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Chaitra Navratri 2023 : बलि देने के बाद दोबारा जीवित हो जाता है बकरा, मां मुंडेश्वरी धाम में दी जाती है अनोखी बली

कैमूर में एक ऐसी मंदिर है, जहां चैत नवरात्र में बिना रक्त बहाए ही बकरे की बलि दी जाती है. यहां पर बकरे की अहिंसक बलि होती है, बकरे की बलि देने की मन्नत मानने वाले श्रद्धालु यहां बकरा लेकर आते हैं और पुजारी सिर्फ मंत्र पढ़कर ही बकरे को मां की चरणों में अर्पित कर देते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

मां मुंडेश्वरी धाम में दी जाती है अनोखी बली
मां मुंडेश्वरी धाम में दी जाती है अनोखी बली
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Published : Mar 25, 2023, 9:02 AM IST

Updated : Mar 25, 2023, 10:04 AM IST

मां मुंडेश्वरी धाम में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

कैमूरः चैत नवरात्रि शुरू हो चुका है. कैमूर की मां मुंडेश्वरी धाम में आज तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी धाम मंदिर देश ही नहीं पूरे विश्व में विख्यात है. बताया जाता है कि इस मंदिर को 626 ईसा पूर्व में पाया गया है, जो अष्ट कोड़िए रूप में है. मंदिर का निर्माण कब हुआ है, इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. चैत नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में बकरे की बलि बिना उसका खून बहाए ही अनोखे तरीके से दी जाती है. ये परंपरा यहां काफी सालों से चल रही है.

ये भी पढे़ंः Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन आज, मां कूष्मांडा की हो रही पूजा

चौमुखी शिवजी की मूर्ति बदलती है रंगः मंदिर के गर्भगृह के पूरब में बारह रूप में मां मुंडेश्वरी की मूर्ति विराजमान है, वही मंदिर के बीच में चौमुखी शिवजी की मूर्ति विराजमान है, लोगों की मान्यता है कि समय के अनुसार दिन में दो से तीन बार ये मूर्ति रंग भी बदलती है, यहां पर बकरे की अहिंसक बलि होती है, मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु बकरा लेकर बलि देने के लिए आते हैं. पुजारी द्वारा सिर्फ मंत्र पढ़कर अक्षत और फूल मारने से बकरा माता के चरणों में मूर्छित होकर गिर जाता है. फिर मंत्रोच्चारण कर उसी विधि द्वारा बकरा जीवित भी हो जाता होता है, ऐसी बलि प्रथा पूरे विश्व में कहीं नहीं होती है. मां का प्रसाद तांडूल से भोग लगता है जो शुद्ध घी में चावल से बना होता है.

मंदिर में जाने लिए चढ़नी होती है 450 सीढ़ियांः मां मुंडेश्वरी के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं, नवरात्रि में काफी भीड़ उमड़ती है, जिसके सुरक्षा को लेकर मंदिर परिसर में चारों हर तरफ CCTV लगाया गया है, पुलिस प्रशासन के साथ-साथ मंदिर के वॉलिंटियर भी लगे रहते हैं, मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क और सीढ़ी दोनों हैं. 450 सीढ़ियां चढ़ने के बाद लोग मंदिर में प्रवेश पाते हैं, वहीं सड़क मार्ग से जाना आसान है इसमें सिर्फ 51 सीढ़ी चढ़कर मंदिर में प्रवेश किया जाता है.

सुरक्षा का होता है पुख्ता इंतेजामः मां मुंडेश्वरी धार्मिक न्यास के सचिव ने बताया कि चैत नवरात्र में यहां लाखों की संख्या में लोग मां मुंडेश्वरी के दर्शन करने आते हैं, जिसे देखते हुए उनकी सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं. साथ ही दो हजार दर्शनार्थियों के लिए टेंट भी लगाया गया है, धाम परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं तथा दर्शनार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिये प्रशासन द्वारा सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किये गये हैं.

"चैत नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. जिनके रहने ओर सुरक्षा का पूरा इंतजाम होता है. ताकी उनको कोई परेशानी ना हो. यहां बिना काटे बिना रक्त बहाए ही बकरे की बलि दी जाती है, जिनकी मन्नत पूरी होती है वो यहां बकरा लेकर आते हैं, और मंत्र पढ़कर ही उसकी बली दी जाती है. ये मंदिर काफी पुराना है, लेकिन इसका निर्माण कब हुआ इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती है "- अशोक सिंह, सचिव, मां मुंडेश्वरी धार्मिक न्यास परिषद

बकरा दोबारा हो जाता है जिंदाः वहीं, मंदिर के पुजारी उमेश मिश्रा ने बताया कि यहां दूर दराज से लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं, यहां हर किसी की मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग चुनरी-नारियल, घंटा और बकरा चढ़ाने आते हैं, लेकिन यह विश्व का एक ऐसा मंदिर है जहां अहिंसक बाली दी जाती है, क्योंकि यहां बकरे को बिना काटे, बिना रक्त बहाए बलि दी जाती है, पहले मां के चरणों में बकरे को लिटाया जाता,अक्षत फेंकने से ही बकरा मूर्छित हो जाता है फिर जब दोबारा अक्षत मारा जाता है, तो बकरा उठकर खड़ा हो जाता है, ऐसी बलि पूरे विश्व में नहीं दिया जाता है.

