गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल की जेनेरिक दवा की दुकान ने सुस्त सिस्टम के आगे घुटने टेक दिए हैं. यहां गरीबों को कम पैसों में जेनेरिक दवाईयां उपलब्ध हो जाती थी. दुकान बंद होने के बाद से मरीज दर-दर भटकने को मजबूर है. वहीं, सरकार द्वारा संचालित निःशुल्क दवा केंद्रों पर भी पर्याप्त दवाईयां उपलब्ध नहीं होने के कारण सिस्टम के सताए गरीब मरीज डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं को महंगे दामों पर बाहर से खरीदने के लिए मजबूर हैं.
4 सालों से लटका है ताला
सदर अस्पताल की जेनेरिक दवा की दुकान पर पिछले 4 सालों से लटक रहा ताला सरकार की योजनाओं को मुंह चिढ़ाता दिख रहा है. वहीं, मरीज आज भी औषधि केंन्द्र खुलने की आस लगाए बैठे हैं. 4 वर्षों से दुकान बंद होने के कारण मरीज सस्ते दामों पर मिलने वाली दवाईयों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
दवाओं के नाम पर रस्म अदायगी
अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का घोर अभाव है. यहां रस्म अदायगी के लिए कैल्शियम, आयरन, पैरासिटामॉल, पेन किलर जैसी कुछ गिनी चुनी दवाएं ही उपलब्ध है. अन्य दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर जाकर जेब ढीली करनी पड़ रही है.
मरीजों की जेब पर डाका
सदर अस्पताल में गरीब मरीजों की जेब पर जमकर डाका डाला जा रहा है. दरअसल यहां सस्ते दामों पर मिलने वाली दवाओं का अभाव होने के कारण डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं. जिस कारण मरीजों को बाहर की लिखी महंगी दवाईयां खरीदनी पड़ रही हैं.
सिविल सर्जन ने दी सफाई
वेंटिलेटर पर चल रहे बीमार सिस्टम की पोल खुलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया. ईटीवी भारत ने जब यहां तैनात सिविल सर्जन नंद किशोर सिंह से बात की तो उन्होंने नई तैनाती बताकर पल्ला झाड़ लिया.