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गोपालगंज के कृष्ण कुमार रोजाना 50 छात्र-छात्राओं को देते हैं नि:शुल्क संगीत की शिक्षा - krishna kumar of gopalganj

म्यूजिक टीचर कृष्ण कुमार ने कहा कि यह शिक्षा मैं करीब 40 वर्षों से बच्चों को निःशुल्क देता आ रहा हूं. क्योंकि कभी मैं भी इन्ही बच्चों के जैसा था. मेरे मन में भी वह सोच थी कि मैं भी कुछ अच्छा करूं. उन्होंने कहा कि माता सरस्वती और मां की कृपा से मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूं कि मैं रोजाना 50 छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा दे सकूं.

फ्री संगीत की शिक्षा
फ्री संगीत की शिक्षा
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Published : Feb 9, 2020, 1:58 PM IST

Updated : Feb 9, 2020, 2:05 PM IST

गोपालगंज: हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं, जो अपनी कला दूसरों को सिखाते हैं और बदले में किसी तरह की फीस भी नहीं लेते हैं. ऐसे ही लोगों में शुमार हैं, गोपालगंज मीरगंज थाना क्षेत्र के निवासी स्वर्गीय पशुपतिनाथ प्रसाद के पुत्र कृष्ण कुमार, जो बीते 40 वर्षों से कला के क्षेत्र से जुड़कर खुद ही नहीं बल्कि सैकड़ों छात्र-छात्राओं को भी शास्त्रीय संगीत की कला सीखा रहे हैं.

कृष्ण कुमार अपने आवास के आलावा अन्य जगहों पर भी जाकर छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देते है. इतना ही नहीं बिहार सरकार की ओर से संचालित योजनाओं को अपने संगीत के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का भी कार्य कर रहे हैं. इनके जरिए जल-जीवन-हरियाली और मानव श्रृंखला पर बनाये गए गाने को काफी लोगों ने पसंद किया.

निःशुल्क सिखाते है संगीत
कृष्ण कुमार इस कला से 40 वर्ष पहले जुड़े तभी से वे लोगों को निःशुल्क संगीत सिखाते और सीखते थे. अब वो सरकारी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. वे स्कूल के छुट्टी के बाद खाली समय में छात्र-छात्राओं को फ्री में ढोलक, हारमोनियम, तबला, गीत के अलावा कई गायन और वादन का ज्ञान देकर छात्र-छात्राओं को सक्षम बना रहे है.

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सितार बजाती छात्रा

कौन है कृष्ण कुमार
कृष्ण कुमार मीरगंज निवासी पशुपतिनाथ प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र है. इनके पिता किसान थे. वे चार भाई और एक बहन में सबसे बड़े है. ये अब किसी परिचय के मोहताज नहीं है. संगीत में उन्हें बचपन से ही रुचि थी. हमेशा अपने मन मे संगीत की धुन गुनगुनाते रहते थे. फिर उन्होंने श्री राम मंडली में गायन-वादन शुरू किया.

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संगीत की शिक्षा देते कृष्ण कुमार

फिल्मी दुनिया में बिखेर रहे प्रतिभा
कृष्ण कुमार ने बताया कि जब वह कीर्तन मंडली के साथ साहू जैन उच्च विद्यालय में प्रोग्राम कर रहे थे, तभी उनकी प्रतिभा पर स्कूल की प्राचार्या सबिता चौधरी की नजर पड़ी और उन्होंने उनकी शिक्षा दीक्षा का सारा खर्च उठाया. उन्होंने संगीत से स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद (प्रयागराज) और स्नातकोत्तर की पढ़ाई चड़ीगढ़ से की. वहीं, स्कुल की प्राचार्या सबिता ने इन्हें अपने स्कूल में ही संगीत शिक्षक के पद पर नौकरी दी. तब से लेकर अब तक ये उसी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत है. कृष्ण कुमार बैजू बजाने में काफी निपुण है. इनसे शिक्षा पाकर छात्र बड़े-बड़े संस्थानो में कार्यरत है. वहीं, कई छात्र मुंबई के फिल्मी दुनिया में भी प्रतिभा बिखेर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

वाद्ययंत्र की दी जाती है शिक्षा
स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि यहां तनपूरा, गिटार, इलेक्ट्रिक गिटार, स्वर मंडल, बैजू, वाईलिन, हारमोनियम, माउथ आर्गन, तबला, मृदंग के साथ गायन में राग रागनी, सुगम संगीत, भजन, गजल, शिल्पी, मिथुन रजक, चंदन, समेत गायन और वादन की शिक्षा दी जाती है.

