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कैमूर: जागेश्वर नाथ मंदिर में मनाई गई देव दीपावली, जलाये गए 5700 दीये

कैमूर में जागेश्वर नाथ मंदिर में देव दीपावली के अवसर पर 5700 दीप जलाए गए. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. पढ़ें पूरी खबर..

Dev Deepawali celebrated
देव दीपावली
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Published : Nov 19, 2021, 10:32 PM IST

कैमूर (भभुआ): कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के अवसर पर जिले के मोहनिया में देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर कैमूर जिले क मोहनिया (Mohania) शहर के पुराना कचहरी रोड स्थित जागेश्वर नाथ मंदिर (Jageshwar Nath Temple) के तालाब पर हजारों दीप जलाए गए. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली.

यह भी पढ़ें - मसौढ़ी में देव दीपावाली के मौके पर गंगा आरती का आयोजन, श्रद्धालुओं ने किया दीप दान

बता दें कि दीवाली के 15 दिन बाद आने वाले इस पर्व में स्नान कर दीपदान करने का काफी महत्व है. मान्यता है कि इस दिन देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं. इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा है कि भगवान शिव ने इस दिन देवी देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के प्रकोप से मुक्त कराया था. कैमूर के जागेश्वर नाथ मंदिर में देव दीपावली के अवसर पर 5200 दीप जलाए गए. इस अवसर पर यहां हजारों की संख्या में दीप जलाकर लोगों ने पूरे इलाके को भक्तिमय कर दिया.

जलते दीयों से जगमग हुआ मंदिर परिसर

पंडित शिव नाथ ने बताया कि यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली का आयोजन किया जाता है. इस दिन लोग अपने जीवन में सुख-शांति के लिए मां सिहासनी के दरबार में दीप जलाते हैं. आज के दीन दीपों से जागेश्वर नाथ मंदिर के पूरे परिसर को सजाया जाता है. इस बार मंदिर में 5200 दीये जलाए गए हैं. उसके अलावा यहां पर दर्शन करने के लिए आने वाली श्रद्धालु भी 11 तो कोई पांच दिए जलाते है और अपनी मनोकामना पूरी करता है.

ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में लीन होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं. योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु के जागरण से प्रसन्न होकर समस्त देवी-देवताओं ने पूर्णिमा को लक्ष्मी नारायण की महाआरती कर दीप प्रज्वलित किया था. यह दिन देवताओं की दीपावली कही जाती है. यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने काशी के घाट पर गंगा में दीपदान कर दीपावली मनाई थी. इस दिन लोग विभिन्न तीर्थ स्थलों और मंदिरों में देव दीपावली मनाते हैं. साथ ही दीपदान कर भगवान की आस्था में लीन हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें - श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 552वां प्रकाश पर्व, जगमग हुआ तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब गुरुद्वारा

कैमूर (भभुआ): कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के अवसर पर जिले के मोहनिया में देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर कैमूर जिले क मोहनिया (Mohania) शहर के पुराना कचहरी रोड स्थित जागेश्वर नाथ मंदिर (Jageshwar Nath Temple) के तालाब पर हजारों दीप जलाए गए. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली.

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बता दें कि दीवाली के 15 दिन बाद आने वाले इस पर्व में स्नान कर दीपदान करने का काफी महत्व है. मान्यता है कि इस दिन देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं. इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा है कि भगवान शिव ने इस दिन देवी देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के प्रकोप से मुक्त कराया था. कैमूर के जागेश्वर नाथ मंदिर में देव दीपावली के अवसर पर 5200 दीप जलाए गए. इस अवसर पर यहां हजारों की संख्या में दीप जलाकर लोगों ने पूरे इलाके को भक्तिमय कर दिया.

जलते दीयों से जगमग हुआ मंदिर परिसर

पंडित शिव नाथ ने बताया कि यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली का आयोजन किया जाता है. इस दिन लोग अपने जीवन में सुख-शांति के लिए मां सिहासनी के दरबार में दीप जलाते हैं. आज के दीन दीपों से जागेश्वर नाथ मंदिर के पूरे परिसर को सजाया जाता है. इस बार मंदिर में 5200 दीये जलाए गए हैं. उसके अलावा यहां पर दर्शन करने के लिए आने वाली श्रद्धालु भी 11 तो कोई पांच दिए जलाते है और अपनी मनोकामना पूरी करता है.

ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में लीन होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं. योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु के जागरण से प्रसन्न होकर समस्त देवी-देवताओं ने पूर्णिमा को लक्ष्मी नारायण की महाआरती कर दीप प्रज्वलित किया था. यह दिन देवताओं की दीपावली कही जाती है. यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था. इस खुशी में देवताओं ने काशी के घाट पर गंगा में दीपदान कर दीपावली मनाई थी. इस दिन लोग विभिन्न तीर्थ स्थलों और मंदिरों में देव दीपावली मनाते हैं. साथ ही दीपदान कर भगवान की आस्था में लीन हो जाते हैं.

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