कैमूर-(भभुआ): जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है. यही नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर साल में कई बार बंध्याकरण शिविर भी लगाया जाता है. साथ ही बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है. लेकिन दुर्गावती में एक अजीब मामला सामने आया है, जहां बंध्याकरण के बाद एक महिला गर्भवती हुई हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के ऊपर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं.
'सरकारी योजना हुई फेल'
सरकार की योजना के अनुसार एक महिला का ऑपरेशन 3 वर्ष पहले दुर्गावती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला का बंध्याकरण कर दिया गया था. लेकिन महिला फिर से गर्भवती हो गई है. जब महिला को यह पता चला कि मेरे पेट में बच्चे जैसा हलचल हो रही है तो तुरंत महिला अल्ट्रासाउंड केंद्र पहुंची. जहां जांच के बाद महिला के पेट में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से 4 महीने का बच्चे होने की पुष्टि हुई है. दुर्गावती थाना क्षेत्र के ग्राम खजुरा निवासी संदीप कुमार की पत्नी आरती देवी अपनी शारीरिक कमजोरी को देखते हुए अपने 2 बच्चों को जन्म देने के बाद अपने परिवार को सीमित रखने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा चलाए जा रहे बंध्याकरण योजना के तहत अपना परिवार सीमित रखने का फैसला किया था.
बंध्याकरण के बाद महिला हुई प्रेग्नेंट
महिला ने 3 वर्ष पूर्व दुर्गावती के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचकर कुशल चिकित्सकों की देखरेख में बंध्याकरण करवाया लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं रहने के कारण, फिर से अल्ट्रासाउंड में बच्चा होने की पुष्टि हुई है. अब सोचने वाली बात यह है कि कुशल डॉक्टरों के होते हुए भी बंध्याकरण की जगह पेट के अंदर कौन सी जगह की नसों को काट और बच्चों के बंद करने की नसों को छोड़ दिया गया. यदि ऐसे ही अकुशल डॉक्टर किसी भी महिला के पेट का बंध्याकरण के नाम पर खोलते हैं तो दूसरी भी अनहोनी घटनाएं हो सकती हैं.
प्रशिक्षित डाक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
इसलिए आरती देवी ने सरकार से गुहार लगाई है कि ऐसे प्रशिक्षित डाक्टरों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि आगे ऐसी गलती इन डॉक्टरों के द्वारा ना हो सके. इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती के चिकित्सा पदाधिकारी शांति कुमार मांझी से पूछे जाने पर उन्होंने कुछ नहीं जवाब दिया और जवाब देने से कतरा रहे हैं.