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कैमूरः साइकिल से हजारों किमी के सफर पर प्रवासी, सरकार से नहीं मिल रही है कोई मदद - lockdown in bihar

प्रवासियों के लिए सरकार की ओर से की जा रही मदद नाकाफी साबित हो रही है. कई प्रवासी अभी भी ट्रकों में जानवरों की तरह लदकर घर लौट रहे हैं, तो कई मजदूर साइकिल से हजारों किमी का सफर कर रहे हैं.

कैमूर
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Published : May 23, 2020, 9:53 AM IST

Updated : May 23, 2020, 10:46 AM IST

कैमूरः कोरोना के मद्देनजर हुए लॉकडाउन ने देश भर के मजदूरों को सड़क पर ला दिया. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी इनकी परेशानी कम नहीं हो रही है. जिले से होकर गुजरने वाले एनएच-2 पर मजदूर ट्रक में जानवरों की तरह लद कर सफर करते नजर आ रहे हैं. तो कई प्रवासी साइकिल के सहारे हजारों किमी के सफर पर निकल पड़े हैं.

साइकिल से 4000 किमी का सफर
महाराष्ट्र से 70 प्रवासियों का एक जत्था जानवरों की तरह ट्रक में लदकर बिहार लौटा है. इन्हें इसके लिए प्रति व्यक्ति 4500 रुपये चुकाने पड़े. वहीं, 50 मजदूरों का एक जत्था पुणे से असम के लिए साइकिल से निकला है. इन्हें साइकिल से 4000 किमी की दूरी तय करनी है.

कैमूर
ट्रकों में जानवरों की तरह लद कर लौट रहे प्रवासी

समाजसेवी दे रहे निःशुल्क सेवा
ऐसे राहगीरों की मदद के लिए समाजसेवी अनिल कुमार ने एनएच 2 पर मोहनियां के पास एक ढाबा बुक किया है. जहां दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासियों के खाने-पीने, नहाने और आराम करने की निःशुल्क व्यवस्था की गई है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिल रही मदद
अनिल कुमार ने बताया कि यहां रोजाना करीब 1500 लोगों की सेवा की जा रही है. सफर कर रहे प्रवासी के अनुसार महाराष्ट्र, यूपी, बिहार और झारखंड में कहीं भी सड़क किनारे सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. समाजसेवियों के प्रयास से ही उन्हें कुछ मदद मिल रही है.

कैमूरः कोरोना के मद्देनजर हुए लॉकडाउन ने देश भर के मजदूरों को सड़क पर ला दिया. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी इनकी परेशानी कम नहीं हो रही है. जिले से होकर गुजरने वाले एनएच-2 पर मजदूर ट्रक में जानवरों की तरह लद कर सफर करते नजर आ रहे हैं. तो कई प्रवासी साइकिल के सहारे हजारों किमी के सफर पर निकल पड़े हैं.

साइकिल से 4000 किमी का सफर
महाराष्ट्र से 70 प्रवासियों का एक जत्था जानवरों की तरह ट्रक में लदकर बिहार लौटा है. इन्हें इसके लिए प्रति व्यक्ति 4500 रुपये चुकाने पड़े. वहीं, 50 मजदूरों का एक जत्था पुणे से असम के लिए साइकिल से निकला है. इन्हें साइकिल से 4000 किमी की दूरी तय करनी है.

कैमूर
ट्रकों में जानवरों की तरह लद कर लौट रहे प्रवासी

समाजसेवी दे रहे निःशुल्क सेवा
ऐसे राहगीरों की मदद के लिए समाजसेवी अनिल कुमार ने एनएच 2 पर मोहनियां के पास एक ढाबा बुक किया है. जहां दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासियों के खाने-पीने, नहाने और आराम करने की निःशुल्क व्यवस्था की गई है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिल रही मदद
अनिल कुमार ने बताया कि यहां रोजाना करीब 1500 लोगों की सेवा की जा रही है. सफर कर रहे प्रवासी के अनुसार महाराष्ट्र, यूपी, बिहार और झारखंड में कहीं भी सड़क किनारे सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. समाजसेवियों के प्रयास से ही उन्हें कुछ मदद मिल रही है.

Last Updated : May 23, 2020, 10:46 AM IST
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