गोपालगंज: सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ योगेंद्र महतो ने डॉक्टरों से आये दिन हो रहे मारपीट और दुर्व्यवहार से आहत होकर सरकार को अपने पद से इस्तीफा भेज दिया. सीएस के इस्तीफे के बाद पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. हालांकि सीएस के माध्यम से दिये गए इस्तीफे को सरकार ने अस्वीकृत कर दिया है.
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डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट
दरअसल, कोरोना संक्रमण के दौरान आये दिन सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं मरीजों को चिकित्सकीय सुविधा मिलने में हो रही असुविधा के कारण परिजन डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट कर रहे हैं. जिसे देख सिविल सर्जन डॉ योगेन्द्र महतो ने सरकार के प्रधान सचिव को इस्तीफा भेज दिया. लेकिन इस्तीफे को विभाग ने नामंजूर कर दिया है. बता दें कि इस पूरे प्रकरण की जनाकारी डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी को नहीं थी.
इस्तीफा देना नहीं समाधान
सदर अस्पताल पहुंचकर डीएम ने इस मामले में सिविल सर्जन से जानकारी ली. सीएस ने डीएम को बताया कि उन्होंने अपना इस्तीफा प्रधान सचिव को भेज दिया है. डीएम ने उन्हें समझाते हुए कहा कि आपदा के इस संकट में हम सभी को समस्या का समाधान ढूंढ़कर निदान करना होगा. इस्तीफा देने से समस्या का समाधान नहीं होगा. डीएम ने कहा कि इस्तीफा वापस लीजिए. संकट की इस घड़ी में सहयोग कीजिए.
अब तक नहीं हुई किसी की गिरफ्तारी
सिविल सर्जन के इस्तीफे की खबर से स्वास्थ्यकर्मियों में मायूसी छा गई है. उपाधीक्षक डॉ एसके झा, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एसके चौधरी, डॉ अमर कुमार, डॉ अभिषेक शेखर सिन्हा, डॉ शक्ति सिंह, डॉ सनाउल मुस्तफा आदि सदर अस्पताल पहुंच गए. ज्ञात हो कि कुछ डॉक्टरों ने सिविल सर्जन के समक्ष रो-रोकर अपनी पीड़ा सुनायी थी. जिसके बाद सिविल सर्जन ने अपना त्यागपत्र स्वास्थ्य विभाग को भेजा. डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
एक सप्ताह के अंदर तीन घटनाएं
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एसके गुप्ता के मुताबिक सदर अस्पताल में एक सप्ताह में तीन घटनाएं हो चुकी हैं. डॉक्टरों ने पिछले सप्ताह हड़ताल भी किया था. इसके बाद भी जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किया गया. वहीं सैप के जवान दो दिन बाद ही अस्पताल छोड़कर चले गए. इसके बाद सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की भी व्यवस्था नहीं की गई.