जमुई : बिहार के जमुई जिले में गुरुवार को लेखक व नाटककार दयाप्रकाश सिन्हा का पुतला दहन किया गया. महात्मा फूले समता परिषद के बैनर तले जदयू प्रदेश सचिव अशोक मंडल ने शहर के मुख्य चौक पर डीपी सिन्हा के खिलाफ नारेजाबी करते हुए उनका पुतला दहन (Protest On Daya Prakash sinha Controversial Statement) किया. इस दौरान युवाओं ने आक्रोश मार्च निकालकर दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
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कार्यक्रम के नेतृत्व कर रहे जदयू प्रदेश सचिव अशोक मंडल ने कहा कि, कहा कि सम्राट अशोक का अपमान देश का अपमान है. जिस प्रकार से चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है, यह बर्दाश्त से बाहर है. नाटककार ने सम्राट अशोक की तुलना एक मामले में औरंगजेब से की है. इसी को लेकर रोष जताया गया है.
'सम्राट अशोक के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी को भारत की जनता कभी स्वीकार नहीं कर सकती है. अपने पराक्रम और समाज सुधार के कार्यों से भारत को पूरी दुनिया में गौरव दिलाया. उनके ऊपर नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने अपनी रचनाओं में और इस संदर्भ में दिए गए साक्षात्कार में उन महान शख्सियत के खिलाफ अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी एवं उनके विरुद्ध आधारहीन तर्क बर्दाश्त योग्य नहीं हैं. साथ ही इतिहास विरुद्ध बात लिखकर न सिर्फ बिहार के स्वाभिमान को ललकारा गया है बल्कि भारत की अस्मिता पर भी हमला किया है' :- अशोक मंडल, जदयू प्रदेश सचिव
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अशोक मंडल ने कहा कि, दया प्रकाश सिन्हा का यह कृत्य देशद्रोह की श्रेणी में आता है. अफसोस की बात है कि उसी पुस्तक के लेखक को साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री का सम्मान दिया गया है. महात्मा फूले समता परिषद पुतला तहन कार्यक्रम के माध्यम से भारत के महामहिम राष्ट्रपति और सम्मानित प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि दया प्रकाश सिन्हा को भारत सरकार द्वारा दिए गए पद्मश्री और साहित्य अकादमी सभी पुरस्कार वापस लिए जाएं.
बता दें कि दया प्रसाद सिन्हा को अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए सम्मानित किया गया था. अशोक ने कलिंग के साथ हुए बेहद हिंसक युद्ध में मिली जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपनाया लिया था. नाटककार ने एक प्रकाशन को दिए साक्षात्कार में अशोक के बारे में कई अभद्र टिप्पणी की थी और दावा किया था कि ये ऐतिहासिक शोध पर आधारित हैं. दया प्रसाद सिन्हा ने अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए यह भी आरोप लगाया था कि अशोक ने अपने जीवन की शुरुआत में ‘कई पाप किए’ और बाद में उन्हें धर्मपरायणता के लबादे में छिपाने की कोशिश की.
दरअसल हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी नाटक को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है. वरिष्ठ लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को यह पुरस्कार उनके नाटक ‘सम्राट अशोक’ के लिए दिया गया है. दया प्रकाश सिन्हा सिर्फ नाटक लिखते ही नहीं, वह मंच पर अपने अभिनय से उन नाटकों को प्रदर्शित भी करते हैं. दया प्रकाश को संगीत नाटक अकादमी सम्मान, हिंदी सम्मान और पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
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