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गोपालगंज: इस अस्पताल में नहीं है कोई महिला डॉक्टर, ANM कराती है प्रसव

डॉ. संतोष कुमार यादव ने बताया कि 18 डॉक्टर के बदले 3 डॉक्टर ही यहां काम कर रहे हैं. तीन डॉक्टर ही 24 घंटे ड्यूटी करते हैं. इससे काफी समस्या हो रही है.

गोपालगंज
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Published : Jan 31, 2020, 6:30 AM IST

Updated : Jan 31, 2020, 6:38 AM IST

गोपालगंज: सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे तो करती है. लेकिन जिले के एक अनुमंडल अस्पताल सरकार के दावे को खोखला साबित कर रहा है. ये अस्पताल डॉक्टरों का भारी कमी से जूझ रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मामला जिले के हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल का है. इस अस्पताल में एक सौ बेड की व्यवस्था है. लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों का भारी कमी है. इस अस्पताल में डॉक्टरों के लिए कुल 18 पद स्वीकृत है. लेकिन यहां महज 3 ही डॉक्टर हैं. इन डॉक्टरों में दो डॉक्टर आयुष और एक एमबीबीएस डॉक्टर हैं. यहां एक भी महिला डॉक्टर नहीं होने से महिला मरीजों को काफी परेशानी होती है.

पेश है रिपोर्ट

एक भी नहीं है महिला डॉक्टर
हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल में महिला डॉक्टरों के नहीं होने से महिलाओं का इलाज ठीक से नहीं हो पाता है. इस अस्पताल की एएनएम ही महिलाओं के प्रसव समस्या को देखती हैं. ज्यादा महिलाओं को प्राइवेट अस्पताल का ही सहारा लेना पड़ता है. वहीं, मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों की कमी से इलाज उचित ढंग से नहीं हो पाता है. प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है.

गोपालगंज
खाली पड़ा लेबर रूम

ये भी पढ़ें: पटना: बारात के लिए जा रहे दुल्हे को मारी गोली, मौत

'कई बार लिखा गया पत्र'
डॉ. संतोष कुमार यादव ने बताया कि 18 डॉक्टर के बदले यहां 3 डॉक्टर ही यहां काम कर रहे हैं. तीन डॉक्टर ही 24 घंटे ड्यूटी करते हैं. इससे काफी समस्या हो रही है. यहां महिला चिकित्सक पिछले एक साल से नहीं है. हम लोग को ही महिलाओं का भी इलाज करना पड़ता है. डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या होती, तो मरीजों को बेहतर सुविधा मिलती. डॉक्टरों की बहाल के लिए कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

गोपालगंज: सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे तो करती है. लेकिन जिले के एक अनुमंडल अस्पताल सरकार के दावे को खोखला साबित कर रहा है. ये अस्पताल डॉक्टरों का भारी कमी से जूझ रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मामला जिले के हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल का है. इस अस्पताल में एक सौ बेड की व्यवस्था है. लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों का भारी कमी है. इस अस्पताल में डॉक्टरों के लिए कुल 18 पद स्वीकृत है. लेकिन यहां महज 3 ही डॉक्टर हैं. इन डॉक्टरों में दो डॉक्टर आयुष और एक एमबीबीएस डॉक्टर हैं. यहां एक भी महिला डॉक्टर नहीं होने से महिला मरीजों को काफी परेशानी होती है.

पेश है रिपोर्ट

एक भी नहीं है महिला डॉक्टर
हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल में महिला डॉक्टरों के नहीं होने से महिलाओं का इलाज ठीक से नहीं हो पाता है. इस अस्पताल की एएनएम ही महिलाओं के प्रसव समस्या को देखती हैं. ज्यादा महिलाओं को प्राइवेट अस्पताल का ही सहारा लेना पड़ता है. वहीं, मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों की कमी से इलाज उचित ढंग से नहीं हो पाता है. प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है.

