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गोपालगंज: यहां डॉक्टर नहीं लैब टेक्नीशियन करते हैं मरीजों का इलाज, 6 महीने से है पद खाली - हथुआ प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की खराब

डॉक्टर के अभाव में यहां के अधिकतर मरीज झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर हैं या किसी निजी नर्सिंग होम पर. क्षेत्र की प्रसूता, गंम्भीर बीमारी से ग्रसित व दुर्घटना में घायल मरीजों को तत्काल सदर अस्पताल रेफर किया जाता है. इस कारण कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

थमिक स्वास्थ्य केंद्र को है इलाज की जरुरत
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Published : Aug 7, 2019, 2:34 PM IST

गोपालगंज: जिले के हथुआ प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की खराब स्थिति देखने को मिल रही है. यहां के कुसौन्धी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 महीने से डॉक्टर का पद खाली है, लेकिन अभी तक किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गयी है. वहीं, इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब एक लाख की आबादी निर्भर है. फिर भी इसकी ये हालत है. यहां डॉक्टर की जगह लैब टेक्नीशियन मरीजों का इलाज करते हैं.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को इलाज की जरुरत
दरअसल, कुसौन्धी अतिरिक्त्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीन कर्मी की नियुक्ति हुई है, जिसमें एक नर्स, फोर्थ ग्रेड कर्मी मिथलेश कुमार और लैब टेक्नीशियन संजीत कुमार शामिल हैं. वहीं 6 महीने पहले यहां डॉक्टर निरंजन कुमार तैनात थे, लेकिन उनकी प्रतिनियुक्ति हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल में हो जाने के कारण यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर के बिना चल रहा है. खेद की बात यह है कि आज तक इस अस्पताल में शासन-प्रशासन की नजर तक नहीं पड़ी. वहीं, इस अस्पताल में तैनात लैब टेक्क्निशिन ही मरीजों का इलाज करता है. अब ऐसे में कोई अनहोनी हो जाए तो इसकी जवाबदेह किसकी होगी यह प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.

gopalganj
लैब टेक्नीशियन इलाज करते हुए

मरीजों की जान से हो रहा है खिलवाड़
ईटीवी भारत ने जब प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र की तहकीकात की तो कई तरह के दृश्य सामने आए. स्वास्थ्य केंद्र के बाहर ही बरामदे में फोर्थ ग्रेड कर्मचारी मिथलेश कुमार खुले बदन में कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहे थे. इसके बाद मरीज के पहुंचने पर लैब टेक्नीशियन सुजीत कुमार पहले ब्लड जांच के लिए मरीज के शरीर से खून निकालता हैं और ओपीडी में डॉक्टर के कुर्सी पर बैठ कर मरीज का इलाज शुरू कर दिया. इतना ही नहीं सरकारी अस्पताल में मिलने वाली सरकारी पुर्जा का भी यहां अभाव दिखा. सरकारी पुर्जे के जगह एक कागज के टुकड़े में दवा का नाम लिख कर और कुछ दवाइयां दी जाती है. लैब टेक्नीशियन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर नहीं रहने के कारण नर्स इलाज करती है, लेकिन वह किसी काम को लेकर कहीं गई हुई है. इस कारण मैं ही इलाज करता हूं. उससे पूछे गये जवाबदेह के सवाल पर उसने चुप्पी साध ली.

कुसौन्धी अतिरिक्त्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर का अभाव

सरकारी उद्देश्य नहीं हो पा रहे है पूरे
वहीं, मरीज का कहना है कि पिछले 6 माह से डॉक्टर नहीं हैं, जिसके बदले यही इलाज करते है. आपको बता दें कि डॉक्टर के अभाव में यहां के अधिकतर मरीज झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर हैं या किसी निजी नर्सिंग होम पर. क्षेत्र की प्रसूता, गंम्भीर बीमारी से ग्रसित व दुर्घटना में घायल मरीजों को तत्काल सदर अस्पताल रेफर किया जाता है. इस कारण कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से नजदीक में ही मिल सके, इसी उद्देश्य से सरकार ने शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले थे. जिस पर हर महीने सरकार लाखों रुपए का खर्च कर रही है. इसके बावजूद लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रहा है. इसके अभाव में उन्हें इलाज कराने जिला अस्पताल तक जाना ही पड़ता है. लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस सोच के साथ प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था वह आजतक कारगर साबित नहीं हो पाया है.

