कैमूरः जिले में 'सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा' महज एक छलावा बनकर रह गया है. जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ऑटो और छोटे वाहन चालकों की बल्ले-बल्ले है. रोजाना सैकड़ों वाहन चालक क्षमता से 4 गुणा अधिक यात्री बैठाकर अपने गंतव्य को रवाना होते हैं. लेकिन प्रशासन को फुर्सत नहीं कि ऐसे वाहन मालिकों पर कार्रवाई करे. नतीजा रोजना सैकड़ों यात्रियों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ती है.
रोजाना होती है ओवरलोडिंग
जिले के भभुआ-अधौरा पथ, भभुआ-भगवानपुर पथ, भभुआ-चैनपुर पथ, भभुआ-मोहनिया पथ, भभुआ-चांद पथ और मोहनिया-रामगढ़ पथ पर क्षमता से अधिक यात्रियों वाली सवारी गाड़ियों को रोजाना देखा जा सकता है. बावजूद जिला प्रशासन की लचर व्यस्था के कारण एक भी गाड़ी पर कार्रवाई नहीं होती है. आपको बता दें कि भभुआ-भगवानपुर-अधौरा पथ पर खुद जिलाधिकारी का निवास है. इस रूट पर चलने वाली अधिकांश सवारी गाड़ियां वन विभाग के कार्यालय के सामने से खुलती हैं. जो जिलाधिकारी के आवास से होते हुए अपने गंतव्य को रवाना होती हैं.
भभुआ-अधौरा पथ सबसे खतरनाक
भभुआ अधौरा पथ को सबसे खतरनाक माना जाता है. इस रूट पर चलने वाली गाड़ियों को कैमूर पहाड़ियों की कई घाटियों से गुजरना पड़ता है. जहां दुर्घटना की संभावना हर वक्त बनी रहती है. लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण सवारी वाहन मालिकों की चांदी है और यात्रियों के सर पर हर वक्त मौत का साया मंडराता है. जिला परिवहन कार्यालय के चारों तरफ दीवार पर रंगाई पोताई के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. परिवहन विभाग के अधिकारी भी इन वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
वाहन मालिकों के कैंसिल होगें परमिट
जब इस विषय में जिला परिवहन पदाधिकारी राम बाबू से पूछा गया तो उन्होंने रटा रटाया जवाब दिया. डीटीओ ने बताया कि लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा रहा है. ऐसे सवारी वाहन जो क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर सफर करते हैं उनके ऊपर कार्रवाई होती है. फील्ड में एमवीआई और अन्य अधिकारियों को समय-समय पर जांच का आदेश दिया गया है. अगर कोई वाहन क्षमता से अधिक यात्री को बैठाता है तो पहली बार फाइन कर छोड़ दिया जाता है और अगर लगातार ऐसा करता है तो परमिट कैंसिल की जाती है.