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गोपालगंजः डॉक्टरों की कमी से उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लटके ताले, मरीजों का नहीं हो पा रहा इलाज

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी में स्वीकृत चिकित्सक पदों में से आधे से ज्यादा पद खाली हैं. इसके साथ ही स्वीकृत उप स्वास्थ्य केंद्रों में से 186 पर ताले लटके हुए हैं. जिले में 449 एएनएम के पद स्वीकृत हैं जिसमें 157 पद खाली हैं.

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Published : Jan 21, 2020, 2:36 PM IST

गोपालगंजः जिले के अस्पतालों और उप स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, एएनएम के साथ मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है. माझा प्रखंड के अमेठी पंचायत में सरकार ने लाखों रुपए की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र बनवाया था. लेकिन यहां न डॉक्टर हैं और न ही दवा. एक एएनएम के भरोसे यह स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहा है. स्थानीय लोग इलाज के लिए मजबूरन सदर अस्पताल या निजी नर्सिंग होम पर निर्भर रहते हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं का खस्ता हाल
डॉक्टर और एएनएम के अभाव में मरीज नीम हकीम के जाल में उलझ रहे हैं. इसके साथ ही संस्थागत प्रसव टीकाकरण और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रम भी बाधित हो रहे हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ जच्चा-बच्चा को नहीं मिल पा रहा है. 5 हजार की आबादी वाले अमेठी ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खस्ता है.

उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लटके हैं ताले

आज तक नहीं हुई एक भी डिलीवरी
गांव में स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद यहां के लोगों को किसी तरह की चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिलती है. आलम यह है साल 2018-19 में इस भवन का निर्माण हुआ था. लेकिन यहां आज तक एक भी डिलीवरी नहीं हो पाई है. स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद आशा कर्मी ने बताया कि उन्हें यहां तैनात डॉक्टर के बारे में नहीं पता है.

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अमेठी उप स्वास्थ्य केंद्र पर लटका ताला

कभी-कभी आती है एएनएम
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां एक एएनएम की तैनाती है. जिनकी जिम्मेदारी गर्भवती महिलाओं का समय से टीकाकरण और उन्हें सेहत के बारे में जानकारी देना है. लेकिन वो भी कभी-कभी ही यहां आती है. जिससे गर्भवती महिलाओं का समय से टीकाकरण नहीं हो पा रहा है.

चिकित्सक के स्वीकृत पदों में से आधे खाली
ग्रामीणों ने बताया कि यह केंद्र सिर्फ पोलियो का ड्रॉप पिलाने के लिए खोला जाता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी में स्वीकृत चिकित्सक पदों में से आधे से ज्यादा पद खाली हैं.

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उप स्वास्थ्य केंद्र

186 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे हैं ताले
गांवों में स्वीकृत उप स्वास्थ्य केंद्रों में से 186 पर ताले लटके हुए हैं. जिले में 449 एएनएम का पद स्वीकृत हैं जिसमें 157 पद खाली हैं. पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से लोग प्राइवेट अस्पताल की शरण में जाने को विवश हैं. डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों का उचित इलाज नहीं हो पा रहा है.

गोपालगंजः जिले के अस्पतालों और उप स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, एएनएम के साथ मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है. माझा प्रखंड के अमेठी पंचायत में सरकार ने लाखों रुपए की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र बनवाया था. लेकिन यहां न डॉक्टर हैं और न ही दवा. एक एएनएम के भरोसे यह स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहा है. स्थानीय लोग इलाज के लिए मजबूरन सदर अस्पताल या निजी नर्सिंग होम पर निर्भर रहते हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं का खस्ता हाल
डॉक्टर और एएनएम के अभाव में मरीज नीम हकीम के जाल में उलझ रहे हैं. इसके साथ ही संस्थागत प्रसव टीकाकरण और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रम भी बाधित हो रहे हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ जच्चा-बच्चा को नहीं मिल पा रहा है. 5 हजार की आबादी वाले अमेठी ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खस्ता है.

उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लटके हैं ताले

आज तक नहीं हुई एक भी डिलीवरी
गांव में स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद यहां के लोगों को किसी तरह की चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिलती है. आलम यह है साल 2018-19 में इस भवन का निर्माण हुआ था. लेकिन यहां आज तक एक भी डिलीवरी नहीं हो पाई है. स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद आशा कर्मी ने बताया कि उन्हें यहां तैनात डॉक्टर के बारे में नहीं पता है.

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अमेठी उप स्वास्थ्य केंद्र पर लटका ताला

कभी-कभी आती है एएनएम
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां एक एएनएम की तैनाती है. जिनकी जिम्मेदारी गर्भवती महिलाओं का समय से टीकाकरण और उन्हें सेहत के बारे में जानकारी देना है. लेकिन वो भी कभी-कभी ही यहां आती है. जिससे गर्भवती महिलाओं का समय से टीकाकरण नहीं हो पा रहा है.

चिकित्सक के स्वीकृत पदों में से आधे खाली
ग्रामीणों ने बताया कि यह केंद्र सिर्फ पोलियो का ड्रॉप पिलाने के लिए खोला जाता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी में स्वीकृत चिकित्सक पदों में से आधे से ज्यादा पद खाली हैं.

