गोपालगंज: जिले में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया. अनंत चतुर्दशी के दिन मंदिरों में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की गई. वहीं व्रत रखी महिलाओं ने पंडितों को बुलाकर कथा का पाठ भी करवाया. इसके बाद पूजा अर्चना कर अपने दाहिने भुजा में 14 गांठ वाला अनंत का धागा बांधा और सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना की.
सबसे पहले पांडवों और द्रौपदी ने रखा व्रत
कहते हैं अनंत चतुर्दशी व्रत रखने वालों को व्रत से मिलने वाले पुण्य से लोगों का कल्याण होता है. साथ ही इस व्रत से सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति भी होती है. इसलिए इस पर्व में भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करते हैं. ब्राह्मणों ने कथा में कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को इस व्रत के बारे में बताया था और सबसे पहले पांडवों और द्रौपदी ने ही इस व्रत को रखा था.
अनंत चतुर्दशी का है विशेष महत्व
युधिष्ठिर जब जुए में अपना यश, बल, धन सब कुछ हार गए तो उन्होंने अपने यश, बल, धन की प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण से ऐसा उपाय पूछा कि जिससे उन्हें पुनः सबकी प्राप्ति हो जाए. तो भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से अनंत चतुर्दशी व्रत करने को कहा. जिसके बाद पांडवों को अनंत व्रत रखने से ही खोए हुए राज्य की प्राप्ति हुई. युधिष्ठिर ने ही सर्वप्रथम अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी में किया था.
'कुंभ राशि वालों के लिए विशेष'
कथावाचक ज्योतिषाचार्य पंडित ब्रह्म दत्त चौबे ने बताया कि अनंत चतुर्दशी कुंभ राशि वालों के लिए विशेष है. क्योंकि सूर्य, मंगल, शुक्र और बुध इनको उत्तम फल देते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को ही अनंत चतुर्दशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और नमक रहित भोजन करने का विधान है.