जमुई: बिहार में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की लाचार व्यवस्था के सभी गवाह हैं. इलाज के अभाव में तड़पते मरीजों की याद आज भी ताजा है. उस समय राज्य सरकार ने बड़े-बड़े दावे किये थे. व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई घोषणाएं की गयी थीं लेकिन आज भी हालात वैसे ही हैं, जैसे थे. आज जरुरतमंद को मौके पर सरकारी एम्बुलेंस (Ambulance) भी नसीब नहीं हो रहा. इसकी बानगी यहां जमुई में देखने को मिली.
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जानकारी के अनुसार अकौनी गांव के सुबोध कुमार सिंह का पुत्र सोहित कुमार शनिवार देर रात्रि सिकंदरा थानाक्षेत्र के NH-333 A सिकन्दरा-शेखपुरा मुख्यमार्ग पर बस की टक्कर से मोटरसाइकिल चालक एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया. घायलवस्था में युवक को ग्रामीणों के सहयोग से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरा लाया गया. उसकी हालत चिंताजनक देख चिकित्सक ने उसे जमुई रेफर कर दिया.
उस समय अस्पताल में दो-दो एम्बुलेंस खड़ी थीं लेकिन घायल युवक जमुई नहीं ले जाया गया. युवक करीब एक घन्टे तक उसी तरह दर्द से तड़पता रहा. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने उसे भेजने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की जहमत नहीं उठायी. यह देख ग्रामीण आक्रोशित हो गये और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ हंगामा करने लगे. मौके पर पुलिस पहुंची और ग्रामीणों को शांत कराया. बाद में ग्रामीणों ने प्राइवेट एम्बुलेंस की व्यवस्था कर घायल युवक को बेहतर ईलाज के लिए भेजा.
गोपनीयता की शर्त पर अस्पताल के एक कर्मी ने बताया कि एम्बुलेंस चालक शाम होते ही शराब के नशे में डूब जाते हैं. अगर इस हालत में मरीजों को ले जाने के क्रम में कई बार हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचे हैं.
'सड़क दुर्घटना में युवक के गंभीर रूप से जख्मी होने पर रेफर किये के बाद उसे एम्बुलेंस से नहीं ले जाया गया. यह गंभीर आरोप है. इसकी जांच करते हुए आवश्यक कारवाई की जाएगी.' अजय कुमार भारती, सिविल सर्जन,जमुई