गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज में मुक्तिधाम (Muktidham of Gopalganj) है लेकिन उसकी हालत ऐसी हो चुकी है कि वहां कोई शव दाह नहीं करना चाहता. सरकारी उपेक्षा के चलते श्मशान खंडहर में तब्दील हो चुका है. जिले के कमला राय कॉलेज रोड के पास स्थित एकमात्र मुक्तिधाम खुद की मुक्ति की आस लगाए बैठा है. नशेड़ियों ने इस श्मशान को अपना अड्डा बना लिया है. चोर भी यहां पर लगी सोलर लाइट और लोहे के गेट को उखाड़कर ले गए. ऐसे में जिम्मेदार सोए हुए हैं. लोगों को जब शव दाह संस्कार करना होता है तो वो मजबूरन खेतों में या फिर सड़कों किनारे दाह संस्कार (Cremation on the fields in Gopalganj) करने को मजबूर होते हैं.
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उद्घाटन के 8 साल बाद भी नहीं हो रहे दाह संस्कार: इस मुक्तिधाम का उद्घाटन 2014 में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. इसको बनाने में 42 लाख रूपये का खर्च आया था. लेकिन, यह उद्घाटन के बाद से ही उपेक्षा का शिकार हो गया. समाजसेवी विमल कुमार व इलाके के लोगों ने बताया कि उद्घाटन के बाद से यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका है. लेकिन अब यह मुक्तिधाम नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. यहां रात-दिन नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. उद्घाटन के 8 साल बीत जाने के बाद भी यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो पाया है. वहीं, यह मुक्तिधाम अब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. लेकिन, जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णीय नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.
''गोपालगंज में एक भी मुक्तिधाम नहीं. जिसके चलते लोग खेतों में, सड़क किनारे शवों का दाह संस्कार करते हैं. यहां तक 45-50 किलोमीटर दूर डूमरिया तक अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर लोग जाते हैं. प्रशासन को लिखकर भी दिया गया. हमेशा बनने का आश्वासन दिया गया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. जो मुक्तिधाम है वो प्रशासन की उदासीनता के कारण उसका आजतक विकास नहीं हुआ.''- विमल कुमार, समाजसेवी
खंडहर हो चुके मुक्तिधाम को मुक्ति का इंतजार: मुक्तिधाम में नशेबाजों के अलावा चोर भी मलाई काट रहे हैं. चोरों ने यहां का गेट और लाखों कीमत की सोलर लाइट की बैटरियां चोरी कर ली हैं. इलाके के लोगों ने बताया कि सालों पहले इसके जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और विद्युत शव दाह गृह की योजना बनाई गई थी. लेकिन, यह योजना फाइलों में दबकर रह गई. जिसके चलते आज भी यह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो चुका है. समाजसेवी विमल कुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी.
गोपालगंज में खेतों में दाह संस्कार: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना की शुरूआत की गई थी. जिसके बाद गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी. जिस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि इसमें कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए थे. लेकिन मुक्तिधाम उद्घाटन के बाद से ही प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया. आलम यह है कि शव का अंतिम संस्कार या तो खेतो में या फिर सड़क के किनारे या 45 किलोमीटर दूर डुमरिया घाट करते हैं.
'जनसंख्या के अनुपात में मुक्तिधाम अपर्याप्त': वहीं, नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने बताया कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद के जरिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा. जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.