जमुई: आजादी के दशकों बीत गए हैं. सूबे में कई दलों की सरकारें आई और गई. लेकिन आज भी जिले के गिद्धौर प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत में रह रहे महादलित लोगों की स्थिति जस की तस है. राज्य सरकार की ओर से महादलितों के लिए की गई लाख कवायदों के बावजूद भी कोल्हुआ पंचायत के भोला नगर महादलित टोले के लोग आज भी आवास, शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से अछूते हैं.
पिछले दस सालों से इस राज्य में विकास की गंगा बह रही है. इसके बावजूद भी यह महादलित गांव विकास से कोसों दूर है. जब भी चुनाव आता है कई दलों के जनप्रतिनिधि इन महादलित टोलों में जाते हैं, इन्हें विकास की हर लोकलुभावन सुविधाओं का झांसा देकर, इनके वोट हासिल कर सरकार में इनके रहनुमा बन बैठते हैं. लेकिन इसके बाद इनकी बद्तर स्थिति पर सुध लेना भी मुनासिब नहीं समझते.
नदी में तब्दील हुई सड़कें
आलम ये है कि अपने सुनहरे भविष्य की उम्मीद में इस महादलित टोले के लोग अपने उद्धारक की आस लगाए बैठे हैं. बता दें कि भोला नगर महादलित टोले के लोगों के आवागमन की सुविधा को सुगम बनाने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से विभिन्न योजनाओं खासकर मनरेगा से कई बार सड़क बनवाई गई. लेकिन इस महादलित टोले में सड़क निर्माण के नाम पर विभागीय अभिकर्ताओं और मनरेगा के चहेते संवेदकों ने सरकारी राशि की लूट खसोट कर ली. इससे स्थिति ये है कि बारिश आते ही भोला नगर महादलित टोले की ओर जाने वाली मुख्य सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है.
नारकीय जीवन जी रहे ग्रामीण
इस मूलभूत समस्या को लेकर भोला नगर महादलित टोला निवासी मनोज मांझी, कविता मांझी सहित दर्जनों महादलित ग्रामीण बताते हैं कि कई बार इस टोले में स्थानीय पदाधिकारी का आना जाना भी हो चुका है. उन्होंने कहा कि टोले में बनी मुख्यालय से जोड़ने वाली इस सड़क की मरम्मत में सुधार कार्य को लेकर किसी ने भी ठोस पहल नहीं की. इसकी वजह से वह लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं.
ग्रामीणों का जीना हुआ दूभर
वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश का मौसम आने से पहले भी वे अपने टोले की बदहाल पड़ी सड़क की सूचना प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों को कई बार दी गई. लेकिन किसी ने सुध नहीं लिया. जिसकी वजह से बारिश के दिनों में सभी ग्रामीणों को गांव से बाहर जाना दूभर हो जाता है.