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गोपालगंज: भक्ति भाव से की गई भगवान अनंत की पूजा

अनंत चतुर्दशी व्रत का खास महत्व है. इससे सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति भी होती है. इसलिए इस पर्व में भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है.

भक्ति भाव से की गई भगवान अनंत की पूजा
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Published : Sep 12, 2019, 7:54 PM IST

गोपालगंज: जिले में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया. अनंत चतुर्दशी के दिन मंदिरों में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की गई. वहीं व्रत रखी महिलाओं ने पंडितों को बुलाकर कथा का पाठ भी करवाया. इसके बाद पूजा अर्चना कर अपने दाहिने भुजा में 14 गांठ वाला अनंत का धागा बांधा और सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना की.

भक्ति भाव से की गई भगवान अनंत की पूजा

सबसे पहले पांडवों और द्रौपदी ने रखा व्रत
कहते हैं अनंत चतुर्दशी व्रत रखने वालों को व्रत से मिलने वाले पुण्य से लोगों का कल्याण होता है. साथ ही इस व्रत से सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति भी होती है. इसलिए इस पर्व में भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करते हैं. ब्राह्मणों ने कथा में कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को इस व्रत के बारे में बताया था और सबसे पहले पांडवों और द्रौपदी ने ही इस व्रत को रखा था.

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भगवान अनंत

अनंत चतुर्दशी का है विशेष महत्व
युधिष्ठिर जब जुए में अपना यश, बल, धन सब कुछ हार गए तो उन्होंने अपने यश, बल, धन की प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण से ऐसा उपाय पूछा कि जिससे उन्हें पुनः सबकी प्राप्ति हो जाए. तो भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से अनंत चतुर्दशी व्रत करने को कहा. जिसके बाद पांडवों को अनंत व्रत रखने से ही खोए हुए राज्य की प्राप्ति हुई. युधिष्ठिर ने ही सर्वप्रथम अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी में किया था.

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कथा सुनती महिलाएं

'कुंभ राशि वालों के लिए विशेष'
कथावाचक ज्योतिषाचार्य पंडित ब्रह्म दत्त चौबे ने बताया कि अनंत चतुर्दशी कुंभ राशि वालों के लिए विशेष है. क्योंकि सूर्य, मंगल, शुक्र और बुध इनको उत्तम फल देते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को ही अनंत चतुर्दशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और नमक रहित भोजन करने का विधान है.

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कथावचक ज्योतिषाचार्य पंडित ब्रह्म दत्त चौबे

गोपालगंज: जिले में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया. अनंत चतुर्दशी के दिन मंदिरों में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की गई. वहीं व्रत रखी महिलाओं ने पंडितों को बुलाकर कथा का पाठ भी करवाया. इसके बाद पूजा अर्चना कर अपने दाहिने भुजा में 14 गांठ वाला अनंत का धागा बांधा और सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना की.

भक्ति भाव से की गई भगवान अनंत की पूजा

सबसे पहले पांडवों और द्रौपदी ने रखा व्रत
कहते हैं अनंत चतुर्दशी व्रत रखने वालों को व्रत से मिलने वाले पुण्य से लोगों का कल्याण होता है. साथ ही इस व्रत से सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति भी होती है. इसलिए इस पर्व में भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करते हैं. ब्राह्मणों ने कथा में कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को इस व्रत के बारे में बताया था और सबसे पहले पांडवों और द्रौपदी ने ही इस व्रत को रखा था.

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भगवान अनंत

अनंत चतुर्दशी का है विशेष महत्व
युधिष्ठिर जब जुए में अपना यश, बल, धन सब कुछ हार गए तो उन्होंने अपने यश, बल, धन की प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण से ऐसा उपाय पूछा कि जिससे उन्हें पुनः सबकी प्राप्ति हो जाए. तो भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से अनंत चतुर्दशी व्रत करने को कहा. जिसके बाद पांडवों को अनंत व्रत रखने से ही खोए हुए राज्य की प्राप्ति हुई. युधिष्ठिर ने ही सर्वप्रथम अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी में किया था.

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कथा सुनती महिलाएं

'कुंभ राशि वालों के लिए विशेष'
कथावाचक ज्योतिषाचार्य पंडित ब्रह्म दत्त चौबे ने बताया कि अनंत चतुर्दशी कुंभ राशि वालों के लिए विशेष है. क्योंकि सूर्य, मंगल, शुक्र और बुध इनको उत्तम फल देते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को ही अनंत चतुर्दशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और नमक रहित भोजन करने का विधान है.

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कथावचक ज्योतिषाचार्य पंडित ब्रह्म दत्त चौबे
Intro:जिले में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ मनाई गई अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना विभिन्न मंदिरों में की गई जिसे पूरा माहौल भक्तिमय रहा वही व्रतियों द्वारा 14 गांठ युक्त आनंद के साथ अपने निकटतम स्थल पर आयोजित मंदिर तथा घरों में विद्वान पंडितों द्वारा पूजा आयोजित की गई इसमें शामिल लोगों ने भगवान अनंत की कथा सुनी इसके बाद पूजा अर्चना कर अपने दाहिने भुजा में 14 गांठ वाला अनंत का धागा बांधा और सुख समृद्धि सौभाग्य की कामना की


Body:कहते हैं अनंत चतुर्दशी व्रत रखने वालों को व्रत से मिलने वाले पुण्य का कभी क्षय नहीं होता है। और इस व्रत से सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति होती है इसलिए इस पर्व में भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करते हैं। ब्राह्मणों ने कथा में कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को इस व्रत के बारे में बताया था और पांडवों ने द्रौपदी सहित व्रत रखा था। युधिष्ठिर जब जुए में अपना यश, बल,धन आदि सब कुछ हार गए, तो उन्होंने अपने यश बल धन की प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण से ऐसा उपाय पूछा कि जिससे उसे पुनः चीज प्राप्त हो जाए। तो भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से अनंत चतुर्दशी व्रत करने को कहा। युधिष्ठिर ने ही सर्वप्रथम अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी में किया था। कथावचक ज्योतिषाचार्य पंडित ब्रह्म दत्त चौबे ने कहा कि भगवान कृष्ण ने कहा युधिष्ठिर को समझाया है कि हम से ही संसार है हम ही सब कुछ है। साथ ही यह अनंत चतुदशी कुंभ राशि वालो के लिए विशेष है क्योंकि सूर्य, मंगल, शुक्र व बुध इनको उत्तम फल देते है। साथ ही उन्होंने कहा कि
इस व्रत को करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
पांडवों को अनंत व्रत रखने से ही खोए राज्य की प्राप्ति हुई भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत भगवान चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। और नमक रहित भोजन करने का विधान है।




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