जमुई: शिक्षकों को चार माह से वेतन नहीं मिला है. वेतन के अभाव और शिक्षा विभाग (Education Department) के कड़े कदमों ने शिक्षकों को परेशान कर दिया है. ऐसे में अपनी मांगों के साथ बिहार प्रदेश अध्यक्ष के आह्वान पर राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन (Teachers Protest) किया गया. कार्यक्रम के तहत जमुई में कचहरी चौक पर स्वर्गीय अभय सिंह प्रतिमा स्थल के समक्ष सैंकड़ों महिला पुरूष शिक्षकों ने धरना दिया.
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मौके पर मीडिया से बात करते हुऐ बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ (State Teachers Association) के जिला महासचिव मनोज कुमार यादव ने बताया कि चार माह से वेतन नहीं मिला है. वेतन नहीं मिलने से भूखे मरने की नौबत आ गई है. एक तरफ वेतन का अभाव है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार दिन प्रतिदिन कारवाई के लिए चिठ्ठी निकाल रही है.
शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है. बिहार का शिक्षक प्रतिदिन प्रताड़ित हो रहा है उपेक्षित हो रहा है. सरकार भी नहीं चाहती है कि गरीबों के बच्चे पढ़े. शिक्षक काम करने के लिए तैयार हैं. लेकिन सरकार हमलोगों से कई काम कराती है. एक टीचर का वर्किंग डे सात से आठ घंटे का होता है लेकिन सरकार 18 घंटा काम करवाती है और इस दौरान अठारह तरह का काम देती है.- मनोज कुमार, जिला महासचिव, बिहार राज्य शिक्षक संघ
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने बताया कि पिछले वर्ष जब हड़ताल हुआ था उसी समय कोरोना काल में सरकार ने वादा किया था कि शिक्षकों के वेतन में पंद्रह प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. लेकिन आज तक इसे अमली जामा नहीं पहनाया गया है. दो वर्ष बीतने को है सरकार की घोषणा का फायदा शिक्षकों को नहीं मिला है. सरकार के नियोजन शिक्षक नियमावली 2005 , 2010 , 2012 , 2018 , 2020 के मुताबिक प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक की प्रोन्नति की बात थी लेकिन उस पर भी अमल नहीं किया गया.
शिक्षकों का वेतन भुगतान करने, अप्रैल 2021 से वेतन में 15 फीसद वृद्धि करने, नव प्रशिक्षित शिक्षकों का बकाया वेतन भुगतान करने, मध्याह्न भोजन योजना का आदेश वापस लेने, कटिहार के शिक्षक मो. तमीजुद्दीन का निलंबन वापस लेने, प्रारंभिक विद्यालयों के प्रधान शिक्षक की सीधी नियुक्ति पर रोक लगाते हुए प्रोन्नति से भरने सहित कई मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया.
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