गोपालगंज: जिले के हथुआ प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की खराब स्थिति देखने को मिल रही है. यहां के कुसौन्धी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 महीने से डॉक्टर का पद खाली है, लेकिन अभी तक किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गयी है. वहीं, इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब एक लाख की आबादी निर्भर है. फिर भी इसकी ये हालत है. यहां डॉक्टर की जगह लैब टेक्नीशियन मरीजों का इलाज करते हैं.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को इलाज की जरुरत
दरअसल, कुसौन्धी अतिरिक्त्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीन कर्मी की नियुक्ति हुई है, जिसमें एक नर्स, फोर्थ ग्रेड कर्मी मिथलेश कुमार और लैब टेक्नीशियन संजीत कुमार शामिल हैं. वहीं 6 महीने पहले यहां डॉक्टर निरंजन कुमार तैनात थे, लेकिन उनकी प्रतिनियुक्ति हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल में हो जाने के कारण यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर के बिना चल रहा है. खेद की बात यह है कि आज तक इस अस्पताल में शासन-प्रशासन की नजर तक नहीं पड़ी. वहीं, इस अस्पताल में तैनात लैब टेक्क्निशिन ही मरीजों का इलाज करता है. अब ऐसे में कोई अनहोनी हो जाए तो इसकी जवाबदेह किसकी होगी यह प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.

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लैब टेक्नीशियन इलाज करते हुए

मरीजों की जान से हो रहा है खिलवाड़
ईटीवी भारत ने जब प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र की तहकीकात की तो कई तरह के दृश्य सामने आए. स्वास्थ्य केंद्र के बाहर ही बरामदे में फोर्थ ग्रेड कर्मचारी मिथलेश कुमार खुले बदन में कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहे थे. इसके बाद मरीज के पहुंचने पर लैब टेक्नीशियन सुजीत कुमार पहले ब्लड जांच के लिए मरीज के शरीर से खून निकालता हैं और ओपीडी में डॉक्टर के कुर्सी पर बैठ कर मरीज का इलाज शुरू कर दिया. इतना ही नहीं सरकारी अस्पताल में मिलने वाली सरकारी पुर्जा का भी यहां अभाव दिखा. सरकारी पुर्जे के जगह एक कागज के टुकड़े में दवा का नाम लिख कर और कुछ दवाइयां दी जाती है. लैब टेक्नीशियन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर नहीं रहने के कारण नर्स इलाज करती है, लेकिन वह किसी काम को लेकर कहीं गई हुई है. इस कारण मैं ही इलाज करता हूं. उससे पूछे गये जवाबदेह के सवाल पर उसने चुप्पी साध ली.

कुसौन्धी अतिरिक्त्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर का अभाव

सरकारी उद्देश्य नहीं हो पा रहे है पूरे
वहीं, मरीज का कहना है कि पिछले 6 माह से डॉक्टर नहीं हैं, जिसके बदले यही इलाज करते है. आपको बता दें कि डॉक्टर के अभाव में यहां के अधिकतर मरीज झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर हैं या किसी निजी नर्सिंग होम पर. क्षेत्र की प्रसूता, गंम्भीर बीमारी से ग्रसित व दुर्घटना में घायल मरीजों को तत्काल सदर अस्पताल रेफर किया जाता है. इस कारण कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से नजदीक में ही मिल सके, इसी उद्देश्य से सरकार ने शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले थे. जिस पर हर महीने सरकार लाखों रुपए का खर्च कर रही है. इसके बावजूद लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रहा है. इसके अभाव में उन्हें इलाज कराने जिला अस्पताल तक जाना ही पड़ता है. लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस सोच के साथ प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था वह आजतक कारगर साबित नहीं हो पाया है.

