गोपलगंज: बिहार के गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड के काकड़कुंड गांव निवासी क्रिकेटर मुकेश कुमार ने एक बार फिर सफलता पाई है. मुकेश कुमार के बेहतर प्रदर्शन के कारण भारतीय क्रिकेट टीम के सीनियर चयन समिति द्वारा वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (World Test Championship) के फाइनल के लिए भारतीय टीम के स्टैंडबाय प्लेयर के रूप में मुकेश का चयन हुआ है. लंदन में सात से 11 जून के बीच वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप खेला जाएगा. मुकेश के इस सफलता पर मुकेश के गांव काकड़कुंड समेत पूरे जिले में खुशी की लहर है.
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स्टैंडबाय प्लेयर बने मुकेश कुमार: दरअसल, गोपालगंज सदर प्रखंड के काकड़कुंड गांव निवासी मुकेश के पिता काशीनाथ के निधन के बाद मुकेश की मां मालती देवी मां-बाप की जिम्मेदारियां निभाती हैं. दो भाइयों में मुकेश कुमार छोटे हैं. मुकेश के लिए शुरुआती दिन काफी संघर्षों का रहा है. कई समस्याओं को झेलने के बावजूद मुकेश क्रिकेट खेलता रहा. उन्हें विश्वास था की सफलता एक दिन उन्हें जरूर मिलेगी.
बंगाल से खेलते हैं मुकेश कुमार: मुकेश कुमार जिला क्रिकेट एसोसिएशन से निकलकर बंगाल में अंडर-19 खेलने के बाद बंगाल के लिए ही रणजी ट्रॉफी खेला. रणजी ट्रॉफी से इंडिया-ए टीम में बीते साल-2022 में शामिल हुए. इंडिया-ए और न्यूजीलैंड के बीच हुए मैच में 13 ओवर में पांच विकेट लेकर महज 36 रन दिए. बेहतर प्रदर्शन के बाद इंडिया टीम का हिस्सा बनें. आइपीएल ऑक्शन में दिल्ली कैपीटल्स ने साढ़े पांच करोड़ रुपए में टीम का हिस्सा बनाया है.
आईपीएल में किया शानदार प्रदर्शन: मुकेश कुमार ने आईपीएल के मौजूदा सत्र में 10 मैच खेले हैं और 7 विकेट लिए हैं. वह ऋतुराज गायकवाड़ और सूर्यकुमार यादव के साथ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अंतिम टीम के लिए स्टैंडबाय सूची में हैं. लेकिन तेज गेंदबाजों जयदेव उनादकट और उमेश यादव की चोटों को लेकर बढ़ती चिंता के बीच मुकेश अभी भी अगले महीने होने वाले बड़े मुकाबले के लिए मुख्य टीम में शामिल हो सकते हैं.
"काफी खुशी मिलती है कि एक छोटे से गांव से निकला हुआ खिलाड़ी आज पूरे देश में नाम कर रहा है. मिंज स्टेडियम में शुरुआती प्रैक्टिस कर आज मुकेश उस मंजिल पर पहुंचा है. जहां पहुंचना हर किसी की तमन्ना होती है."- अमित सिंह, मुकेश के कोच
ब्रेटली कहकर बुलाते हैं गांव के दोस्त: मुकेश के दोस्त और उनके गांव के युवा उन्हें ब्रेट ली कहा करते थे. जब भी वह मिंज स्टेडियम के फील्ड में क्रिकेट खेलने पहुंचते थे, उसे देख कर फिल्ड में दौड़ने वाले हो या फिर उनके साथ क्रिकेट खेलने वाले दोस्त या फिर उनका क्रिकेट देख कर कुछ सीखने वाले युवा ब्रेट ली कह कर पुकारते थे. क्योंकि ब्रेट ली की तरह ही उनका तरीका रहता था.