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उप स्वास्थ्य केंद्र

186 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे हैं ताले
गांवों में स्वीकृत उप स्वास्थ्य केंद्रों में से 186 पर ताले लटके हुए हैं. जिले में 449 एएनएम का पद स्वीकृत हैं जिसमें 157 पद खाली हैं. पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से लोग प्राइवेट अस्पताल की शरण में जाने को विवश हैं. डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों का उचित इलाज नहीं हो पा रहा है.

Intro:स्वास्थ्य सुविधा से मरहूम अमेठी गाँव के ग्रामीण
------सदर अस्पताल व निजी नर्सिंग होम पर होते है, निर्भर

लोगों को मूलभूत सुविधाओं में प्रमुख है, स्वास्थ सुविधा लेकिन जिले के कई ऐसे उप स्वास्थ्य केंद्र है। जिसमें स्वास्थ सुविधाओं का हाल बुरा है। अगर बात करें माझा प्रखंड के अमेठी पंचायत की तो यहां सरकार द्वारा लाखों रुपए के लागत से स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण कराया गया था परंतु केंद्र पर नाही हुई है और ना ही दवाई। 1 एनएम केंद्र पर कभी-कभी आकर अपना हाजिरी बनाती है, और फिर इसमें ताला लगा कर चली जाती है। मजबूरन ग्रामीण सदर अस्पताल या निजी नर्सिंग होम पर निर्भर होते हैं।


Body:गोपालगंज जिले में कुल 157 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कमी है। ऐसे में गांव के ही डॉक्टर मानी जाने वाली एएनएम के अभाव में मरीजों निम हकीम के जाल में उलझ रहे हैं। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव टीकाकरण व अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रम भी बाधित हो रहे है। सरकारी योजनाओं का लाभ जच्चा बच्चा को नहीं मिल पा रहा है। 5 हजार की आबादी वाला ग्राम पंचायत अमेठी में स्वास्थ सेवाओं की हालत बदतर है। गांव में स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद यहां लोगों को किसी तरह चिकित्सकीय सुविधा देखने को नहीं मिलती। आलम यह है कि 486900 रुपए के लागत से वर्ष 2018-19 में इस भवन का निर्माण हुआ। लेकिन आज तक एक भी गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी तक नहीं हो सकी है। इस संदर्भ में ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो इस स्वास्थ्य केंद्र पर नाही एएनएम मौंजुद थी और नाही डॉक्टर। यहां एक आशा कर्मी मौजूद थी साथ ही एक पर्यवेक्ष भी दिखाई दिया जब इन लोगो से पूछा गया कि यहां कौन डॉक्टर नियुक्त है तो उन लोगो को भी यह पता नही की यहाँ कौन डॉक्टर व एएनएम है। अब इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मरीजो की किस तरह चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराई जाती होगी। बताया जाता है कि स्वास्थ्य महकमे से एक एएनएम की तैनाती है जिनकी जिम्मेदारी गर्भवती महिलाओं का समय से टीकाकरण करने के साथ ही सेहत के बारे में समय पर जानकारी देना है। लेकिन वे अपनी मर्जी की मालिक है, और यदा-कदा ही गांव में और अस्पताल में दिखती है। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत में गर्भवती महिलाओं का समय से टीकाकरण कार्य बाधित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां व्यवस्था नही होने से हम लोगो को सदर अस्पताल या निजी नर्सिंग होम में जाना पड़ता है।यह केंद्र सिर्फ पोलियो के ड्रॉप पिलाने के लिए खोले जाते है।

बाइट-प्रिंस कुमार, स्थानीय
बाइट- अवधेश राय, स्थानीय(लाल पगड़ी)
बाइट-फूलकुमारी, आशा
बाइट-राजेश कुमार राय,पर्यवेक्षक(टोपी पहने हुए)

अमेठी गांव में लगभग 5000 लोगों के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। जहाँ ना ही सुई की व्यवस्था है और नाही रुई की मरीजों के बैठने के लिए भवन में ताले लटके रहते हैं। अस्पताल की इस बदहाली की वजह से लोग प्राइवेट अस्पतालों के शरण में जाने को विवश हैं। इतना ही नहीं भवन निर्माण के बाद भी यहां कोई डॉक्टरों की भी तैनाती नहीं हुई। एक ओर जहां स्वास्थ्य उपकेंद्र बदहाली की आंसू बहा रहा है वही गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। चिकित्सकों के रिक्त पदों के चलते मरीजों को उचित इलाज नहीं हो पा रहा है। जिला अस्पताल में जहां न्यूरो समेत कई वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी है। वहीं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी,पीएचसी में चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। इसमें से आधे से अधिक पद रिक्त हैं। इस प्रकार गांव में स्वीकृत उप स्वास्थ्य केंद्र में 186 पर ताले लटके पड़े हैं। यानी उप स्वास्थ्य केंद्र पर पर्याप्त डॉक्टर व एएनएम की घोर कमी है। जिला में 449 एमएम का पद स्वीकृत है जिसमें 157 पद खाली है।वही इस संदर्भ में जब सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह से बात की गई तो उन्होंने इस संदर्भ में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।





Conclusion:केंद्र से लेकर राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी की लगातार दम्भ भरते है। लेकिन यहां की स्थिति देख कर यह कहा जा सकता है, कि सरकार द्वारा किये गए गए दावे यहां आकर दम तोड़ देती है।।
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