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किसानों को नहीं मिला ज्ञान : कहां है मिट्टी जांचने वाली प्रयोगशाला, कैसे बढ़ती है उर्वरकता? - Problems of farmers

गोपालगंज के अधिकांश किसान ऐसे हैं, जिन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि वो अपने खेतों की सेहत का ख्याल कैसे रखें. लिहाजा, वो वर्षों से देसी खाद का इस्तेमाल और मन मुताबिक खेती कर रहे हैं. इससे उनकी फसल प्रभावित हो रही है. पढ़ें और देखें पूरी खबर...

देखें, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट
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Published : Dec 29, 2020, 5:19 PM IST

Updated : Dec 29, 2020, 5:28 PM IST

गोपालगंज : जिले के किसान विभागीय उदासीनता के चलते पुरानी विधि से ही खेती कर रहे हैं. जिले अधिकांश किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड और मिट्टी जांच प्रयोगशाला कहां है, इसके बारे में जानकारी ही नहीं है और ना ही विभाग का कोई कर्मी, इन्हें जागरूक करने का बीड़ा उठा रहा है. किसानों को जरूर पता है कि मिट्टी की जांच करा, खेतों में सही उर्वरक डालना कितना फायदेमंद साबित हो सकता है. लेकिन उनके पास मृदा हेल्थ कार्ड नहीं है.

किसानों के लिए बजट में भले ही हर जिले में मृदा स्वास्थ्य जांच केंद्र की घोषणा की गई हो. लेकिन जमीन पर, ऐसी किसी योजना के बारे में किसानों को कोई जानकारी नहीं है. यही वजह है कि किसानों को ये तक नहीं पता कि खेत की सेहत का ख्याल रखना कितना जरूरी है. कौन सा उर्वरक उनके खेतों को चाहिए और कौन सा उर्वरक नहीं. लिहाजा, किसान देसी खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं.

देखें, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

किसानों में जागरूकता का अभाव
सरकार की ओर से किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन जानकारी के अभाव में किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जागरूकता के अभाव में किसान मिट्टी की जांच कराए बिना खेती करने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया. ईटीवी भारत से बात करते हुए किसानों ने बताया कि उन्हें मिट्टी जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

अपने मुताबिक खेती करते हैं किसान
अपने मुताबिक खेती करते हैं किसान

'सुने हैं कि मिट्टी की जांच कराने पर खेत के उर्वरकता की जानकारी मिलती है और हम सही मात्रा में खाद बीज पानी डाल सकते हैं.'- रब हुसैन, किसान

सुविधा से वंचित हैं किसान
देश में मिट्टी की उर्वरा शक्ति के कारण कृषि उत्पादन में हो रही कमी को दूर करने के लिए पिछले कई वर्षों से सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमे खेतों की मिट्टी की जांच करके उस में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है. वहीं जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां के किसान इन सुविधाओं से वंचित हैं.

प्रयोगशाला के बारे में नहीं है जानकारी
वहीं कुछ ऐसे भी किसान हैं, जिन्हें यह पता भी नहीं है कि मिट्टी जांच क्या होती है और मिट्टी जांचने वाली प्रयोगशाला कहां है. ऐसे में यह अपने खेतों की पैदावार कैसे बढ़ा सकते हैं. गांव के किसानों ने बताया कि मिट्टी की जांच कब और कैसे करनी है. इसकी कोई जानकारी नहीं है. मिट्टी की जांच को लेकर जिले में कृषि विभाग में मिट्टी जांच प्रयोगशाला बनी है. लेकिन इस प्रयोगशाला के बारे में भी किसानों को नहीं पता है.

जिले में बनी है प्रयोगशाला
जिले में बनी है मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशाला

समय-समय पर किया जाता है प्रचार प्रसार
प्रयोगशाला के मृदा अनुसंधानकर्ता प्रमोद कुमार ने बताया कि यहां पर मिट्टी की जांच के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. मिट्टी जांच के लिए समय-समय पर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है. लेकिन किसान यहां जांच कराने बहुत कम किसान पहुंचते हैं, जो किसान आते है उनकी जांच करके रिपोर्ट दी जाती है. उन्होंने बताया कि महज 675 मृदा हेल्थ कार्ड बनाए गये हैं. 7 हजार कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है. मैन पॉवर बढाई गई है, दो शिफ्ट में काम कर मार्च तक इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा.

