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तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना महात्मा गांधी की जीत: पूर्व कृषि मंत्री

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Published : Nov 19, 2021, 5:57 PM IST

बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कृषि कानूनों को वापस लेने को महात्मा गांधी की जीत बताया है. उन्होंने कहा कि यह कानून किसी भी तरह से किसानों के हित में नहीं था.

पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह
पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह

जमुईः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेना (Withdraw of Agricultural Laws) महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जीत है. किसानों ने अहिंसक धरना प्रदर्शन कर सरकार को मजबूर कर दिया कि तीनों कानून वापस लें. उक्त बातें पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कही. वे शुक्रवार को स्थानीय परिसदन में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हम इस कदम का स्वागत करते हैं.

यह भी पढ़ें- कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद कांग्रेस कार्यालय में जश्न का माहौल, खेला अबीर गुलाल

'यह कानून किसी भी तरह से किसानों के हित में नहीं था. लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. एमएसपी पर सरकार ने कुछ नहीं कहा है. किसानों के लिए एमएसपी का होना जरूरी है. अन्यथा वे औने-पौने दामों में अपने उत्पाद बेचने को मजबूर रहेंगे. इतने से काम नहीं चलेगा. सरकार को तीन स्तर पर धान का क्रय करना चाहिए. इसके लिए एफएससी, एसएफसी व कोऑपरेटिव तीनों संस्था के द्वारा धान क्रय किया जाए, तभी किसान लाभांवित हो सकेंगे. कृषि कानून को वापस लेना महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जीत है. किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन किया. जिसका नतीजा सबके सामने है.' -नरेंद्र सिंह, पूर्व कृषि मंत्री

कृषि कानून वापस लेने को पूर्व कृषि मंत्री ने बताया महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जीत

उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों नहीं होता है कि एसएफसी का हर पंचायत में तीन से पांच क्रय केन्द्र होना चाहिए. अभी बिहार में ये स्थिति है कि किसानों को पता ही नहीं है कि सरकार धान की खरीद करती है. उन्हें ये भी नहीं पता है कि एमएसपी दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जब हम कृषि मंत्री थे, तो हमने किसानों को विकल्प दिया था कि किसके पास वे धान बेचना चाहते हैं. एमएसपी के अलावा हमने किसानों को सब्सिडी भी दी थी.

उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों को पता ही नहीं है कि अन्य राज्यों में फसलों की क्या कीमत दी जाती है. उदाहरण देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार केन्द्रीय दर से भी ऊंचे दरों पर फसलों की खरीद करती है, तब जाकर आज किसान खुशहाल हो रहे हैं. अन्य राज्यों में किसानों का जीवन स्तर बिहार से काफी अच्छा है. हमारा आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है. हम दिसंबर में राकेश टिकैत की सभा करने वाले थे. फिलहाल वे काफी व्यस्त हैं, लेकिन जल्द ही बिहार में उनकी सभा का आयोजन किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: कृषि कानूनों की वापसी को तेजस्वी यादव ने बताया किसानों की जीत, सरकार की हार

जमुईः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेना (Withdraw of Agricultural Laws) महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जीत है. किसानों ने अहिंसक धरना प्रदर्शन कर सरकार को मजबूर कर दिया कि तीनों कानून वापस लें. उक्त बातें पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कही. वे शुक्रवार को स्थानीय परिसदन में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हम इस कदम का स्वागत करते हैं.

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'यह कानून किसी भी तरह से किसानों के हित में नहीं था. लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. एमएसपी पर सरकार ने कुछ नहीं कहा है. किसानों के लिए एमएसपी का होना जरूरी है. अन्यथा वे औने-पौने दामों में अपने उत्पाद बेचने को मजबूर रहेंगे. इतने से काम नहीं चलेगा. सरकार को तीन स्तर पर धान का क्रय करना चाहिए. इसके लिए एफएससी, एसएफसी व कोऑपरेटिव तीनों संस्था के द्वारा धान क्रय किया जाए, तभी किसान लाभांवित हो सकेंगे. कृषि कानून को वापस लेना महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जीत है. किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन किया. जिसका नतीजा सबके सामने है.' -नरेंद्र सिंह, पूर्व कृषि मंत्री

कृषि कानून वापस लेने को पूर्व कृषि मंत्री ने बताया महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जीत

उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों नहीं होता है कि एसएफसी का हर पंचायत में तीन से पांच क्रय केन्द्र होना चाहिए. अभी बिहार में ये स्थिति है कि किसानों को पता ही नहीं है कि सरकार धान की खरीद करती है. उन्हें ये भी नहीं पता है कि एमएसपी दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जब हम कृषि मंत्री थे, तो हमने किसानों को विकल्प दिया था कि किसके पास वे धान बेचना चाहते हैं. एमएसपी के अलावा हमने किसानों को सब्सिडी भी दी थी.

उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों को पता ही नहीं है कि अन्य राज्यों में फसलों की क्या कीमत दी जाती है. उदाहरण देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार केन्द्रीय दर से भी ऊंचे दरों पर फसलों की खरीद करती है, तब जाकर आज किसान खुशहाल हो रहे हैं. अन्य राज्यों में किसानों का जीवन स्तर बिहार से काफी अच्छा है. हमारा आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है. हम दिसंबर में राकेश टिकैत की सभा करने वाले थे. फिलहाल वे काफी व्यस्त हैं, लेकिन जल्द ही बिहार में उनकी सभा का आयोजन किया जाएगा.

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