गोपालगंज: जिले के कुचायकोट प्रखण्ड का सासामुसा चीनी मिल अचानक बंद हो जाने के कारण मजदूरों और गन्ना किसानों के ऊपर मानो जैसे पहाड़ टूट पड़ा हो. जिस चीनी मिल में कभी हजारों मजदूर काम करते दिखते थे. इस मिल की आवाज दूर-दूर तक गूंजती थी. लेकिन अब यहां सन्नाटा पसरा है. फिर भी मजदूर यहां आकर अपने मन को शान्त करते हैं और चिंतित होकर पुनः अपने घर चले जाते हैं, लेकिन इन मजदूरों के मन में अभी भी इस मिल के चालू होने का इंतजार है.
चीनी मिल में सन्नाटा
अचानक इस मिल के बंद हो जाने से मिल परिसर में सन्नाटा पसर गया है. एक हजार मजदूरों के ऊपर रोजी-रोटी की आफत आ गई है. जगह-जगह ये मजदूर एकत्रित होकर अपने भविष्य को लेकर चिंतित होकर एक दूसरे से चर्चा करते हुए नजर आते दिख जाते हैं. वहीं, मिल बंद हो जाने से किसान भी मिल के चक्कर काट रहे हैं. क्योंकि उन्हें भी इस बात की चिंता सता रही है कि हमारे बकाये पैसे का भुगतान अब कैसे होगा. लेकिन उन्हें इस सम्बंध में बताने वाला भी कोई नहीं मिल रहा है.
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संकट में किसान
मिल के मेन गेट का ताला बंद है और सभी कर्मी मिल से बाहर है. जहां पहले मजदूरों और गन्ना किसानों की भीड़ लगी रहती थी. मिल की आवाज दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी. लेकिन अब यहां सन्नाटा ही सन्नाटा है. अब ऐसे में गन्ना किसान भी संकट में फंसे हुए हैं. जिन किसानों ने गन्ना मिल में गन्ना दिया था. उनका भुगतान भी बकाया है. पिछले साल के हजारों किसानों के 42 करोड़ रुपये और मजदूरों के 13 करोड़ से अधिक का भुगतान मिल में फंसा हुआ है.
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भुखमरी की स्थिति
किसानों के सामने अपना गन्ना बेचने का भी संकट खड़ा हो गया है. जिन किसानों का गन्ना अभी खेत में है, उसे बेचने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. कुछ किसान अपने गन्ने की आपूर्ति हरखुआ चीनी मिल में करने को लेकर प्रयास कर रहे हैं. वहीं, मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ये मजदूर अब अपने घर पर ही बैठे रहते हैं. कही अन्य जगह काम भी नहीं मिल रहा है. जिससे रोजी-रोटी का जुगाड़ हो सके. मिल के इस तरह अचानक बंद हो जाने के बाद किसानों और मजदूरों के चेहरे से रौनक ही गायब हो गई है.
बताया जाता है कि 23 जनवरी को मिल प्रबंधक महमूद अली बिना किसी सूचना के मिल बंद कर अचानक गायब हो गए. इसके बाद सभी कर्मी गेट के बाहर प्रदर्शन करने लगे. लेकिन इनके प्रदर्शन का कोई नतीजा नहीं निकला. अब इन मजदूरों को मिल चालू होने का इंतजार है, ताकि इनका बकाया पैसा और रोजगार मिल सके.