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गोपालगंज: भारत चीनी मिल से जगमग हो रहे कई गांव, बगास से प्रतिदिन तैयार होती है 18 मेगावाट बिजली - बिजली उत्पादन

भारत शुगर मिल गन्ने की पेराई के बाद निकले (छिलका) बगास से प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली उत्पादित करता है. जिसे खुद अपने मिल में इस्तेमाल करता है. साथ ही ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को देता है. जिसके चलते कई जिलों के गांव जगमग होते हैं.

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सुगर मिल में बिजली उत्पादन
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Published : Dec 22, 2019, 2:08 PM IST

गोपालगंज: जिले के सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में गन्ने की पेराई के साथ 18 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है. उत्पादित बिजली में से तीन मेगावाट बिजली फैक्ट्री के संचालन के लिए उपयोग की जाती है. जबकि 15 मेगावाट बिजली पावर ग्रिड को मुहैया करायी जाती है. इस शुगर मिल के चलते कई जिलों के गांव जगमग हो रहे हैं.

ढाई लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन सरकार को
गोपालगंज मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में बिजली तैयार की जाती है. यह चीनी मिल गन्ने के पेराई के बाद निकले (छिलका) बगास से प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली उत्पादित करता है. जिसे खुद अपने मिल में इस्तेमाल करता है. साथ ही ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को देता है. जिसके चलते कई जिलों के गांव जगमग होते हैं. इस मिल से उत्पादित बिजली गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी के गांवों में पहुंचायी जाती है.

भारत शुगर मिल में बिजली का उत्पादन किया जाता है

ऑफ सीजन में भी होता है बिजली उत्पादन
इतना ही नहीं जब ऑफ सीजन में चीनी मिल बंद रहता है. तब भी यह बिजली उत्पादन करता है. बता दें कि गोपालगंज पावर ग्रिड को सिधवलिया चीनी मिल से मिल रही बिजली को पावर ग्रिड बेतिया वन फीडर से लेकर गोपालगंज समेत रक्सौल, सीवान और महराजगंज पावर हाउस को मिलता है. जिससे इन क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जाती है.

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प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली का होता है उत्पादन

बगास को किया जाता है जमा
बता दें कि मिल परिसर में ट्रांसमिशन स्विच यार्ड, उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया गया है. बगास से चलने वाले टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में लगे ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिड को आपूर्ति की जाती है. मिल से निकले बगास को जमा किया जाता है. ताकि गन्ना पेराई बंद होने के बाद भी बिजली का उत्पादन अप्रैल महीने तक किया जा सके. वहीं, विद्युत उत्पादन शुरू होने के साथ ही मिल के ईंधन की भी समस्या दूर हो जाती है.

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बगास से बिजली का उत्पादन

तीन शुगर मिल हैं चालू
गोपालगंज जिले में चार सुगर मिल हैं. जिसमें हथुआ मिल पहले से ही बंद पड़ा है. वहीं, वर्तमान में तीन शुगर मिल चालू हैं. लेकिन भारत शुगर मिल ही बिजली का उत्पादन करता है. अगर सरकार चाहती तो भारत शुगर मिल के जैसे ही अन्य दोनों शुगर मिल को आर्थिक मदद देकर बिजली का उत्पादन करा सकती है.

गोपालगंज: जिले के सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में गन्ने की पेराई के साथ 18 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है. उत्पादित बिजली में से तीन मेगावाट बिजली फैक्ट्री के संचालन के लिए उपयोग की जाती है. जबकि 15 मेगावाट बिजली पावर ग्रिड को मुहैया करायी जाती है. इस शुगर मिल के चलते कई जिलों के गांव जगमग हो रहे हैं.

ढाई लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन सरकार को
गोपालगंज मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में बिजली तैयार की जाती है. यह चीनी मिल गन्ने के पेराई के बाद निकले (छिलका) बगास से प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली उत्पादित करता है. जिसे खुद अपने मिल में इस्तेमाल करता है. साथ ही ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को देता है. जिसके चलते कई जिलों के गांव जगमग होते हैं. इस मिल से उत्पादित बिजली गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी के गांवों में पहुंचायी जाती है.

भारत शुगर मिल में बिजली का उत्पादन किया जाता है

ऑफ सीजन में भी होता है बिजली उत्पादन
इतना ही नहीं जब ऑफ सीजन में चीनी मिल बंद रहता है. तब भी यह बिजली उत्पादन करता है. बता दें कि गोपालगंज पावर ग्रिड को सिधवलिया चीनी मिल से मिल रही बिजली को पावर ग्रिड बेतिया वन फीडर से लेकर गोपालगंज समेत रक्सौल, सीवान और महराजगंज पावर हाउस को मिलता है. जिससे इन क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जाती है.

