कैमूर: प्रवासी मजदूरों के रोजगार के लिए जिला प्रशासन से सर्वे का काम शुरू कर दिया है. डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि स्किल के अनुसार डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. डीएम ने बताया कि अभी तक जिला प्रशासन की ओर से 17 हजार मजदूरों से सेवा लिया जा चुका है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की पूरी कोशिश है कि अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.
प्रवासी मजदूरों को दिया जाएगा काम
कैमूर जिला प्रशासन ने अन्य राज्यों से जिलें में वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया है. जिसकी जानकारी खुद डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने दी. डीएम ने बताया कि दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू किया है. जिला प्रशासन यह रिपोर्ट तैयार कर रही है कि किस स्किल में कौन से मजदूर काबिल है. स्किल के अनुसार एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा और फिर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की जाएगी.
ग्रामीण इलाके में निर्माण कार्य की अनुमति
डीएम ने कहा कि यदि कोई मजदूरी अनस्किल्ड है तो वैसे मजदूरों को मनरेगा में एनरोल किया जाएगा और उन्हें मनरेगा के तहत काम दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाके में सरकार की ओर से निर्माण कार्य के लिए अनुमति प्रदान किया गया है. निर्माण कार्य से भी मजदूरों को लाभ मिलेगा. साथ ही बताया कि नल-जल, नली-गली, जल-जीवन-हरियाली, सड़क निर्माण का काम चल रहा है. जहां रोजगार उपलब्ध है.
लॉकडाउन का बिहार में सबसे ज्यादा असर
बता दें कि कोरोना के महामारी में लॉकडाउन का असर देश मे ऐसा पड़ा कि सभी कल कारखाने बन्द कर दिये गए. ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार हुआ है. बिहार के लाखों प्रवासी मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते है और काम करते हैं. लॉकडाउन में हजारों की संख्या में मजदूर रोजाना बिहार लौट रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है.