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60 की जगह 16 डॉक्टर से चलता है ये अस्पताल, इलाज के लिए करना पड़ता है घंटो इंतजार

इस अस्पताल में जिन डॉक्टरों को सुबह आना चाहिए वह 3 बजे दिन में आते हैं. इंतजार में मरीज परेशान होते हैं

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Published : Jun 28, 2019, 3:16 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 4:10 PM IST

कैमूरः जिला मुख्यालय भभुआ स्तिथ सदर अस्पताल सरकार के सभी दावे के पोल खोलता हुआ नजर आ रहा है. 60 कि जगह महज 16 डॉक्टर ही भभुआ के सदर अस्पताल को चलाते हैं. डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों को 5 घंटे तक का इंतज़ार करना पड़ता है.

पूरे अस्पताल में केवल16 डॉक्टर
सदर अस्पताल भभुआ में सरकार ने 60 डॉक्टरों की सीट को सैंक्शन किया है. लेकिन अस्पताल में केवल 16 डॉक्टर ही मौजूद हैं. यही नहीं अस्पताल में सीनियर नर्स के लिए 100 सीट है लेकिन मौजूद हैं केवल 20. ऐसे में अस्पताल में कितने अच्छे तरीके से मरीजों का इलाज होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

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डॉक्टर के इंतजार में बैठे मरीज

घंटो करना पड़ता है इंतजार
बहन का आपरेशन कराने आये एक भाई ने बताया कि सुबह 10 बजे बहन को लेकर आए हैं. लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था. जिस वजह से काफी परेशानी हुई. 5 घंटे के इंतजार के बाद 3 बजे डॉक्टर आए तब जाकर इलाज हो पाया. डॉक्टर की गैर मौजूदगी में नर्स थोड़ा बहुत मरीजों का देखभाल करती हैं. लेकिन सदर अस्पताल में तो 100 ही जगह महज 20 नर्स ही मौजूद हैं. ऐसे में सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की सारी बातें झूठी लगती हैं और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता हैं.

जानकारी देते संवाददाता

बेड की भी है कमी
रात में अपने बच्चे का इलाज कराने आये एक शख्स ने कहा कि डॉक्टर ने बच्चे को एडमिट करने से मना कर दिया. कहा कि बेड की कमी है. ऐसे में कई बार विनती करने के बाद 12 बजे रात को भर्ती किया गया. वहीं, अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि सदर अस्पताल भभुआ में 300 बेड सैंक्शन किया गया है लेकिन यहां 100 बेड ही उपलब्ध हैं. संसाधन का आभाव है. लेकिन जिला प्रशासन लिमिट संसाधन में बेहतर इलाज करने के लिए प्रतिबद्ध है.

कैमूरः जिला मुख्यालय भभुआ स्तिथ सदर अस्पताल सरकार के सभी दावे के पोल खोलता हुआ नजर आ रहा है. 60 कि जगह महज 16 डॉक्टर ही भभुआ के सदर अस्पताल को चलाते हैं. डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों को 5 घंटे तक का इंतज़ार करना पड़ता है.

पूरे अस्पताल में केवल16 डॉक्टर
सदर अस्पताल भभुआ में सरकार ने 60 डॉक्टरों की सीट को सैंक्शन किया है. लेकिन अस्पताल में केवल 16 डॉक्टर ही मौजूद हैं. यही नहीं अस्पताल में सीनियर नर्स के लिए 100 सीट है लेकिन मौजूद हैं केवल 20. ऐसे में अस्पताल में कितने अच्छे तरीके से मरीजों का इलाज होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

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डॉक्टर के इंतजार में बैठे मरीज

घंटो करना पड़ता है इंतजार
बहन का आपरेशन कराने आये एक भाई ने बताया कि सुबह 10 बजे बहन को लेकर आए हैं. लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था. जिस वजह से काफी परेशानी हुई. 5 घंटे के इंतजार के बाद 3 बजे डॉक्टर आए तब जाकर इलाज हो पाया. डॉक्टर की गैर मौजूदगी में नर्स थोड़ा बहुत मरीजों का देखभाल करती हैं. लेकिन सदर अस्पताल में तो 100 ही जगह महज 20 नर्स ही मौजूद हैं. ऐसे में सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की सारी बातें झूठी लगती हैं और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता हैं.

जानकारी देते संवाददाता

बेड की भी है कमी
रात में अपने बच्चे का इलाज कराने आये एक शख्स ने कहा कि डॉक्टर ने बच्चे को एडमिट करने से मना कर दिया. कहा कि बेड की कमी है. ऐसे में कई बार विनती करने के बाद 12 बजे रात को भर्ती किया गया. वहीं, अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि सदर अस्पताल भभुआ में 300 बेड सैंक्शन किया गया है लेकिन यहां 100 बेड ही उपलब्ध हैं. संसाधन का आभाव है. लेकिन जिला प्रशासन लिमिट संसाधन में बेहतर इलाज करने के लिए प्रतिबद्ध है.

Intro:कैमूर।

जिला मुख्यालय भभुआ स्तिथ सदर अस्पताल सरकार के सभी दावे के पोल खोलता हुआ नजर आ रहा हैं। 60 कि जगह महज 16 डॉक्टर ही भभुआ के सदर अस्पताल को चलाते हैं। डॉक्टरों को कमी के वजह से मरीजों को 5 घंटे तक का इंतज़ार करना पड़ता हैं।


Body:आपको बतादें दे सदर अस्पताल भभुआ में सरकार के द्वारा 60 डॉक्टरों के सीट को सैंक्शन किया गया है लेकिन अस्पताल में मौजूद है केवल 16 डॉक्टर यही नही अस्पताल में सीनियर नर्स के लिए 100 सीट है लेकिन मौजूद है केवल 20 ऐसे में अस्पताल में कितने अच्छे तरीके से मरीजों का ईलाज होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं।

बहन का आपरेशन कराने आये भाई ने बताया कि सुबह 10 बजे बहन को लेकर आये हुए थे लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर नही था जिस वजह से काफी परेशानी हुई। 5 घंटे के इंतज़ार के बाद 3 बजे डॉक्टर आई तब जाकर ईलाज शुरू हो पाया। डॉक्टर की गैर मौजूदगी में नर्स थोड़ा बहुत मरीजों का देखभाल करती हैं। लेकिन सदर अस्पताल में तो 100 ही जगह महज 20 नर्स मौजूद हैं। ऐसे में सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की सारी बातें झूठी लगती हैं और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता हैं।

रात में अपने बच्चे का ईलाज कराने आये एक शख्स ने कहा कि डॉक्टर ने तो बच्चे को एडमिट करने से मना कर दिया कहा कि बेड की कमी हैं। ऐसे में कई दफा विनती करने के बाद 12 बजे रात्रि को भर्ती करता हैं।

अस्पताल के उपाध्यक्ष ने बताया कि सदर अस्पताल भभुआ में 300 बेड सैंक्शन किया गया है लेकिन यहाँ 100 बेड की उपलब्ध हैं। संसाधन का आभाव है लेकिन जिला प्रशासन लिमिट संसाधन में बेहतर ईलाज करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


Conclusion:
Last Updated : Jun 28, 2019, 4:10 PM IST
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