Intro:सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होती हुई नजर आती है। क्योंकि स्वास्थ्य व्यवस्था रामभरोसे चल रहे हैं। सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतरी की कई दावे पेश करती हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही साबित करते है। हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 30 किलोमीटर दूर हथुआ प्रखंड के कुसौन्धी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कि। जहां की हालत बद से बदतर है। इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब एक लाख की आबादी निर्भर है। बावजूद यहां 6 माह से डॉक्टर का पद रिक्त है। यहां डॉक्टर की तैनाती नहीं होने के कारण लैब टेक्नीशियन मरीजों का इलाज करते हैं। ऐसे में अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मरीजों की स्वास्थ्य सुविधाएं किस तरह का उपलब्ध कराई जाती होगी।


Body:कुसौन्धी अतिरिक्त्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीन कर्मी की नियुक्ति हुई है जिसमे एक नर्स ,फोर्थ ग्रेड कर्मी मिथलेश कुमार व लैब टेक्नीशियन संजीत कुमार सामिल है। वही छः माह पहले यहां डॉ निरंजन कुमार तैनात थे लेकिन उनकी प्रतिनियुक्ति हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल में हो जाने के कारण यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर विहीन हो गया। लेकिन आज तक इस अस्पताल में शासन प्रशासन की नजर नही पहुँची। वही इस अस्पताल में तैनात लैब टेक्क्निशिन ही मरीजो को इलाज करता है। अब ऐसे में कोई अनहोनी हो जाये तो इसकी जवाबदेह कौन होगा। ईटीवी भारत ने जब प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र की तहकीकात की तो कई तरह के दृश्य सामने आए।स्वास्थ्य केंद्र में के बाहर ही बरामदे में फोर्थ ग्रेड कर्मचारी मिथलेश कुमार अर्धनग्न अवस्था मे कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहे थे। वही मरीज के पहुचने के बाद बाद लैब टेक्नीशियन सुजीत कुमार पहले ब्लड जांच के लिए मरीज के शरीर से खून निकाली ।इसके बाद ओपीडी में डॉक्टर के कुर्सी पर बैठ कर मरीज का इलाज शुरू किया। इतना ही नही सरकारी अस्पताल में मिलने वाली सरकारी पुर्जा का भी यहां अभाव दिखा। सरकारी पुर्जे के अलावा ऊसने एक कागज के टुकड़े मे दवा का नाम लिख कर व कुछ दवाइयां दी। वही लैब टेक्नीशियन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर नही रहने के कारण नर्स द्वारा इलाज किया जाता है। लेकिन वह किसी काम को लेकर कहि गई है। इस कारण मैं ही इलाज करता हूँ।जब उससे पूछा गया कि अगर कोई अनहोनी होती है तो उसका जवाब देह कौन होगा। लेकिन उसने कोई उत्तर नही दिया। वही मरीज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पिछले छः माह से डॉक्टर नही है जिसके बदले यही इलाज करते है। डॉक्टर के अभाव में यहाँ के अधिकतर मरीज झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर है या किसी निजी नर्सिंग होम पर । क्षेत्र की प्रसूता, गम्भीर बीमारी से ग्रसित व दुर्घटना में घायल मरीजो को तत्काल सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। जिससे कई बार मरीज रास्ते मे ही दम तोड़ देते है। ज्ञातव्य हो की हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से नजदीक में ही मिल सके इसी उद्देश्य से सरकार ने शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला था । जिस पर हर माह सरकार लाखों रुपए का बजट खर्च कर रही है। इसके बावजूद लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। इसके अभाव में उसे इलाज कराने जिला अस्पताल तक जाना ही पड़ रहा है। लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस सोच के साथ प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था वह आजतक कारगर साबित नहीं हो पा रहा है।



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