जमुई: बिहार के कई प्रवासी मजदूर तमिलनाडु में रहकर काम करते हैं. जिन्हें अक्सर हिंदी भाषी बोलकर परेशान किया जाता है. एक बार फिर बिहार के मजदूरों के साथ तमिलनाडु में बर्बरतापूर्ण रवैया इख्तियार किया गया है. जिसे लेकर राजनीति भी गर्म है. बिहार सरकार ने इसके जांच के निर्देश भी दिए हैं, वहीं तमिलनाडु प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सभी उत्तर भारतीय पूरी तरह से सुरक्षित हैं, डरने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि वायरल वीडियो को देखकर डरे सहमे लोग अब घर वापसी में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं.
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अपने घर लौटे आए कई मजदूरः जमुई के सबलबीघा पंचायत के बसबुट्टी गांव लौटे प्रवासी मजदूर राहुल ने अपनी आप बीती सुनाते हुए कहा कि वह तमिलनाडु के त्रिपुर मंड्रेय इलाके में रहता थे. वह पिछले 8 साल से तमिलनाडु में रह रहे हैं एक लोहे के कंपनी में काम करते हैं. जिसके एवज में उसे हर दिन 650 रुपये मिलते थे. कमोबेश यही कहानी अजीत राम, प्रमोद, बीरेंद्र, कार्तिक, नीतीश पासवान, विपिन पासवान और रोहित की भी है, जो बीती रात तामिलनाडु से लौटे हैं. प्रवासी मजदूर मुकेश पासवान कहना है कि उन्होंने बिहारियों के साथ मारपीट होते अपनी आखों से देखा है, इसलिए वहां से लौट आए ताकी उनकी जान बच जाए.
हिंदी भाषी मजदूरों का होता है विरोधः प्रवासी मजदूरों ने बताया कि बिहारी मजदूरों को कंपनी में काम मिलने के कारण तमिल वालों को कंपनी काम नहीं मिलता है. जिसके कारण तमिल वाले हिंदी वाले पर पूर्व से भड़के हुए हैं. इसी वजह से तमिल वाले ने काम नहीं मिलने पर उन लोगों ने हिंदी भाषी मजदूरों का विरोध का करना शुरू किया है. अधिकतर कंपनी में बिहार के मजदूर ही काम कर रहे हैं. वहीं वायरल वीडियो की जानकारी की बात पूछने पर मजदूरों ने ठीक से कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि मरा तो है लेकिन किसने मारा है और वीडियो की सच्चाई क्या है, उन्हें नहीं मालूम है. वीडियो देखकर वो लोग भी डरे हुए हैं.
वायरल वीडियो देखकर डरे हुए हैं लोगः वहीं, जमुई के धधौर गांव में 12 की संख्या में प्रवासी मजदूर तमिलनाडु से लौट आए हैं. जिसमें प्रकाश पासवान, नीतीश पासवान, बिक्कू पासवान, विपिन पासवान और रंजीत शामिल हैं. इन सबने यही कहा कि वायरल वीडियो देखकर ही हम सभी वहां से भागकर आये हैं, बहुत सारे अब भी वहीं फंसे हैं. इन मजदूरों ने बिहार सरकार पर जमकर भड़ास निकाला और कहा कि बिहार में अगर यहां के मजदूर वर्ग को रोजगार सृजन की दिशा में पहल की जाती तो यहां के मजदूर क्यों दूसरे राज्यों के लिए पलायन करते. अपनी रोजी रोटी व परिवारों के भरण पोषण को लेकर आज हम सभी मजदूरों को दूसरे राज्यों में प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है.
"8 साल से तमिलनाडु में काम कर रहे थे मेरे टोलि का 10 लड़का लौटा है अगर और गांव की बात करें तो कुल 20 लोग अभी लौटे है. हम वहां गाड़ी चलाते थे. मोटिया ढोते थे बंडल उठाते पहुंचाते थे, ऐसे मूवमेंट था की हर किसी को मार रहा था इतने दिन से रहने के बावजूद वापस चले आऐ अगर वहां रहते तो हम भी मारे जाते"- मुकेश पासवान, प्रवासी मजदूर
"हमलोग वीडियो में देखें यहां से फोन भी आता था कि ऐसा माहौल है मेरे बगल के ही गांव धधौर का एक लड़का पवन यादव वहां मारा गया. 10-12 लोग मरे गए हैं. हमलोगों ने अपनी आखों से नहीं देखा है, किसने मारा ये पता नहीं है. अगर घटना के समय हमलोग वहां मौजूद रहते तो हमलोगों की भी जान जा सकती थी"- प्रवासी मजदूर