मां का मिला भरपूर सहयोग
मां का इन्हें भरपूर सहयोग मिला. क्योंकि इनकी मां कमला देवी भी संगीत से ताल्लुक रखती थी. उन्होंने बताया कि कृष्ण बपचन से ही संगीत में रूचि रखाता था. वो रात भर गाने-बजाने का रियाज करता और दिन में पढ़ाई और कमाई करता था.

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संगीत सिखते छात्र-छात्राएं

'गानों में परोसी जा रही है अश्लीलता'
ईटीवी भारत से बात करते हुए कृष्ण कुमार ने कहा कि यह शिक्षा मैं करीब 40 वर्षो से बच्चो को निःशुल्क देता आ रहा हूं. क्योंकि कभी मैं भी इन्ही बच्चों के जैसा था. मेरे मन में भी वह सोच थी कि मैं भी कुछ अच्छा करू. उन्होंने कहा कि माता सरस्वती और मां की कृपा से मैं इस मुकाम तक पहुंचा हुं कि मैं रोजाना 50 छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देता हूं. उन्होंने बताया कि संगीत से मेमोरी बढ़ती है. वहीं, उन्होंने कहा कि वर्तमान में संगीत में प्रदूषण भर गया है. अब के गानों में अश्लीलता परोसी जा रही है.

गोपालगंज: हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं, जो अपनी कला दूसरों को सिखाते हैं और बदले में किसी तरह की फीस भी नहीं लेते हैं. ऐसे ही लोगों में शुमार हैं, गोपालगंज मीरगंज थाना क्षेत्र के निवासी स्वर्गीय पशुपतिनाथ प्रसाद के पुत्र कृष्ण कुमार, जो बीते 40 वर्षों से कला के क्षेत्र से जुड़कर खुद ही नहीं बल्कि सैकड़ों छात्र-छात्राओं को भी शास्त्रीय संगीत की कला सीखा रहे हैं.

कृष्ण कुमार अपने आवास के आलावा अन्य जगहों पर भी जाकर छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देते है. इतना ही नहीं बिहार सरकार की ओर से संचालित योजनाओं को अपने संगीत के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का भी कार्य कर रहे हैं. इनके जरिए जल-जीवन-हरियाली और मानव श्रृंखला पर बनाये गए गाने को काफी लोगों ने पसंद किया.

निःशुल्क सिखाते है संगीत
कृष्ण कुमार इस कला से 40 वर्ष पहले जुड़े तभी से वे लोगों को निःशुल्क संगीत सिखाते और सीखते थे. अब वो सरकारी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. वे स्कूल के छुट्टी के बाद खाली समय में छात्र-छात्राओं को फ्री में ढोलक, हारमोनियम, तबला, गीत के अलावा कई गायन और वादन का ज्ञान देकर छात्र-छात्राओं को सक्षम बना रहे है.

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सितार बजाती छात्रा

कौन है कृष्ण कुमार
कृष्ण कुमार मीरगंज निवासी पशुपतिनाथ प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र है. इनके पिता किसान थे. वे चार भाई और एक बहन में सबसे बड़े है. ये अब किसी परिचय के मोहताज नहीं है. संगीत में उन्हें बचपन से ही रुचि थी. हमेशा अपने मन मे संगीत की धुन गुनगुनाते रहते थे. फिर उन्होंने श्री राम मंडली में गायन-वादन शुरू किया.

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संगीत की शिक्षा देते कृष्ण कुमार

फिल्मी दुनिया में बिखेर रहे प्रतिभा
कृष्ण कुमार ने बताया कि जब वह कीर्तन मंडली के साथ साहू जैन उच्च विद्यालय में प्रोग्राम कर रहे थे, तभी उनकी प्रतिभा पर स्कूल की प्राचार्या सबिता चौधरी की नजर पड़ी और उन्होंने उनकी शिक्षा दीक्षा का सारा खर्च उठाया. उन्होंने संगीत से स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद (प्रयागराज) और स्नातकोत्तर की पढ़ाई चड़ीगढ़ से की. वहीं, स्कुल की प्राचार्या सबिता ने इन्हें अपने स्कूल में ही संगीत शिक्षक के पद पर नौकरी दी. तब से लेकर अब तक ये उसी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत है. कृष्ण कुमार बैजू बजाने में काफी निपुण है. इनसे शिक्षा पाकर छात्र बड़े-बड़े संस्थानो में कार्यरत है. वहीं, कई छात्र मुंबई के फिल्मी दुनिया में भी प्रतिभा बिखेर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

वाद्ययंत्र की दी जाती है शिक्षा
स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि यहां तनपूरा, गिटार, इलेक्ट्रिक गिटार, स्वर मंडल, बैजू, वाईलिन, हारमोनियम, माउथ आर्गन, तबला, मृदंग के साथ गायन में राग रागनी, सुगम संगीत, भजन, गजल, शिल्पी, मिथुन रजक, चंदन, समेत गायन और वादन की शिक्षा दी जाती है.

