गोपालगंज: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (War Continues Between Russia And Ukraine) जारी है. इस युद्ध के कारण यूक्रेन में हजारों भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. अब सरकार की ओर से वहां से भारतीय छात्रों को निकालने की कवायद शुरू कर दी गई है. कई छात्र देश पहुंच चुके हैं. बिहार के गोपालगंज जिले के यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गये दो छात्र अभी वहां फंसे (Gopalganj Two Brothers Stranded In Ukraine) हुए हैं. छात्रों के परिजन परेशान हैं और वह सरकार से उसे देश लाने की मांग कर रहे हैं.
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यूक्रेन में फंसे छात्रों के बुजुर्ग दादा-दादी अपने दो पोते को डॉक्टर बनाने का सपना लेकर यूक्रेन भेजे थे. आज उनकी आंखें नम है. परिजनों का सिसकियों के बीच दिन और रात कट रहा है. अब दिल से यही कराह निकल रहा है कि पोता डॉक्टर बने या न बने, सरकार उसे घर बुला दे. ये दास्तां है मीरगंज शहर से सटे नरैनीया गांव के यूक्रेन में डॉक्टर की पढ़ाई करने गए नरेद्र मिश्र का पुत्र नवनीत कौशिक और संजय कुमार मिश्रा का पुत्र उत्कर्ष कुमार के परिजनों की.
दरअसल यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की खबर मिलने के बाद से ही दोनों के परिजन परेशान हैं. वहीं अब सरकार से स्वदेश बुलाने की भी गुहार लगा रहे हैं. छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन में गए हुए हैं. इनमें नवनीत कौशिक यूक्रेन के विन्नित्सा यूनिवर्सिटी में थर्ड ईयर के छात्र हैं, जबकि उत्कर्ष कुमार मेडिकल के फर्स्ट ईयर के छात्र हैं. लगातार बढ़ रहे युद्ध के हालात के बीच चिंतित परिजन अपने लाड़लों की सुरक्षित वापसी को लेकर बेहद चिंतित हैं.
परिजनों ने सरकार से मांग की है कि इन सभी फंसे छात्रों को किसी तरह तत्काल स्वदेश वापसी की व्यवस्था की जाए. बेटों की हाल चाल के लिए कौशिक और उत्कर्ष के दादा सर्वदेव मिश्रा, मां आशा मिश्रा, रंजू मिश्रा और उनकी बहने लगातार मोबाइल से संपर्क में है. इधर यूक्रेन में फंसे छात्रों का कहना है कि सरकार उन्हें सुरक्षित जगह पर बराबर ले जाने की कोशिश कर रही है.
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