मां मुंडेश्वरी धाम में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

कैमूरः चैत नवरात्रि शुरू हो चुका है. कैमूर की मां मुंडेश्वरी धाम में आज तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी धाम मंदिर देश ही नहीं पूरे विश्व में विख्यात है. बताया जाता है कि इस मंदिर को 626 ईसा पूर्व में पाया गया है, जो अष्ट कोड़िए रूप में है. मंदिर का निर्माण कब हुआ है, इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. चैत नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में बकरे की बलि बिना उसका खून बहाए ही अनोखे तरीके से दी जाती है. ये परंपरा यहां काफी सालों से चल रही है.

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चौमुखी शिवजी की मूर्ति बदलती है रंगः मंदिर के गर्भगृह के पूरब में बारह रूप में मां मुंडेश्वरी की मूर्ति विराजमान है, वही मंदिर के बीच में चौमुखी शिवजी की मूर्ति विराजमान है, लोगों की मान्यता है कि समय के अनुसार दिन में दो से तीन बार ये मूर्ति रंग भी बदलती है, यहां पर बकरे की अहिंसक बलि होती है, मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु बकरा लेकर बलि देने के लिए आते हैं. पुजारी द्वारा सिर्फ मंत्र पढ़कर अक्षत और फूल मारने से बकरा माता के चरणों में मूर्छित होकर गिर जाता है. फिर मंत्रोच्चारण कर उसी विधि द्वारा बकरा जीवित भी हो जाता होता है, ऐसी बलि प्रथा पूरे विश्व में कहीं नहीं होती है. मां का प्रसाद तांडूल से भोग लगता है जो शुद्ध घी में चावल से बना होता है.

मंदिर में जाने लिए चढ़नी होती है 450 सीढ़ियांः मां मुंडेश्वरी के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं, नवरात्रि में काफी भीड़ उमड़ती है, जिसके सुरक्षा को लेकर मंदिर परिसर में चारों हर तरफ CCTV लगाया गया है, पुलिस प्रशासन के साथ-साथ मंदिर के वॉलिंटियर भी लगे रहते हैं, मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क और सीढ़ी दोनों हैं. 450 सीढ़ियां चढ़ने के बाद लोग मंदिर में प्रवेश पाते हैं, वहीं सड़क मार्ग से जाना आसान है इसमें सिर्फ 51 सीढ़ी चढ़कर मंदिर में प्रवेश किया जाता है.

सुरक्षा का होता है पुख्ता इंतेजामः मां मुंडेश्वरी धार्मिक न्यास के सचिव ने बताया कि चैत नवरात्र में यहां लाखों की संख्या में लोग मां मुंडेश्वरी के दर्शन करने आते हैं, जिसे देखते हुए उनकी सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं. साथ ही दो हजार दर्शनार्थियों के लिए टेंट भी लगाया गया है, धाम परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं तथा दर्शनार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिये प्रशासन द्वारा सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किये गये हैं.

"चैत नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. जिनके रहने ओर सुरक्षा का पूरा इंतजाम होता है. ताकी उनको कोई परेशानी ना हो. यहां बिना काटे बिना रक्त बहाए ही बकरे की बलि दी जाती है, जिनकी मन्नत पूरी होती है वो यहां बकरा लेकर आते हैं, और मंत्र पढ़कर ही उसकी बली दी जाती है. ये मंदिर काफी पुराना है, लेकिन इसका निर्माण कब हुआ इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती है "- अशोक सिंह, सचिव, मां मुंडेश्वरी धार्मिक न्यास परिषद

बकरा दोबारा हो जाता है जिंदाः वहीं, मंदिर के पुजारी उमेश मिश्रा ने बताया कि यहां दूर दराज से लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं, यहां हर किसी की मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग चुनरी-नारियल, घंटा और बकरा चढ़ाने आते हैं, लेकिन यह विश्व का एक ऐसा मंदिर है जहां अहिंसक बाली दी जाती है, क्योंकि यहां बकरे को बिना काटे, बिना रक्त बहाए बलि दी जाती है, पहले मां के चरणों में बकरे को लिटाया जाता,अक्षत फेंकने से ही बकरा मूर्छित हो जाता है फिर जब दोबारा अक्षत मारा जाता है, तो बकरा उठकर खड़ा हो जाता है, ऐसी बलि पूरे विश्व में नहीं दिया जाता है.

Last Updated : Mar 25, 2023, 10:04 AM IST
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