जमुई: बिहार के जमुई जिले के किसानों को बड़ी राहत मिली है. 17 दिनों से चल रहा किसानों का धरना आखिरकार समाप्त हो गया है. जिला प्रशासन ने उनकी मांगों को समझते हुए गढी डैम मछली बन्दोबस्ती रद्द करने का फैसला लिया है. यह फैसला मत्स्य विभाग द्वारा लिया गया है.
चार सूत्री मांगों को लेकर धरना: दरअसल, पिछले 17 दिनों से किसानों द्वारा सार्वजनिक गढ़ी डैम का मछली निविदा रद्द करने, विस्थापित किसानों को मुआवजा देने, किसानों के खेतों में पानी का प्रबंध करने, गांव में सड़क पानी और बिजली जैसी मुल सुविधा देने को लेकर मांग की जा रही थी. जिसे आखिरकर जिला प्रसाशन ने सुन लिया है.
मांगों को जायज बताया: इस संबंध में माले जिला सचिव शंभूशरण सिंह ने बताया कि इस बीच अनुमंडल पदाधिकारी, सिचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता, जिला मत्स्य पदाधिकारी, अनुमंडल मत्स्य पदाधिकारी द्वारा वार्ता के बाद मांगो को जायज बताते हुए फैसला लिया गया है.
धरनार्थियों को सौंपा पत्र: वहीं अनुमंडल पदाधिकारी अभय तिवारी ने लुसीटॉड गांव जाकर ग्रामीणों को सड़क और पानी का प्रबंध करने का भरोसा दिया है. इसके अलावा उप समाहर्ता भूमि सुधार तारीक रजा और अनुमंडलीय मत्स्य पदाधिकारी ने धरनास्थल पर पहुंचकर गढी डैम जलाशय की बन्दोबस्ती रदद् करने के फैसले की कापी को धरनार्थियों को सौंप दिया.
"अपनी मांगों को लेकर किसानों ने 17 दिनों तक अनिश्चितकालीन धरना दिया. वह इस कपकपाती ठंड में सैकड़ों पर डटे रहे. तब जाकर जिला प्रशासन की नींद खुली है." - शंभूशरण सिंह, जिला सचिव, माले
"अपर क्युल जलाशय के 456 विस्थापित किसानों की मुआवजा और पुनर्वास की सूची एक महीने के अंदर उपलब्ध कर उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. साथ ही पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए जलाशय के आसपास के गांवों में लिफ्ट एरिगेशन के लिये विभाग को जानकारी भेजी जाएगी." - उदय सिंह, कार्यपालक अभियंता, सिचाई प्रमंडल, जमुई
"यह जीत जमुई के तमाम मजदूरों और किसानों के संघषों की जीत है. वार्ता के सभी बिंदु अगर समय सीमा के अंदर पूरा नहीं होगा तो फिर से इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा." - बाबू साहब सिंह, सदस्य, विस्थापित किसान मोर्चा
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