गोपालगंज: बिहार के गोपलगंज (Gopalganj) जिले से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जिस किसान के पास न तो जमीन है और न ही रहने के लिए पक्का मकान, उस व्यक्ति के नाम से हजारों क्विंटल धान की खरीदारी (Paddy Purchase) की गई है. इसके साथ ही लाखों रुपये का उठाव भी किया गया है.
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दरअसल बेलही खास पंचायत (Belhi Khas Panchayat) के मोहनपुर गांव निवासी गया बैठा के पास महज दो या तीन कठ्ठा जमीन है. इसी जमीन पर वे झोपड़ी बनाकर रहते हैं. गया बैठा के नाम पर बेलही खास पैक्स में 68 क्विंटल धान की खरीद की गई है. धान की खरीद के बदले उनके खाते में करीब एक लाख रुपये भी भेजे गए. लेकिन पैसा उन्हें नहीं मिला. पैक्स के मैनेजर ने उनके खाते से पैसे निकाल लिया.
'मेरे नाम पर 98 क्विंटल धान बेचा गया था. लेकिन यह धान मैंने नहीं बेचे थे. मेरे अकाउंट में 1 लाख 40 हजार रुपये आया था. इस बात की जानकारी बैंक में जाकर दिए. मैंने बैंक में बोला कि यह पैसा मेरा नहीं है, इसे सरकार को पुन: वापस कर दिया जाए. फिर जब दो दिन बाद बैंक गए तो पता चला कि खाते से पैसा निकाल लिया गया है. इसे लेकर विभाग को सूचित किया गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. -गया बैठा, किसान
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वहीं कुछ ऐसा ही मामला मोहनपुर गांव के सत्यनारायण भगत के साथ भी हुआ. उनके पास महज 3 बीघा जमीन है. उन्होंने अब तक अपनी ही जमीन पर धान उपज नहीं किया है. लेकिन उनके नाम पर वर्ष 2020 में 98 क्विंटल धान की खरीद का ब्यौरा सौंपा गया है. उनके खाते में 1 लाख 38 हजार रुपये भेजे गए है. उनकी असहमति के बाद भी बैंक प्रबंधक और पैक्स प्रबंधन के मिलीभगत से पूरे पैसे का उठाव कर लिया गया.
हमारे पास दो-तीन कठ्ठा जमीन है. मुझे मालूम ही नहीं कि मेरे नाम से धान कैसे खरीदा गया है. हमसे पैक्स अध्यक्ष आलोक जी बोले की तुम्हारे खाते में पैसा भेजे गए हैं, निकाल कर दे दीजिए. जिसके बाद मैंने पैसा निकाल कर आलोक जी को दें दिया. -सत्यनारायण भगत, किसान
सत्यनारायण भगत ने इसे लेकर जिला प्रशासन और विभाग को पत्र लिखकर जांच करवाने की मांग की गई. लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. बड़ा सवाल यह है कि जब किसानों द्वारा धान की उपज नहीं की गई और न ही धान की खरीद-बिक्री, तो फिर उनके खाते में रुपये क्यों भेजे गए.
बेलही खास पंचायत के मोहनपुर गांव के गया बैठा कोई अकेला किसान नहीं हैं बल्कि इनकी तरह कई किसान ऐसे हैं, जिनके पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है. ऐसे लोगों के नाम पर हजारों क्विंटल धान खरीद कर ली गई है. बता दें कि बेलही खास पैक्स के अध्यक्ष हैं. वहीं सतेंद्र तिवारी और उनके बेटे आलोक तिवारी पैक्स के मैनेजर हैं.
पैक्स मैनेजर आलोक तिवारी के बड़े भाई अतुल तिवारी के अनुसार यह सभी आरोप बेबुनियाद हैं. पैक्स के द्वारा किसी भी तरह का धान और गेहूं की खरीद में गड़बड़ी नहीं की गई है. चुनाव से पहले उनके ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं. यहां पर सहकारिता विभाग के नियमावली के तहत ही धान की खरीद की गई है. जिसकी जांच भी कराई जा सकती है.
'जब भी पंचायत चुनाव आता है तो ऐसे मामलों की अफवाहे उड़नी शुरू हो जाती है कि धान की खरीद की गई है. सरकार का नियम है कि गैर रैयत और रैयत. गैर रैयत से 75 क्विंटल और रैयत से 250 क्विंटल तक धान या गेहूं लिए जाते हैं. जिन लोगों के अकाउंट में रुपये गया है, वे लोग मेरे यहां आए थे. ऐसे लोग रैयत या गैर रैयत के श्रेणी में आते होंगे. ये सब सिर्फ पंचायत चुनाव आने की वजह से किया जा रहा है.'
बहरहाल पैक्स के माध्यम से कई ऐसे लोगों के नाम से भी धान की खरीद की गई है, जिनका आलीशान मकान है. साथ ही बीपीएल कार्ड धारी हैं. उनके द्वारा राशन का उठाव भी किया जाता है. ऐसे लोगों के द्वारा भी सैकड़ों क्विंटल धान की बिक्री की गई है.