जमुई: जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर बसा वरहट प्रखंड के धोवनी गांव में लगभग 200 से 250 परिवार रहता है. ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद से अब तक विकास से ये गांव मरहूम रहा है. यहां न तो पानी पीने के लिए नल है, न ही शौचालय, न ही स्कूल और न ही स्वास्थ्य संबंधित कुछ व्यवस्था है.
ग्रामीणों के अनुसार धोवनी गांव के बगल में एक चांदनीद्वार मैदान है यहां धोवनी, नूमर और नासरीचक सहित अन्य दर्जनों गांव के लोग आते हैं. यहां पर बच्चे, युवक और युवतियां खेलकूद के साथ-साथ दौड़ आदि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने आते हैं. ग्रामीण लगातार मांग कर रहे थे कि इस मैदान के पास ही एक चापाकल लगा दिया जाए और मैदान की घेराबंदी कर दी जाए, ताकि खिलाड़ियों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी फायदा होगा.
विकास के लिए नए चेहरे को देंगे समर्थन
वहीं, धोवनी गांव के लोगों ने कहा कि जीतकर नेताजी जाते हैं तो दोबारा लौटकर आते नहीं. जमुई के कई जनप्रतिनिधि विधायक, मंत्री और सांसद हुऐ लेकिन किसी ने समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया, लोगों को आश्वासन तो बहुत दिए, कभी काम नहीं किया. लोगों ने कहा कि एक चापाकल तक नहीं दे पाए हैं. इसलिए गांव के लोग इस बार पुराने नेताओं का बहिष्कार करेंगे और नए चेहरे को समर्थन देंगे जो विकास पर ध्यान दें.
विकास की नाम पर बेमानी
जानकारी पर जाप जिलाध्यक्ष मो. शमशाद आलम ने अपने निजी कोष से चांदनीद्वार मैदान में एक चापाकल दिया और ग्रामीणों को आगे भी मदद करने का भरोसा दिलाया. वहीं उन्होंने कहा कि सरकार इस गांव में एक चापाकल तक नहीं दे पाई है, बिहार सरकार विकास के नाम पर लोगों के साथ बेईमानी कर रही है.
नहीं पहुंची है इस गांव में विकास का किरण
जमुई के वरहट प्रखंड के धोवनी गांव के ग्रामीण कहते हैं कि आजादी के बाद से अब तक नेताओं ने इस गांव के लोगों को केवल आश्वासन दिया, काम जमीन पर कुछ नहीं हुआ, एक चापाकल तक नहीं दे पाए. आज भी सरकार के विकास योजनाओं की किरण देखने के लिए ग्रामीण ललाइत हैं.