जमुईः पूरे बिहार में होली का त्योहार धूम-धाम से मनाया गया. बिहार के जमुई में होलिका दहन की राख से धुरखेल होली खेली गई. यानी राख उड़ाकर लोग एक दूसरे पर डालते हैं. उसके बाद दिनभर मिट्टी से होली खेली गई. शाम में शुरुआत हुई रंग अबीर गुलाल की होली की जो देर रात तक चली. लोगों ने एक दूसरे को गले मिलकर होली की बधाई दी.
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लोगों ने खेली राख की धुरखेल होलीः बिहार में कुर्ताफाड़ होली, लट्ठमार होली तो सुना ही होगा. लेकिन जिला जमुई में राख की धुरखेल होली खेली जाती है, इसमें अगजा होलिका दहन के राख को उड़ाते हैं और ढोल बाजे के साथ एक दूसरे पर डालते है लगाते हैं. फिर खेली जाती है कादो माटी की होली. इसमें कपड़े तो फटते ही हैं, कादो माटी के घोल से लोग सराबोर हो जाते हैं. लोग एक दूसरे को माटी-माटी कर देते हैं और फिर दोपहर बाद खेली जाती है रंगों की होली.
देर रात तक मिलते जुलते रहे लोगः सबसे अंत में अबीर गुलाल एक दूसरे को लगाकर होली मनाते हैं. छोटे बड़े से आशीर्वाद लेते हैं और एक दूसरे को बधाइयां दी जाती हैं. वहीं हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाने में महिलाएं लगी रहीं. दहीबाड़े, मालपूआ, पकौड़े, इमली और पोदिने की चटनी, अन्य व्यंजन और ठंढाई का लुफ्त उठाते हुए लोग एक दूसरे से देर रात तक मिलते जुलते रहे.
बुजुर्गों में भी दिखा उमंगः बच्चे और बुजुर्ग भी अपने रंग में अगल ही नजर आए. दिन भर युवाओं की टोली ढोल मजीरा के साथ रंगों में सराबोर दिखे. ढोल नगाड़े झाल मंजिरा के धुन पर लोग फगुआ गाते नजर आए. होली के दिन बच्चे और युवा ही नहीं बुजुर्गों का भी उमंग देखने लायक था.