गोपालगंज: जिले के सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में गन्ने की पेराई के साथ 18 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है. उत्पादित बिजली में से तीन मेगावाट बिजली फैक्ट्री के संचालन के लिए उपयोग की जाती है. जबकि 15 मेगावाट बिजली पावर ग्रिड को मुहैया करायी जाती है. इस शुगर मिल के चलते कई जिलों के गांव जगमग हो रहे हैं.
ढाई लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन सरकार को
गोपालगंज मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में बिजली तैयार की जाती है. यह चीनी मिल गन्ने के पेराई के बाद निकले (छिलका) बगास से प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली उत्पादित करता है. जिसे खुद अपने मिल में इस्तेमाल करता है. साथ ही ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को देता है. जिसके चलते कई जिलों के गांव जगमग होते हैं. इस मिल से उत्पादित बिजली गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी के गांवों में पहुंचायी जाती है.
ऑफ सीजन में भी होता है बिजली उत्पादन
इतना ही नहीं जब ऑफ सीजन में चीनी मिल बंद रहता है. तब भी यह बिजली उत्पादन करता है. बता दें कि गोपालगंज पावर ग्रिड को सिधवलिया चीनी मिल से मिल रही बिजली को पावर ग्रिड बेतिया वन फीडर से लेकर गोपालगंज समेत रक्सौल, सीवान और महराजगंज पावर हाउस को मिलता है. जिससे इन क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जाती है.
बगास को किया जाता है जमा
बता दें कि मिल परिसर में ट्रांसमिशन स्विच यार्ड, उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया गया है. बगास से चलने वाले टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में लगे ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिड को आपूर्ति की जाती है. मिल से निकले बगास को जमा किया जाता है. ताकि गन्ना पेराई बंद होने के बाद भी बिजली का उत्पादन अप्रैल महीने तक किया जा सके. वहीं, विद्युत उत्पादन शुरू होने के साथ ही मिल के ईंधन की भी समस्या दूर हो जाती है.
तीन शुगर मिल हैं चालू
गोपालगंज जिले में चार सुगर मिल हैं. जिसमें हथुआ मिल पहले से ही बंद पड़ा है. वहीं, वर्तमान में तीन शुगर मिल चालू हैं. लेकिन भारत शुगर मिल ही बिजली का उत्पादन करता है. अगर सरकार चाहती तो भारत शुगर मिल के जैसे ही अन्य दोनों शुगर मिल को आर्थिक मदद देकर बिजली का उत्पादन करा सकती है.