गोपालगंज: हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं, जो अपनी कला दूसरों को सिखाते हैं और बदले में किसी तरह की फीस भी नहीं लेते हैं. ऐसे ही लोगों में शुमार हैं, गोपालगंज मीरगंज थाना क्षेत्र के निवासी स्वर्गीय पशुपतिनाथ प्रसाद के पुत्र कृष्ण कुमार, जो बीते 40 वर्षों से कला के क्षेत्र से जुड़कर खुद ही नहीं बल्कि सैकड़ों छात्र-छात्राओं को भी शास्त्रीय संगीत की कला सीखा रहे हैं.
कृष्ण कुमार अपने आवास के आलावा अन्य जगहों पर भी जाकर छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देते है. इतना ही नहीं बिहार सरकार की ओर से संचालित योजनाओं को अपने संगीत के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का भी कार्य कर रहे हैं. इनके जरिए जल-जीवन-हरियाली और मानव श्रृंखला पर बनाये गए गाने को काफी लोगों ने पसंद किया.
निःशुल्क सिखाते है संगीत
कृष्ण कुमार इस कला से 40 वर्ष पहले जुड़े तभी से वे लोगों को निःशुल्क संगीत सिखाते और सीखते थे. अब वो सरकारी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. वे स्कूल के छुट्टी के बाद खाली समय में छात्र-छात्राओं को फ्री में ढोलक, हारमोनियम, तबला, गीत के अलावा कई गायन और वादन का ज्ञान देकर छात्र-छात्राओं को सक्षम बना रहे है.
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कौन है कृष्ण कुमार
कृष्ण कुमार मीरगंज निवासी पशुपतिनाथ प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र है. इनके पिता किसान थे. वे चार भाई और एक बहन में सबसे बड़े है. ये अब किसी परिचय के मोहताज नहीं है. संगीत में उन्हें बचपन से ही रुचि थी. हमेशा अपने मन मे संगीत की धुन गुनगुनाते रहते थे. फिर उन्होंने श्री राम मंडली में गायन-वादन शुरू किया.
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फिल्मी दुनिया में बिखेर रहे प्रतिभा
कृष्ण कुमार ने बताया कि जब वह कीर्तन मंडली के साथ साहू जैन उच्च विद्यालय में प्रोग्राम कर रहे थे, तभी उनकी प्रतिभा पर स्कूल की प्राचार्या सबिता चौधरी की नजर पड़ी और उन्होंने उनकी शिक्षा दीक्षा का सारा खर्च उठाया. उन्होंने संगीत से स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद (प्रयागराज) और स्नातकोत्तर की पढ़ाई चड़ीगढ़ से की. वहीं, स्कुल की प्राचार्या सबिता ने इन्हें अपने स्कूल में ही संगीत शिक्षक के पद पर नौकरी दी. तब से लेकर अब तक ये उसी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत है. कृष्ण कुमार बैजू बजाने में काफी निपुण है. इनसे शिक्षा पाकर छात्र बड़े-बड़े संस्थानो में कार्यरत है. वहीं, कई छात्र मुंबई के फिल्मी दुनिया में भी प्रतिभा बिखेर रहे हैं.
वाद्ययंत्र की दी जाती है शिक्षा
स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि यहां तनपूरा, गिटार, इलेक्ट्रिक गिटार, स्वर मंडल, बैजू, वाईलिन, हारमोनियम, माउथ आर्गन, तबला, मृदंग के साथ गायन में राग रागनी, सुगम संगीत, भजन, गजल, शिल्पी, मिथुन रजक, चंदन, समेत गायन और वादन की शिक्षा दी जाती है.
मां का मिला भरपूर सहयोग
मां का इन्हें भरपूर सहयोग मिला. क्योंकि इनकी मां कमला देवी भी संगीत से ताल्लुक रखती थी. उन्होंने बताया कि कृष्ण बपचन से ही संगीत में रूचि रखाता था. वो रात भर गाने-बजाने का रियाज करता और दिन में पढ़ाई और कमाई करता था.
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'गानों में परोसी जा रही है अश्लीलता'
ईटीवी भारत से बात करते हुए कृष्ण कुमार ने कहा कि यह शिक्षा मैं करीब 40 वर्षो से बच्चो को निःशुल्क देता आ रहा हूं. क्योंकि कभी मैं भी इन्ही बच्चों के जैसा था. मेरे मन में भी वह सोच थी कि मैं भी कुछ अच्छा करू. उन्होंने कहा कि माता सरस्वती और मां की कृपा से मैं इस मुकाम तक पहुंचा हुं कि मैं रोजाना 50 छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देता हूं. उन्होंने बताया कि संगीत से मेमोरी बढ़ती है. वहीं, उन्होंने कहा कि वर्तमान में संगीत में प्रदूषण भर गया है. अब के गानों में अश्लीलता परोसी जा रही है.