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कैमूरः यहां उड़ाई जा रही हैं ट्रैफिक नियमों की धज्जियां, जान जोखिम में डाल यात्रा कर रहे लोग

जिले में सरकारी कार्यालय और आवास के सामने से रोजाना ओवर लोडेड गाड़ियां गुजरती हैं. लेकिन प्रशासन को फुर्सत नहीं है कि इस पर कार्रवाई करे.

ननन
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Published : Aug 12, 2019, 1:57 PM IST

कैमूरः जिले में 'सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा' महज एक छलावा बनकर रह गया है. जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ऑटो और छोटे वाहन चालकों की बल्ले-बल्ले है. रोजाना सैकड़ों वाहन चालक क्षमता से 4 गुणा अधिक यात्री बैठाकर अपने गंतव्य को रवाना होते हैं. लेकिन प्रशासन को फुर्सत नहीं कि ऐसे वाहन मालिकों पर कार्रवाई करे. नतीजा रोजना सैकड़ों यात्रियों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ती है.

passenger gari
ओवरलोडेड सवारी गाड़ी

रोजाना होती है ओवरलोडिंग
जिले के भभुआ-अधौरा पथ, भभुआ-भगवानपुर पथ, भभुआ-चैनपुर पथ, भभुआ-मोहनिया पथ, भभुआ-चांद पथ और मोहनिया-रामगढ़ पथ पर क्षमता से अधिक यात्रियों वाली सवारी गाड़ियों को रोजाना देखा जा सकता है. बावजूद जिला प्रशासन की लचर व्यस्था के कारण एक भी गाड़ी पर कार्रवाई नहीं होती है. आपको बता दें कि भभुआ-भगवानपुर-अधौरा पथ पर खुद जिलाधिकारी का निवास है. इस रूट पर चलने वाली अधिकांश सवारी गाड़ियां वन विभाग के कार्यालय के सामने से खुलती हैं. जो जिलाधिकारी के आवास से होते हुए अपने गंतव्य को रवाना होती हैं.

traffic rules
दीवार पर लगाए गए मैसेज

भभुआ-अधौरा पथ सबसे खतरनाक
भभुआ अधौरा पथ को सबसे खतरनाक माना जाता है. इस रूट पर चलने वाली गाड़ियों को कैमूर पहाड़ियों की कई घाटियों से गुजरना पड़ता है. जहां दुर्घटना की संभावना हर वक्त बनी रहती है. लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण सवारी वाहन मालिकों की चांदी है और यात्रियों के सर पर हर वक्त मौत का साया मंडराता है. जिला परिवहन कार्यालय के चारों तरफ दीवार पर रंगाई पोताई के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. परिवहन विभाग के अधिकारी भी इन वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर यात्रा करते लोग

वाहन मालिकों के कैंसिल होगें परमिट
जब इस विषय में जिला परिवहन पदाधिकारी राम बाबू से पूछा गया तो उन्होंने रटा रटाया जवाब दिया. डीटीओ ने बताया कि लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा रहा है. ऐसे सवारी वाहन जो क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर सफर करते हैं उनके ऊपर कार्रवाई होती है. फील्ड में एमवीआई और अन्य अधिकारियों को समय-समय पर जांच का आदेश दिया गया है. अगर कोई वाहन क्षमता से अधिक यात्री को बैठाता है तो पहली बार फाइन कर छोड़ दिया जाता है और अगर लगातार ऐसा करता है तो परमिट कैंसिल की जाती है.

कैमूरः जिले में 'सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा' महज एक छलावा बनकर रह गया है. जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ऑटो और छोटे वाहन चालकों की बल्ले-बल्ले है. रोजाना सैकड़ों वाहन चालक क्षमता से 4 गुणा अधिक यात्री बैठाकर अपने गंतव्य को रवाना होते हैं. लेकिन प्रशासन को फुर्सत नहीं कि ऐसे वाहन मालिकों पर कार्रवाई करे. नतीजा रोजना सैकड़ों यात्रियों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ती है.

passenger gari
ओवरलोडेड सवारी गाड़ी

रोजाना होती है ओवरलोडिंग
जिले के भभुआ-अधौरा पथ, भभुआ-भगवानपुर पथ, भभुआ-चैनपुर पथ, भभुआ-मोहनिया पथ, भभुआ-चांद पथ और मोहनिया-रामगढ़ पथ पर क्षमता से अधिक यात्रियों वाली सवारी गाड़ियों को रोजाना देखा जा सकता है. बावजूद जिला प्रशासन की लचर व्यस्था के कारण एक भी गाड़ी पर कार्रवाई नहीं होती है. आपको बता दें कि भभुआ-भगवानपुर-अधौरा पथ पर खुद जिलाधिकारी का निवास है. इस रूट पर चलने वाली अधिकांश सवारी गाड़ियां वन विभाग के कार्यालय के सामने से खुलती हैं. जो जिलाधिकारी के आवास से होते हुए अपने गंतव्य को रवाना होती हैं.

