरोपी पूर्व थानाध्यक्ष कानून की शिकंजे में कब तक आ पाता है.

Intro:........कटिहार का एक पूर्व थानाध्यक्ष कानून की नजरों से हैं लापता ....। चार दिन पहले सरेराह सड़कों पर वाहनों से अवैध वसूली के मामले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में शिनाख्त होने पर सूबे के डीजीपी के निर्देश पर हुआ था मामले का खुलासा ....। मौके पर पकड़े गये एक एएसआई समेत चार लोग तो जेल भेजे गये लेकिन खेल की बड़ी मछली छापेमारी के तुरंत बाद हो गये फुर्र ......। मजे की बात यह कि पुलिस अधिकारी आरोपी पूर्व थानाध्यक्ष के गिरफ्तारी के सवाल पर कार्रवाई की बात कह पल्ला झाड़ने में हैं व्यस्त .......।


Body:दरअसल , पूरा मामला जिले के पोठिया ओपी थाना का हैं जहाँ बीते सोमवार को बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के निर्देश पर स्टेट हाइवे - 77 पर वाहनों से अवैध वसूली करते पोठिया ओपी के एएसआई संजीव पासवान , निजी चालक समेत दो अन्य दलाल को जिले के अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया था .....। इस मामले में पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने फलका थाने में छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये थे जिसमें पोठिया ओपी के तत्कालीन थानाध्यक्ष अमजद अली को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में चिन्हित करते हुए आरोपी बनाया गया था और पुलिस ने अग्रतर कार्रवाई करते हुए एसडीपीओ अनिल कुमार ने आरोपी थानाध्यक्ष के आवास पर छापा मार वाहनों से वसूले गये तीस हजार से अधिक रूपये को बरामद किया था । इस घटना के बाद आरोपी थानाध्यक्ष अमजद अली फरार हो गये जिसके बाद पुलिस गिरफ्तारी की कार्रवाई के अलावा पोठिया ओपी के नये थानाध्यक्ष के रूप में दीपनारायण यादव की पोस्टिंग कर दी लेकिन आरोपी थानाध्यक्ष कहाँ लापता हो गये या कब तक उसकी गिरफ्तारी होगी , इस सवाल पर पुलिस अधीक्षक भी पल्ला झाड़ते हैं और एफआईआर , तत्कालीन गिरफ्तारी की बात कह पल्ला झाड़ लेते हैं । पुलिस अधीक्षक विकास कुमार बताते हैं कि गिरफ्तारी की कार्रवाई चल रही हैं ........।


Conclusion:अब सवाल उठता हैं कि किसी आम आदमी के मामूली झगड़े के मामले में पुलिस कार्रवाई के नाम पर गिरफ्तारी के लिये छापेमारी की लड़ी लगा डालती हैं लेकिन एक वर्दीधारी , जिसके हाथ संगीन पापों में शामिल थे और जिसके खिलाफ खुद बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने संज्ञान लेकर वारदात का खुलासा किया था , में अब तक गिरफ्तारी नहीं होना , पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा करता हैं कि क्या सचमुच बिहार पुलिस अभियुक्तों के खिलाफ पारदर्शी तरीके से काम करती हैं .....। अब देखना बाकी हैं कि आरोपी पूर्व थानाध्यक्ष कानून की शिकंजे में कब तक आ पाता हैं ......।
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