मां का मिला भरपूर सहयोग
मां का इन्हें भरपूर सहयोग मिला. क्योंकि इनकी मां कमला देवी भी संगीत से ताल्लुक रखती थी. उन्होंने बताया कि कृष्ण बपचन से ही संगीत में रूचि रखाता था. वो रात भर गाने-बजाने का रियाज करता और दिन में पढ़ाई और कमाई करता था.

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संगीत सिखते छात्र-छात्राएं

'गानों में परोसी जा रही है अश्लीलता'
ईटीवी भारत से बात करते हुए कृष्ण कुमार ने कहा कि यह शिक्षा मैं करीब 40 वर्षो से बच्चो को निःशुल्क देता आ रहा हूं. क्योंकि कभी मैं भी इन्ही बच्चों के जैसा था. मेरे मन में भी वह सोच थी कि मैं भी कुछ अच्छा करू. उन्होंने कहा कि माता सरस्वती और मां की कृपा से मैं इस मुकाम तक पहुंचा हुं कि मैं रोजाना 50 छात्र-छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देता हूं. उन्होंने बताया कि संगीत से मेमोरी बढ़ती है. वहीं, उन्होंने कहा कि वर्तमान में संगीत में प्रदूषण भर गया है. अब के गानों में अश्लीलता परोसी जा रही है.

Intro:रोजाना 50 छात्र- छात्राओ को देते है, फ्री संगीत की शिक्षा
------इनसे संगीत सीखकर के लोग किया है मुकाम हासिल

गोपालगंज। कहते हैं आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे विरले लोग हैं, जो अपनी कला दूसरों को सिखाते हैं। और बदले में किसी तरह की फीस भी नहीं लेते। ऐसे लोगों में शुमार है, गोपालगंज जिले के मीरगंज थाना क्षेत्र के मीरगंज निवासी स्वर्गीय पशुपतिनाथ प्रसाद के पुत्र कृष्ण कुमार । जो बीते 40 वर्षो से कला के क्षेत्र में जुड़ कर आज खुद के ही नही बल्कि सैकड़ो छात्र छात्राओं को शास्त्रीय संगीत की कला सीखा कर मुकाम दिलाया है। कृष्ण कुमार अपने आवास के आलावे अन्य जगहों पर जाकर छात्र छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देते है। इतनाही नही बिहार सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को अपने संगीत के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का भी कार्य करते हैं जिनके द्वारा जल जीवन हरियाली हो या मानव श्रृंखला पर बनाये गए गाने काफी लोगो ने पसंद किया।






Body:कृष्ण कुमार पिछले 40 वर्ष पूर्व इस कला से जुड़े और तब भी लोगो को निःशुल्क संगीत सिखाते और सीखते थे। आज ये सरकारी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत है और स्कूल के छुट्टी के बाद खाली समय मे छात्र छात्राओं को फ्री में ढोलक, हारमोनियम,तबला के अलावा सारे गामा पा... गीत के अलावा कई गायन व वादनो का ज्ञान देकर छात्र छात्राओ को संबल बना रहे है।

कौन है कृष्ण कुमार

कृष्ण कुमार मीरगंज निवासी पशुपतिनाथ प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र है। पिता किसान थे, चार भाई और एक बहन में सबसे बड़े कृष्ण कुमार आज किसी परिचय के मोहताज नही है। संगीत में इन्हें बचपन से ही रुचि थी। हमेशा अपने मन मे संगीत की धुन गुनगुनाते रहते थे। फिर इन्होंने श्री राम मंडली में गायन वादन शुरू किया। इसी बीच जब ये 10 वर्ष के थे। तभी वर्ष 1976 में इनके पिता की साया इनके सिर से उठ गया। और परिवार की सभी बोझ इनके कंधों पर आ गई। बावजूद कृष्ण कुमार संगीत प्रेम को नही भूले दिन भर मेहनत मजदूरी व पढ़ाई करते और रात्रि जग कर संगीत का प्रयास करते। कृष्ण कुमार ने बताया की जब वह कीर्तन मंडली के साथ साहू जैन उच्च विद्यालय में प्रोग्राम कर रहे थे तभी उनकी प्रतिभा पर स्कूल की प्राचार्या सबिता चौधरी के ऊपर पड़ी और उन्होंने उनकी शिक्षा दीक्षा का सारा खर्च अपनी ओर से देनी शुरू कर उनको भरपूर सहयोग किया। कृष्ण कुमार ने संगीत से स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद प्रयाग से किया और स्नातकोत्तर की पढ़ाई चड़ीगढ़ से की। स्कुल की प्राचार्या सबिता ने इन्हें अपने स्कूल में ही संगीत शिक्षक के पद पर नौकरी दी तब से लेकर आज तक ये उसी विद्यालय में संगीत के शिक्षक के पद पर कार्यरत है। कृष्ण कुमार बैजू बजाने में काफी निपुण है। सुरुआत इन्होंने बैजू बजाने से की और आज इन्हें हरमुनिया, तबला ऑर्गन के अलावा अन्य वाद्ययंत्र की शिक्षा प्राप्त कर आज 50 छात्र छात्राओं को गायन व वादन की कला सिखाते है।इनके द्वारा शिक्षा पाकर आज बड़े बड़े संस्थानो में कार्यरत है। और अच्छी आमदनी कमाते है। कई छात्र मुम्बई में फ़िल्मी दुनिया मे भी प्रतिभा विखेर रहे है। वही कई ऐसे छात्र है जो इनसे विद्या सीखकर आज विभिन्न संस्थानों में शिक्षक व सरकारी पद पर कार्य कर रहे है।

