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मोदी मुर्दाबाद के नारों से गूंजा भभुआ, रसोईयों ने दिया धरना

भभुआ में रसोईयों ने राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोईया फ्रंट के अंतर्गत धरना दे दिया है. साथ ही, नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं.

रसोईयों ने दिया धरना
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Published : Feb 1, 2019, 11:32 PM IST

भभुआ: एक तरफ सरकार ने अंतरिम बजट पेश कर गरीबों के हित के बारे में सोचने का दावा किया, वहीं दूसरी तरफ निम्न मध्य वर्गीय परिवार से आने वाले रसोईयों ने राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोईया फ्रंट के अंतर्गत धरना दे दिया है नरेन्द्र मोदी-नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगाए.

रसोईयों ने दिया धरना
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आपको बता दें कि शुक्रवार को लिच्छवी भवन के सामने जिले के सभी पंचायतों से आई 3 सौ से ज्यादा रसोईयों ने धरना प्रदर्शन किया और केंद्र सहित राज्य सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की.

संगठन की प्रदेश अध्यक्ष सुनीता देवी और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष उमा शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार रोजाना रसोईयों को सिर्फ 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से महीने का सिर्फ 12 सौ रुपये देती है और वो भी प्रत्येक महीने नहीं देती.

उन्होंने कहा कि पिछले 12 सालों से रसोई 12 सौ रुपए महीने पर कार्य कर रहे हैं. सरकार ने 1 रुपया भी वेतन नहीं बढ़ाया है. ऐसे में परिवार का गुजारा कैसे होगा? उनकी मांग है कि सरकार ने जो रोजना की न्यूनतम मजदूरी तय की है उतने पैसे उन्हें भी मिलने चाहिए.

रसोईया का काम स्कूल में पढ़ाई करने वालो बच्चों को खाना खिलाना है. लेकिन 30 रुपए मेहताना में इनके बच्चे भूखे रहते हैं. बिहार सरकार ने 1 हजार रुपये बढ़ाने की बात कही थी और कहा था कि दिल्ली से जाकर केन्द्र सरकार से आग्रह करें कि इनकी रोजाना मजदूरी में वृद्धि की जाए.

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इन सब वादों के बावजूद इतने साल गुजर जाने के बाद भी सरकार ने 1 रुपये का भी इजाफा नहीं किया. अब उनका कहना है कि अगर सरकार ने हमारी मांगो को पूरा नहीं किया तो आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.

भभुआ: एक तरफ सरकार ने अंतरिम बजट पेश कर गरीबों के हित के बारे में सोचने का दावा किया, वहीं दूसरी तरफ निम्न मध्य वर्गीय परिवार से आने वाले रसोईयों ने राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोईया फ्रंट के अंतर्गत धरना दे दिया है नरेन्द्र मोदी-नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगाए.

रसोईयों ने दिया धरना
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आपको बता दें कि शुक्रवार को लिच्छवी भवन के सामने जिले के सभी पंचायतों से आई 3 सौ से ज्यादा रसोईयों ने धरना प्रदर्शन किया और केंद्र सहित राज्य सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की.

संगठन की प्रदेश अध्यक्ष सुनीता देवी और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष उमा शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार रोजाना रसोईयों को सिर्फ 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से महीने का सिर्फ 12 सौ रुपये देती है और वो भी प्रत्येक महीने नहीं देती.

उन्होंने कहा कि पिछले 12 सालों से रसोई 12 सौ रुपए महीने पर कार्य कर रहे हैं. सरकार ने 1 रुपया भी वेतन नहीं बढ़ाया है. ऐसे में परिवार का गुजारा कैसे होगा? उनकी मांग है कि सरकार ने जो रोजना की न्यूनतम मजदूरी तय की है उतने पैसे उन्हें भी मिलने चाहिए.

रसोईया का काम स्कूल में पढ़ाई करने वालो बच्चों को खाना खिलाना है. लेकिन 30 रुपए मेहताना में इनके बच्चे भूखे रहते हैं. बिहार सरकार ने 1 हजार रुपये बढ़ाने की बात कही थी और कहा था कि दिल्ली से जाकर केन्द्र सरकार से आग्रह करें कि इनकी रोजाना मजदूरी में वृद्धि की जाए.

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इन सब वादों के बावजूद इतने साल गुजर जाने के बाद भी सरकार ने 1 रुपये का भी इजाफा नहीं किया. अब उनका कहना है कि अगर सरकार ने हमारी मांगो को पूरा नहीं किया तो आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.

Intro:एक तरफ सरकार ने गरीबों के हित ने बजट पेश करने की बाद कही वही दूसरे तरफ निम्न मध्य वर्गीय परिवार से आनेवाले रशोइया ने राष्ट्रीय मध्यान भोजन रसोइया फ्रंट के अंतर्गत धरना प्रदेश दिया और नरेन्द्र मोदी नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगाए।


Body:आपको बतादें की शुक्रवार को लिच्छवी भवन के सामने जिले के सभी पंचायतों से आई 3 सौ से ज्यादा रसोईयो ने धरना प्रदर्शन किया और केंद्र और राज्य सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष सुनीता देवी और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष उमा शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार रोजाना रसोईयो को सिर्फ 30 रुपये प्रति दिन के हिसाब से महीने का सिर्फ 12 सौ रुपये देती है। वो भी प्रत्येक महीने नही देती है। उन्होंने कहा कि पीछे 12 सालो से रसोई 12 सौ रुपये महीने पर कार्य कर रहे है सरकार ने 1 रुपये भी वेतन नही बढ़ाया है ऐसे में परिवार का गुजारा कैसे होगा। उनका मांग है कि सरकार ने जो रोजना का न्यूनतम मजदूरी तय किया है उतना पैसा उन्हें भी मिलना चाहिए। रसोइया का काम स्कूल में पढ़ाई करने वालो बच्चों को खाना खिलाना है लेकिन 30 रुपये मेहताना में इनके बच्चे भूखे रहते है। बिहार सरकार ने 1 हजार रुपये बढ़ाने के बात कही थी और कहा था कि दिल्ली से जाकर केन्द्र सरकार से आग्रह करें कि इनका रोजाना मजदूरी में वृद्ध हो लेकिन इतने साल गुजरने के बाद भी सरकार ने 1 रुपये का भी इजाफा नही किया।

अगर सरकार इनकी मांगो को पूरा नही करती है तो आंदोलन करने को बाध्य होने।


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