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प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली का होता है उत्पादन

बगास को किया जाता है जमा
बता दें कि मिल परिसर में ट्रांसमिशन स्विच यार्ड, उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया गया है. बगास से चलने वाले टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में लगे ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिड को आपूर्ति की जाती है. मिल से निकले बगास को जमा किया जाता है. ताकि गन्ना पेराई बंद होने के बाद भी बिजली का उत्पादन अप्रैल महीने तक किया जा सके. वहीं, विद्युत उत्पादन शुरू होने के साथ ही मिल के ईंधन की भी समस्या दूर हो जाती है.

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बगास से बिजली का उत्पादन

तीन शुगर मिल हैं चालू
गोपालगंज जिले में चार सुगर मिल हैं. जिसमें हथुआ मिल पहले से ही बंद पड़ा है. वहीं, वर्तमान में तीन शुगर मिल चालू हैं. लेकिन भारत शुगर मिल ही बिजली का उत्पादन करता है. अगर सरकार चाहती तो भारत शुगर मिल के जैसे ही अन्य दोनों शुगर मिल को आर्थिक मदद देकर बिजली का उत्पादन करा सकती है.

Intro: गन्नानचल के नाम से यह पहचान इस जिले में चीनी के उत्पादन के लिए सबसे बड़े जिले के रूप में जाना जाता है। चीनी मिल में चीनी के इतर बिजली का उत्पादन का भी काम वर्षो किया जाता है।


Body:चीनी के मिठास के साथ यह चीनी मिल देता है लोगों को रौशनी
--प्रतिदिन करता है 18मेगावाट बिजली का उत्पादन

हम बात कर रहे है गोपालगंज मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सिधवलिया स्थित भारत सुगर मिल की जिसने न सिर्फ लोगों को गन्ने से चीनी की मिठास मुहैया कराती है बल्कि यह एक बड़े क्षेत्र के लिए बिजली भी तैयार कर सरकार को मुहैया कराती है। यह चीनी मिल गन्ने के पेराई के बाद निकले (छिलका) बगास से प्रतिदिन 18 मेगावाट बिजली उत्पादित कर खुद अपने फैक्ट्री के उपयोग करने के आलावे ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को मुहैया कराती है जिससे कई जिले के गांव जगमग होते है। यहां से उत्पादित बिजली गोपालगंज बेतिया मोतिहारी के गांव में पहुंचाया जाता है। इतना ही नही चीनी मिल ऑफ सीजन में जब मिल बंद रहता है। तब भी यह बिजली उत्पादन करती है। वैसे गोपालगंज में चार चीनी मिले है जिसमे एक हथुआ चीनी मिल वर्षो पहले बंद पड़ी है। तीन चीनी मीले वर्तमान में कार्यरत है। लेकिन बिजली उत्पादन का काम सिर्फ सिधवलिया चीनी मिल कर रही है। अगर बिजली उत्पादित के लिए से बिहार सरकार इन दोनो चीनी मिलों पर ध्यान आकृष्ट करे व आर्थिक मदद प्रदान कर बिजली उत्पादित करने को प्रेरित करे तो बिहार को और बिजली मिल सकेगी। गोपालगंज पावर ग्रिड को सिधवलिया चीनी मिल से मिल रहे बिजली को पावर ग्रिड बेतिया वन फीडर से लेकर गोपालगंज समेत रक्सौल, सिवान और महराजगंज पावर हाउस को मिलता है जिससे इन क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जाती है
ज्ञातव्य हो कि मिल परिसर में ट्रांसमिशन स्विच यार्ड, उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया गया है।बगास से चलने वाले टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में लगे ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिडको आपूर्ति की जाती है। मिल से निकले बगास को जमा किया जाता रहा है। ताकि गन्ना पेराई बंद होने के बाद भी बिजली का उत्पादन अप्रैल महीने तक किया जा सके। वही विद्युत उत्पादन शुरू होने के साथ ही मिल को ईंधन की भी समस्या दूर हो जाती है।

बाइट-शशि केडिया, महाप्रबंधक





Conclusion:गोपालगंज जिले में चार सुगर मिल।है जिसमे हथुआ सुगर मिल पहले से ही बंद पड़ा है लेकिन तीन सुगर मिल वर्तमान में चालू है लेकिन भारत सुगर मिल ही बिजली का उत्पादन करता है अगर सरकार चाहती तो भारत सुगर मिल के जैसे ही अन्य दोनो सुगर मिल को आर्थिल मदद कर के बिजली का उत्पादन कर सकती है।
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