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किसानों पर पड़ी प्रकृति की दोहरी मार, औने-पौने दाम में मक्का बेचने को मजबूर - एनएफ रेलवे

बारिश की वजह से जहां मक्के की फसल को भारी क्षति हुई है वहीं मक्के के पौधे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए है. मक्का कच्चा होने की वजह से इसके दाने छुड़ाकर तैयार भी नहीं किए जा सकते हैं, लिहाजा पाई-पाई जोड़कर खेतों में लगाए फसल की क्षति से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है.

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Published : Apr 27, 2020, 4:24 PM IST

कटिहारः राज्य में आंधी तूफान और बेमौसम बरसात की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. जिससे उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. जिले के मक्का किसान पहले ही लॉकडाउन की मार झेल रहे थे, अब बेमौसम बरसात की वजह से उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ी है.

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मक्के

फसल की क्षति
बारिश की वजह से जहां मक्के की फसल को भारी क्षति हुई है, वहीं मक्के के पौधे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. मक्का कच्चा होने की वजह से इसके दाने छुड़ाकर तैयार भी नहीं किए जा सकते हैं. लिहाजा पाई-पाई जोड़कर खेतों में लगाए फसल की क्षति से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है. परेशान किसान अब औने-पौने कीमतों पर इसे बेचने के लिए मजबूर हैं. ताकि इसे बेचने से जो पैसे आए उससे किसान अगली फसल लगा सकें.

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किसान

रोटी की जुगाड़ में लगे किसान
किसान शिवचन्द्र ने बताया कि इस साल बेटी की शादी करने की सोची थी लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया. अब बर्बाद फसल में से कुछ मक्के तोड़कर परिवार के दो जून की रोटी की जुगाड़ में लगे हैं. किसान वकील सिंह ने बताया कि चार दिनों की आंधी पानी ने उन्हें कर्झ में डूबा दिया है. अब महाजनों के कर्ज कहां से चुकता करे और कहां से खेतों में अगली फसल लगाए. वहीं किसान वकील सिंह ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से पहले ही व्यापारी नहीं आ रहे थे. अब रही सही कसर बारिश ने पूरी कर दी है.

देखें रिपोर्ट

मक्के की खेती का हब
बता दें कि कटिहार मक्के की खेती का हब माना जाता है. यहां बड़े पैमाने पर किसान धान -गेंहू के अलावा मक्के की खेती करते हैं. बीते वर्ष कटिहार रेल डिवीजन ने 367 रेलवे रैकों से मक्का ढुलाई कर करोड़ों रूपये राजस्व कमाया था. जो पूरे एनएफ रेलवे में एक रिकॉर्ड था और पूरे भारत में मक्का लदान से आमदनी में कटिहार रेल डिवीजन तीसरे नम्बर पर था. लेकिन इस बार पिक सीजन में भी रेलवे केवल एक रैक बाहर भेज पाया है. इस बार मौसम और लॉकडाउन की वजह से मक्का ढुलाई से आमदनी पर काफी असर पड़ रहा है.

कटिहारः राज्य में आंधी तूफान और बेमौसम बरसात की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. जिससे उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. जिले के मक्का किसान पहले ही लॉकडाउन की मार झेल रहे थे, अब बेमौसम बरसात की वजह से उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ी है.

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मक्के

फसल की क्षति
बारिश की वजह से जहां मक्के की फसल को भारी क्षति हुई है, वहीं मक्के के पौधे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. मक्का कच्चा होने की वजह से इसके दाने छुड़ाकर तैयार भी नहीं किए जा सकते हैं. लिहाजा पाई-पाई जोड़कर खेतों में लगाए फसल की क्षति से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है. परेशान किसान अब औने-पौने कीमतों पर इसे बेचने के लिए मजबूर हैं. ताकि इसे बेचने से जो पैसे आए उससे किसान अगली फसल लगा सकें.

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किसान

रोटी की जुगाड़ में लगे किसान
किसान शिवचन्द्र ने बताया कि इस साल बेटी की शादी करने की सोची थी लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया. अब बर्बाद फसल में से कुछ मक्के तोड़कर परिवार के दो जून की रोटी की जुगाड़ में लगे हैं. किसान वकील सिंह ने बताया कि चार दिनों की आंधी पानी ने उन्हें कर्झ में डूबा दिया है. अब महाजनों के कर्ज कहां से चुकता करे और कहां से खेतों में अगली फसल लगाए. वहीं किसान वकील सिंह ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से पहले ही व्यापारी नहीं आ रहे थे. अब रही सही कसर बारिश ने पूरी कर दी है.

देखें रिपोर्ट

मक्के की खेती का हब
बता दें कि कटिहार मक्के की खेती का हब माना जाता है. यहां बड़े पैमाने पर किसान धान -गेंहू के अलावा मक्के की खेती करते हैं. बीते वर्ष कटिहार रेल डिवीजन ने 367 रेलवे रैकों से मक्का ढुलाई कर करोड़ों रूपये राजस्व कमाया था. जो पूरे एनएफ रेलवे में एक रिकॉर्ड था और पूरे भारत में मक्का लदान से आमदनी में कटिहार रेल डिवीजन तीसरे नम्बर पर था. लेकिन इस बार पिक सीजन में भी रेलवे केवल एक रैक बाहर भेज पाया है. इस बार मौसम और लॉकडाउन की वजह से मक्का ढुलाई से आमदनी पर काफी असर पड़ रहा है.

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