traffic rules
दीवार पर लगाए गए मैसेज

भभुआ-अधौरा पथ सबसे खतरनाक
भभुआ अधौरा पथ को सबसे खतरनाक माना जाता है. इस रूट पर चलने वाली गाड़ियों को कैमूर पहाड़ियों की कई घाटियों से गुजरना पड़ता है. जहां दुर्घटना की संभावना हर वक्त बनी रहती है. लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण सवारी वाहन मालिकों की चांदी है और यात्रियों के सर पर हर वक्त मौत का साया मंडराता है. जिला परिवहन कार्यालय के चारों तरफ दीवार पर रंगाई पोताई के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. परिवहन विभाग के अधिकारी भी इन वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर यात्रा करते लोग

वाहन मालिकों के कैंसिल होगें परमिट
जब इस विषय में जिला परिवहन पदाधिकारी राम बाबू से पूछा गया तो उन्होंने रटा रटाया जवाब दिया. डीटीओ ने बताया कि लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा रहा है. ऐसे सवारी वाहन जो क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर सफर करते हैं उनके ऊपर कार्रवाई होती है. फील्ड में एमवीआई और अन्य अधिकारियों को समय-समय पर जांच का आदेश दिया गया है. अगर कोई वाहन क्षमता से अधिक यात्री को बैठाता है तो पहली बार फाइन कर छोड़ दिया जाता है और अगर लगातार ऐसा करता है तो परमिट कैंसिल की जाती है.

Intro:कैमूर।

जिले में सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा महज एक छलावा बनकर रह गया हैं। जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ऑटो और छोटे वाहन चालकों की बलेबले हैं। प्रतिदिन सैकड़ो वाहन चालक क्षमता से 4 गुणा अधिक यात्री बैठाकर अपने गंतव्य को रवाना हैं। लेकिन प्रशासन को फुरसत कहा कि ऐसे वाहन मालिकों पर कार्रवाई करे। नतीजा रोजना सैकड़ो यात्रियों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करना पड़ता हैं।


Body:आपकों बतादें कि जिले के भभुआ-अधौरा पथ, भभुआ-भगवानपुर पथ, भभुआ-चैनपुर पथ, भभुआ-मोहनिया पथ, भभुआ-चांद पथ, मोहनिया-रामगढ़ पथ पर क्षमता से अधिक यात्रियों वाली सवारी गाड़ियों को रोजाना देखा जा सकता हैं। बावजूद जिला प्रशासन की लचर व्यस्था के कारण एक भी गाड़ियों पर कार्रवाई नही होती हैं। आपकों बतादें कि भभुआ- भगवानपुर- अधौरा पथ पर खुद जिलाधिकारी का निवास हैं और इस रूट पर चलने वाली अधिकांश सवारी गाड़ियां वन विभाग के कार्यालय के सामने से खुलती हैं जो जिलाधिकारी के आवास से होते हुए अपने गंतव्य को रवाना होती हैं। भभुआ-अधौरा पथ हैं सबसे खतरनाक। भभुआ अधौरा पथ को सबसे खतरनाक माना जाता हैं। इस रूट पर चलने वाली गाड़ियों को कैमूर पहाड़ियों की कई घाटियों से गुजरना पड़ता हैं। जहाँ दुर्घटना की संभावना हर वक़्त बनी रहती हैं लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये का यह नतीजा है कि सवारी वाहन मालिकों की चांदी हैं और यात्रियों के सर पर हर वक़्त मौत का साया।


परिवहन कार्यालय तक सीमित रह गया सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा

जिला परिवहन कार्यालय के चारों तरफ दीवार पर रंगाई पोताई के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ भी नही हैं। खुद परिवहन विभाग के अधिकारियों को सवारी वाहनों से कोई खास लगाओ नही हैं। जब इस विषय मे जिला परिवहन पदाधिकारी राम बाबू से पूछा गया तो उन्होंने रटा रटाया जवाब दिया। डीटीओ ने बताया कि लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा रहा हैं। ऐसे सवारी वाहन जो क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर सफर करते हैं उनके ऊपर कार्रवाई के लिए फील्ड में एमवीआई और अन्य अधिकारियों को समय समय पर जॉच का आदेश दिया गया हैं। यदि कोई वाहन क्षमता से अधिक यात्री को बैठती हैं तो पहली बार फाइन कर छोड़ दिया जाता हैं और अगर लगातार ऐसा करती है तो परमिट कैंसिल किया जाता हैं।

गौरतलब है कि जिला प्रशासन भले अपने सामाजिक दायित्व की पूर्ति न करें लेकिन ईटीवी भारत अपने सामाजिक कर्तव्य को पूरा करते हुए समाज को जागरूक करने के लिए हर सम्भव प्रयास करती हैं और यात्रियों से अपील करती है कि अपनी जान जोखिम में डाल यात्रा न करें। यदि कोई चालक कहता भी है तो मना कर दे। क्यों जान है तो जहान हैं।



Conclusion:
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