कुल मिलाकर, गोपालगंज में मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशाला तो बना दी गई है लेकिन उसका प्रयोग सक्रियता से नहीं हो रहा है. अगर ऐसा हो, तो बाढ़ और सुखाड़ की मार झेलने वाले किसानों के दर्द में मरहम लग जाएगा.

गोपालगंज : जिले के किसान विभागीय उदासीनता के चलते पुरानी विधि से ही खेती कर रहे हैं. जिले अधिकांश किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड और मिट्टी जांच प्रयोगशाला कहां है, इसके बारे में जानकारी ही नहीं है और ना ही विभाग का कोई कर्मी, इन्हें जागरूक करने का बीड़ा उठा रहा है. किसानों को जरूर पता है कि मिट्टी की जांच करा, खेतों में सही उर्वरक डालना कितना फायदेमंद साबित हो सकता है. लेकिन उनके पास मृदा हेल्थ कार्ड नहीं है.

किसानों के लिए बजट में भले ही हर जिले में मृदा स्वास्थ्य जांच केंद्र की घोषणा की गई हो. लेकिन जमीन पर, ऐसी किसी योजना के बारे में किसानों को कोई जानकारी नहीं है. यही वजह है कि किसानों को ये तक नहीं पता कि खेत की सेहत का ख्याल रखना कितना जरूरी है. कौन सा उर्वरक उनके खेतों को चाहिए और कौन सा उर्वरक नहीं. लिहाजा, किसान देसी खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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किसानों में जागरूकता का अभाव
सरकार की ओर से किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन जानकारी के अभाव में किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जागरूकता के अभाव में किसान मिट्टी की जांच कराए बिना खेती करने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया. ईटीवी भारत से बात करते हुए किसानों ने बताया कि उन्हें मिट्टी जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

अपने मुताबिक खेती करते हैं किसान
अपने मुताबिक खेती करते हैं किसान

'सुने हैं कि मिट्टी की जांच कराने पर खेत के उर्वरकता की जानकारी मिलती है और हम सही मात्रा में खाद बीज पानी डाल सकते हैं.'- रब हुसैन, किसान

सुविधा से वंचित हैं किसान
देश में मिट्टी की उर्वरा शक्ति के कारण कृषि उत्पादन में हो रही कमी को दूर करने के लिए पिछले कई वर्षों से सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमे खेतों की मिट्टी की जांच करके उस में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है. वहीं जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां के किसान इन सुविधाओं से वंचित हैं.

प्रयोगशाला के बारे में नहीं है जानकारी
वहीं कुछ ऐसे भी किसान हैं, जिन्हें यह पता भी नहीं है कि मिट्टी जांच क्या होती है और मिट्टी जांचने वाली प्रयोगशाला कहां है. ऐसे में यह अपने खेतों की पैदावार कैसे बढ़ा सकते हैं. गांव के किसानों ने बताया कि मिट्टी की जांच कब और कैसे करनी है. इसकी कोई जानकारी नहीं है. मिट्टी की जांच को लेकर जिले में कृषि विभाग में मिट्टी जांच प्रयोगशाला बनी है. लेकिन इस प्रयोगशाला के बारे में भी किसानों को नहीं पता है.

जिले में बनी है प्रयोगशाला
जिले में बनी है मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशाला

समय-समय पर किया जाता है प्रचार प्रसार
प्रयोगशाला के मृदा अनुसंधानकर्ता प्रमोद कुमार ने बताया कि यहां पर मिट्टी की जांच के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. मिट्टी जांच के लिए समय-समय पर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है. लेकिन किसान यहां जांच कराने बहुत कम किसान पहुंचते हैं, जो किसान आते है उनकी जांच करके रिपोर्ट दी जाती है. उन्होंने बताया कि महज 675 मृदा हेल्थ कार्ड बनाए गये हैं. 7 हजार कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है. मैन पॉवर बढाई गई है, दो शिफ्ट में काम कर मार्च तक इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा.

कुल मिलाकर, गोपालगंज में मिट्टी जांच के लिए प्रयोगशाला तो बना दी गई है लेकिन उसका प्रयोग सक्रियता से नहीं हो रहा है. अगर ऐसा हो, तो बाढ़ और सुखाड़ की मार झेलने वाले किसानों के दर्द में मरहम लग जाएगा.

Last Updated : Dec 29, 2020, 5:28 PM IST
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