जमुई: होली में बच्चे, बूढ़े और नौजवान रंगों से सराबोर नजर आ रहे हैं. इस बीच कहीं ढोल-नगाड़े की थाप तो कहीं झाल मंजीरे की झंकार पर लोग फगुआ गाए जा रहे हैं.
होली के कई रंग दिखे
जमुई में सुबह से ही होली के रंग लोगों पर चढ़ा हुआ है. कहीं फगुआ तो कहीं होली के गीत गाये गये. वैसे तो शहरों में अधिकांश लोग रंग-गुलाल से होली खेलते देखे गए. ग्रामीण इलाकों में आज भी गर्दा और कादो-माटी से होली होती है. होली के एक दिन पहले अगजा जलाया जाता है. उस दौरान बच्चे, बूढ़े और युवा होलिका दहन में जले राख को शरीर पर लपेटकर परिक्रमा करते हैं.
वहीं, झाल मंजीरे का साथ झुमते फगुआ गाते और धूल उड़ाते हैं. इसे गर्दा होली कहा जाता है. ग्रामीण इलाकों में दोपहर तक गर्दा और कादो-माटी की होली होती है. उसके बाद रंगों की होली खेली जाती है. जिसमें कच्चा, पक्का, हरा, गुलाबी, नीला, पीला, कई तरह के रंगों की होली होती है.
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सूर्य ढलते ही होता है मिलन
होली खेलने के बाद सभी लोग नए कपड़े पहनकर तैयार होते हैं. सभी लोग अबीर गुलाल हम उम्र को गाल में लगाते और गले मिलते है. दुसरे तरफ बड़ो के चरण पर गुलाल अर्पित कर आशीर्वाद लेते हैं. गाजे-बाजे के साथ जुलूस भी निकाला जाता है. लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और पुआ, पकवान व ठंडाई का लुफ्त उठाते हैं.