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'कई बार लिखा गया पत्र'
डॉ. संतोष कुमार यादव ने बताया कि 18 डॉक्टर के बदले यहां 3 डॉक्टर ही यहां काम कर रहे हैं. तीन डॉक्टर ही 24 घंटे ड्यूटी करते हैं. इससे काफी समस्या हो रही है. यहां महिला चिकित्सक पिछले एक साल से नहीं है. हम लोग को ही महिलाओं का भी इलाज करना पड़ता है. डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या होती, तो मरीजों को बेहतर सुविधा मिलती. डॉक्टरों की बहाल के लिए कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

Intro:महिला डॉक्टर विहीन इस अस्पताल में डॉक्टर की है घोर कमी
----ए एन एम के भरोसे होता है महिलाओं का प्रसव

गोपालगंज। सुबह की सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतरी के लिए चाहे जितने भी दावे पेश कर ले लेकिन जमीनी हकीकत पर उनके दावे दम तोड़ देती है। अगर बात करें हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल की तो यह अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। अनुमंडल के सबसे बड़े एक सौ एक बेड वाला यह अस्पताल डॉक्टरों की घोर कमी का दंश झेल रहा है।







Body:गोपालगंज जिले के हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल पर लाखों की आबादी निर्भर है। यहां अस्पताल जितना बाहर से बड़ा और भव्य दिखता है उतना ही अंदर से यह खोखला है। क्योंकि इस अस्पताल में मरीजो के इलाज करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर नही है। इस अस्पताल में डॉक्टरो का कुल स्वीकृत पद 18 है लेकिन महज 3 डॉक्टर के भरोसे यह अस्पताल संचालित होता है। इन डॉक्टरो में से दो डॉक्टर आयुष व एक डॉक्टर एमबीबीएस है। जिस पर लाखों आबादी निर्भर है। सबसे बड़ी समस्या यहां महिलाओं मरीजो को होती है, जो महिला चिकित्सकों के अभाव के कारण पुरुष चिकित्सक इन महिलाओं का इलाज करते है। अगर बात की जाए महिलाओ के प्रसव की तो यहाँ के ए एन एम सुमन श्रीवास्तव के कंधों पर है। यही ए एन एम मरीजो को ससमय देख भाल या प्रसव कराती है। महिला डॉक्टर के नही रहने के कारण महिलाओ का सिजेरियन भी नही हो पाता है। वही अधिकांश महिला मरीज या तो निजी नर्सिंग होम का सहारा लेती है या सदर अस्पताल गोपालगंज की। करीब एक वर्ष से महिला चिकित्सक के साथ साथ पर्याप्त मात्रा में चिकित्सक के नही रहने के कारण यहां की स्थिति चरमरा गई है। महिला चिकत्सक के आलावे सर्जन शिशु चर्म समेत विभिन्न विभाग के डॉक्टर तैनात नही है।
इस संदर्भ में जब अस्पताल में तैनात चिकित्सक डॉ संतोष कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 18 डॉक्टर के बदले 3 डॉक्टर यहां काम कर रहे हैं। तीन ही डॉक्टर 24 घंटे ड्यूटी करते है, जो काफी समस्या उत्पन्न करती है। अगर डॉक्टर यहां तैनात होते तो मरीजों की सेवा अच्छी तरह दी जा सकती थी। महिला चिकित्सक 1 साल से नहीं है जिसके कारण हम लोग को महिलाओं का इलाज करना पड़ता है। वहीं कई मरीजो को रेफर कर दिया जाता है।कई बार डॉक्टर के बहाल करने के लिए पत्र लिखा गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।


Conclusion:अब ऐसे में सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल में दो आयुष और एक एमबीबीएस के डॉक्टर तैनात हो और महिला चिकित्सक व सर्जन डॉक्टर की तैनाती ना हो जो मुख्य तौर पर मरीजो की चिकित्सकीय व्यवस्था देने के लिए आवश्यक माने जाते है तो उसे आप क्या कहेंगे। यही कारण है कि लोग निजी नर्सिंग होम पर निर्भर है वही सूबे की सरकार स्वस्थ्य व्यवस्था के बेहतरी की दम्भ भरती हुई नजर आती है।
Last Updated : Jan 31, 2020, 6:38 AM IST
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