यहां इन वाद्ययंत्र की दी जाती है शिक्षा

तनपूरा, गिटार, इलेक्ट्रिक गिटार, स्वर मंडल, बैजू, वाईलिन, हारमोनियम, माउथ आर्गन, तबला, मृदंग के साथ गायन में राग रागनी, सुगम संगीत, भजन, गजल, क्लासिकल
संगीत की शिक्षा ग्रहण करने वाले 5 वर्षो से कृति कुंज और 7 वर्ष से अनुराग कुंज, शिल्पी, मिथुन रजक, चंदन, समेत कई छात्र छात्राओं ने बताया कि यहां गायन व वादन की शिक्षा दी जाती है। इस क्षेत्र में हम लोगो को काफी खुशी मिलती है। यहां पर निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। हम लोग यही से निःशुल्क शिक्षा लेकर लोगो को सिखाते है और अच्छी आमदनी कमाते है। इतना ही नही ये सिर्फ गायन वादन ही नह बल्कि अपने ओर से वाद्य यंत्र भी देते है ताकि हम सीखने में कोई समस्या ना हो।
बाइट-अनुराग आनंद,छात्र काला टीशर्ट
बाइट-कृति कुंज, छात्रा
बाइट रॉबिंन पटेल( लाल जैकेट)
बाइट-शिल्पी कुमारी, (गले मे शॉल लपेटे)
बाइट-चंदन( बांसुरी बजाते)
बाइट- मिथुन रजक, कला जैकेट

माँ का मिला भरपूर सहयोग

माँ कमला का इन्हें भरपूर सहयोग मिला क्योंकि मां भी संगीत से ताल्लुक रखती थी। जिसने अपने पुत्र के इस कला को देख आज फुले नही समाती। माँ कमला देवी ने कहा कि कृष्ण कुमार बपचन से ही संगीत के प्रति रूचि लेते थे रात भर गाना और बजाने के रियाज करता और दिन में कमाई और पढ़ाई करता था।।जिसका नतीजा है कि आज कई छात्र छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देते है।

बाइट-कमला, माँ

ईटीवी भारत से बात करते हुए कृष्ण कुमार ने कहा कि यह शिक्षा मैं करीब 40 वर्षो से बच्चो को निःशुल्क देता आ रहा हूं। क्योंकि कभी मैं भी इन्ही बच्चो के जैसा था मेरे मन मे भी वह सोच थी कि मैं भी कुछ अच्छा करूँ और माता सरस्वती व माँ के कृपा व प्रेरणा से आज मैं इस मुकाम तक पहुंचा हुई कि मैं रोजाना 50 छात्र छात्राओं को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देता हूं। और मुझे अच्छा लगता है। उन्होंने बताया की संगीत से मेमोरी बढ़ती है। और रचनात्मक कार्य मे रुचि होती है। संगीत मंत्रो का मंत्र है , आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संगीत में प्रदूषण आइ है। आज अश्लीलता का परोसी जा रही है। मूल संगीत से युवा पीढ़ी में भटकावों हो रहा है।

बाइट-कृष्ण कुमार










Conclusion:इनके कला का हर कोई कायल है। बचपन से संगीत का शौक उनका जुनून बना गया और बाद में उन्होंने संगीत के जरिये स्वयं तो मुकाम हासिल किया ही, उसे समाज सेवा का भी जरिया बनाया। उनसे संगीत की शिक्षा पाकर कई लोग मुकाम हासिल किया है
Last Updated : Feb 9, 2020, 2:05 PM IST
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