ETV Bharat / state

सरकारी प्रक्रियाओं में फंसा मछली पालन व्यवसाय, किसानों की मदद करने में हिचकिचाते हैं बैंक!

author img

By

Published : Jun 16, 2020, 12:38 PM IST

इस वक्त कोरोना की वजह से पूरा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है. वहीं, किसानों पर इसका खासा असर पड़ा है. इसलिए किसान अन्य व्यवसायों की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन पूंजी के अभाव में सफल नहीं हो पा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट
देखें रिपोर्ट

गोपालगंज: किसानों की पहले से चरमराई हुई आर्थिक हालत लॉकडाउन के बाद और भी डगमगा गई है. उन्हें इससे उभारने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन की तरफ से कुछ हद उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. किसानों को अपना व्यवसाय शुरू करने में तरह-तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

लोन के इंतजार में सूख रहे तालाब
लोन के इंतजार में सूख रहे तालाब

टेढ़ी खीर है अनुदान लेना
इनमें बैंकों से लोन न मिलने मुख्य कारणों में से एक है. लोन नहीं मिलने के कारण इच्छुक किसान भी मछली पालन और इस तरह के अन्य रोजगार नहीं अपना पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि बैंकों की आनाकानी की वजह से मछली पालन का दायरा भी सिकुड़ता हुआ नजर आ रहा है. वहीं विभाग तभी अनुदान देता है जब कार्य पूरा हो जाए. ऐसे में कम पूंजी वाले किसान अपना फार्म खड़ा करने में पिछड़ जाते हैं.

विभागीय प्रक्रिया में फंसता है पेंच
दरअसल सरकार द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. ताकि अधिक से अधिक लोग मछली पालन से जुड़कर बेरोजगारी दूर कर सकें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाएं. इसके लिए सरकार द्वारा 45 से 90 प्रतिशत अनुदान की भी व्यवस्था की गई है, लेकिन इसमें पेंच यह है कि अनुदान तभी मिलेगा जब किसान मछली पालन के लिए तालाब की खुदाई व आवश्यक संसाधन की व्यवस्था पूरी कर लें. ऐसे में जो कम पूंजी के इच्छुक किसान मछली पालन करना चाहते हैं वो नहीं कर पाते हैं.

देखें रिपोर्ट

किसानों की मदद करने में हिचकिचाते हैं बैंक!
कुछ इसी तरह की समस्या सदर प्रखंड के भितभेरवा गांव निवासी विवेक सिंह के सामने भी है. जिन्होंने मछली पालन शुरू करने की कोशिश की. इन्होंने अपने पैसों से तालाब की खुदाई तो करवा ली. लेकिन जब पैसे खत्म हो गए तो मदद के लिए बैंक की तरफ दौड़े. बैंक ने इन्हें लोन देने से इनकार कर दिया. अब तालाब आधा-अधूरा पड़ा है.

क्या कहते हैं अधिकारी?
ये समस्या सिर्फ विवेक की ही नहीं है. इनके जैसे सैकड़ों लोगों की है, जो पैसों के अभाव में पीछे रह जाते हैं. इस संदर्भ मत्स्य पदाधिकारी अनिल कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि इच्छुक किसानों के आवेदन को हम उनके कार्यक्षेत्र वाले बैंक के पास फॉरवर्ड कर देते हैं. लेकिन बैंक इंट्रेस्ट नहीं लेते. उन्होंने यह भी कहा कि तीन साल के अंदर एक भी किसान को लोन नहीं मिला है. इसकी रिपोर्ट हमने विभाग को दे दी है.

बैंक अधिकारी का अलग ही है राग
वहीं, सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के शाखा प्रबंधक मनिंद्र कुमार सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास एक भी आवेदन नहीं आया है. प्रक्रिया के तहत आने वाले लोगों को लोन मुहैया कराया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कई किसान लोन लेकर वापस लौटाना नहीं चाहते. ऐसे में बैंक और सरकार दोनों को हानि होती है. हमारी शाखा से लिए गए लोन को 9 किसानों ने अब तक नहीं लौटाया.

