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गोपालगंज सदर अस्पताल: सुस्त सिस्टम के आगे जेनेरिक दवा दुकान ने घुटने टेके, दर-दर भटक रहे मरीज

अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है. यहां रस्म अदायगी के लिए कैल्शियम, आयरन, पैरासिटामॉल, पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाईयां ही उपलब्ध है. अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर जाकर जेब ढीली करनी पड़ रही है.

बीमार अस्पताल
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Published : Jul 27, 2019, 3:51 PM IST

गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल की जेनेरिक दवा की दुकान ने सुस्त सिस्टम के आगे घुटने टेक दिए हैं. यहां गरीबों को कम पैसों में जेनेरिक दवाईयां उपलब्ध हो जाती थी. दुकान बंद होने के बाद से मरीज दर-दर भटकने को मजबूर है. वहीं, सरकार द्वारा संचालित निःशुल्क दवा केंद्रों पर भी पर्याप्त दवाईयां उपलब्ध नहीं होने के कारण सिस्टम के सताए गरीब मरीज डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं को महंगे दामों पर बाहर से खरीदने के लिए मजबूर हैं.

4 सालों से लटका है ताला
सदर अस्पताल की जेनेरिक दवा की दुकान पर पिछले 4 सालों से लटक रहा ताला सरकार की योजनाओं को मुंह चिढ़ाता दिख रहा है. वहीं, मरीज आज भी औषधि केंन्द्र खुलने की आस लगाए बैठे हैं. 4 वर्षों से दुकान बंद होने के कारण मरीज सस्ते दामों पर मिलने वाली दवाईयों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

जेनेरिक दवा की दुकान पर लटका ताला
जेनेरिक दवा की दुकान पर लटका ताला

दवाओं के नाम पर रस्म अदायगी
अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है. यहां रस्म अदायगी के लिए कैल्शियम, आयरन, पैरासिटामॉल, पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाएं ही उपलब्ध है. अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर जाकर जेब ढीली करनी पड़ रही है.

बीमार अस्पताल

मरीजों की जेब पर डाका
सदर अस्पताल में गरीब मरीजों की जेब पर जमकर डाका डाला जा रहा है. दरअसल यहां सस्ते दामों पर मिलने वाली दवाओं का अभाव होने के कारण डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं. जिस कारण मरीजों को बाहर की लिखी महंगी दवाईयां खरीदनी पड़ रही हैं.

सिविल सर्जन ने दी सफाई

वेंटिलेटर पर चल रहे बीमार सिस्टम की पोल खुलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया. ईटीवी भारत ने जब यहां तैनात सिविल सर्जन नंद किशोर सिंह से बात की तो उन्होंने नई तैनाती बताकर पल्ला झाड़ लिया.

गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल की जेनेरिक दवा की दुकान ने सुस्त सिस्टम के आगे घुटने टेक दिए हैं. यहां गरीबों को कम पैसों में जेनेरिक दवाईयां उपलब्ध हो जाती थी. दुकान बंद होने के बाद से मरीज दर-दर भटकने को मजबूर है. वहीं, सरकार द्वारा संचालित निःशुल्क दवा केंद्रों पर भी पर्याप्त दवाईयां उपलब्ध नहीं होने के कारण सिस्टम के सताए गरीब मरीज डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं को महंगे दामों पर बाहर से खरीदने के लिए मजबूर हैं.

4 सालों से लटका है ताला
सदर अस्पताल की जेनेरिक दवा की दुकान पर पिछले 4 सालों से लटक रहा ताला सरकार की योजनाओं को मुंह चिढ़ाता दिख रहा है. वहीं, मरीज आज भी औषधि केंन्द्र खुलने की आस लगाए बैठे हैं. 4 वर्षों से दुकान बंद होने के कारण मरीज सस्ते दामों पर मिलने वाली दवाईयों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

जेनेरिक दवा की दुकान पर लटका ताला
जेनेरिक दवा की दुकान पर लटका ताला

दवाओं के नाम पर रस्म अदायगी
अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है. यहां रस्म अदायगी के लिए कैल्शियम, आयरन, पैरासिटामॉल, पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाएं ही उपलब्ध है. अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर जाकर जेब ढीली करनी पड़ रही है.

बीमार अस्पताल

मरीजों की जेब पर डाका
सदर अस्पताल में गरीब मरीजों की जेब पर जमकर डाका डाला जा रहा है. दरअसल यहां सस्ते दामों पर मिलने वाली दवाओं का अभाव होने के कारण डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं. जिस कारण मरीजों को बाहर की लिखी महंगी दवाईयां खरीदनी पड़ रही हैं.

सिविल सर्जन ने दी सफाई

वेंटिलेटर पर चल रहे बीमार सिस्टम की पोल खुलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया. ईटीवी भारत ने जब यहां तैनात सिविल सर्जन नंद किशोर सिंह से बात की तो उन्होंने नई तैनाती बताकर पल्ला झाड़ लिया.

Intro:केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार सब ने स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतरी के चाहे जितने भी दावे पेश कर ले लेकिन उनके दावे खोखली साबित होती हैं। केंद्र सरकार द्वारा जहां जगह-जगह गरीबों को जेनेरिक दवाइयों का दुकान खोली जा रही है वहीं सदर अस्पताल में वर्षों से जेनेरिक दवा की दुकान बंद पड़ी है।
जिसके कारण गरीब सस्ते दामों पर दवाइयों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।



Body:सदर अस्पताल गोपालगंज में चार वर्ष पूर्व जेनेरिक दवा की दुकान थी जो अब बंद हो गई है। वही सरकार द्वारा संचालित निःशुल्क दवा केंद्र पर भी पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध नही रहने से मजबूरन यहां के लोग डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं को आज भी महंगे दामो पर बाहर से खरीद रहे हैं।एक ओर केंद्र सरकार विभिन्न सदर व पीएचसी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोल कर गरीबों के लिए राहत देने की कार्य कर रही है। वही गोपालगंज जिला सदर अस्पताल में बंद पड़ा जेनेरिक दवा दुकान 4 वर्ष बाद भी नही खुला। जेनेरिक दवा दुकान पर ना ही सरकार की नजर जाती है और ना ही अस्पताल प्रशासन की सदर अस्पताल में मुफ्त में मिलने वाली दवाएं पर्याप्त मात्रा में नहीं होने के कारण मरीजो को उसका भी लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। डॉक्टर भी बाहर की दवाएं लगातार लिखते रहे हैं। मजबूरन मरीजो के लिए बाहर से दवाएं महंगी दामों पर खरीदी जा रही है। सदर अस्पताल में जेनरिक बंद पड़े दवा की दुकान कब खुलेगी कोई बताने को तैयार नहीं है। अब तो इसे खुलने का आसार भी नहीं लग रहा है। जिला स्वास्थ समिति ने भी इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इसके कारण सस्ती दवाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है। सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं के घोर अभाव है सिर्फ यहां कैल्शियम आयरन पेरासिटामोल पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाएं ही उपलब्ध रहती है। अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर आश्रित रहना पड़ता है।
इस संदर्भ में सिविल सर्जन नंद किशोर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे मालूम ही नही है कि यह दुकान कहा है मैं यहां नया आया हूँ।


Conclusion:na
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