सत्र 2019-20 में विभाग का लक्ष्य योजना-

लक्ष्य ऋण/स्वलागत राशि अनुदान

  • नया तालाब 2 हेक्टेयर 7 लाख 40%-90%
  • उन्नत इनपुट 48 हेक्टेयर 60 हजार 50%

उन्नत मत्स्य

  • बीज उत्पाद 9.5 एकड़ 56 हजार 50 %
  • मछली उत्पादन 4 (1पूर्ण) 1 लाख 59 हजार 50%
  • हैचरी 1 यूनिट 22लाख/यूनिट

गोपालगंज: किसानों की पहले से चरमराई हुई आर्थिक हालत लॉकडाउन के बाद और भी डगमगा गई है. उन्हें इससे उभारने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन की तरफ से कुछ हद उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. किसानों को अपना व्यवसाय शुरू करने में तरह-तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

लोन के इंतजार में सूख रहे तालाब
लोन के इंतजार में सूख रहे तालाब

टेढ़ी खीर है अनुदान लेना
इनमें बैंकों से लोन न मिलने मुख्य कारणों में से एक है. लोन नहीं मिलने के कारण इच्छुक किसान भी मछली पालन और इस तरह के अन्य रोजगार नहीं अपना पा रहे हैं. किसानों का कहना है कि बैंकों की आनाकानी की वजह से मछली पालन का दायरा भी सिकुड़ता हुआ नजर आ रहा है. वहीं विभाग तभी अनुदान देता है जब कार्य पूरा हो जाए. ऐसे में कम पूंजी वाले किसान अपना फार्म खड़ा करने में पिछड़ जाते हैं.

विभागीय प्रक्रिया में फंसता है पेंच
दरअसल सरकार द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. ताकि अधिक से अधिक लोग मछली पालन से जुड़कर बेरोजगारी दूर कर सकें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाएं. इसके लिए सरकार द्वारा 45 से 90 प्रतिशत अनुदान की भी व्यवस्था की गई है, लेकिन इसमें पेंच यह है कि अनुदान तभी मिलेगा जब किसान मछली पालन के लिए तालाब की खुदाई व आवश्यक संसाधन की व्यवस्था पूरी कर लें. ऐसे में जो कम पूंजी के इच्छुक किसान मछली पालन करना चाहते हैं वो नहीं कर पाते हैं.

देखें रिपोर्ट

किसानों की मदद करने में हिचकिचाते हैं बैंक!
कुछ इसी तरह की समस्या सदर प्रखंड के भितभेरवा गांव निवासी विवेक सिंह के सामने भी है. जिन्होंने मछली पालन शुरू करने की कोशिश की. इन्होंने अपने पैसों से तालाब की खुदाई तो करवा ली. लेकिन जब पैसे खत्म हो गए तो मदद के लिए बैंक की तरफ दौड़े. बैंक ने इन्हें लोन देने से इनकार कर दिया. अब तालाब आधा-अधूरा पड़ा है.

क्या कहते हैं अधिकारी?
ये समस्या सिर्फ विवेक की ही नहीं है. इनके जैसे सैकड़ों लोगों की है, जो पैसों के अभाव में पीछे रह जाते हैं. इस संदर्भ मत्स्य पदाधिकारी अनिल कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि इच्छुक किसानों के आवेदन को हम उनके कार्यक्षेत्र वाले बैंक के पास फॉरवर्ड कर देते हैं. लेकिन बैंक इंट्रेस्ट नहीं लेते. उन्होंने यह भी कहा कि तीन साल के अंदर एक भी किसान को लोन नहीं मिला है. इसकी रिपोर्ट हमने विभाग को दे दी है.

बैंक अधिकारी का अलग ही है राग
वहीं, सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के शाखा प्रबंधक मनिंद्र कुमार सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास एक भी आवेदन नहीं आया है. प्रक्रिया के तहत आने वाले लोगों को लोन मुहैया कराया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कई किसान लोन लेकर वापस लौटाना नहीं चाहते. ऐसे में बैंक और सरकार दोनों को हानि होती है. हमारी शाखा से लिए गए लोन को 9 किसानों ने अब तक नहीं लौटाया.

सत्र 2019-20 में विभाग का लक्ष्य योजना-

लक्ष्य ऋण/स्वलागत राशि अनुदान

  • नया तालाब 2 हेक्टेयर 7 लाख 40%-90%
  • उन्नत इनपुट 48 हेक्टेयर 60 हजार 50%

उन्नत मत्स्य

  • बीज उत्पाद 9.5 एकड़ 56 हजार 50 %
  • मछली उत्पादन 4 (1पूर्ण) 1 लाख 59 हजार 50%
  • हैचरी 1 यूनिट 22लाख/यूनिट
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.