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ये मुक्तिधाम मांग रहा 'मुक्ति', उद्घाटन के बाद से नहीं हुआ एक भी दाह-संस्कार

भारत रत्न और पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान चलाई गई मुक्तिधाम योजना के अंतर्गत गोपालगंज में भी एक मुक्तिधाम बनाया गया. इसका उद्घाटन 2014 में किया गया. लेकिन सरकारी उदासीनता का आलम ये रहा कि यहां आज तक एक भी शव का दाह-संस्कार नहीं हुआ.

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Published : Mar 4, 2020, 9:50 PM IST

Updated : Mar 4, 2020, 9:56 PM IST

मुक्तिधाम
मुक्तिधाम

गोपालगंज: जिले के एकमात्र शवों के दाह संस्कार के लिए बना मुक्तिधाम खुद की मुक्ति की आस लगाए बैठा है. आलम यह है कि इस मुक्तिधाम पर न ही प्रशासन की नजर जाती और न ही जनप्रतिनिधियों की. यही कारण है कि यह मुक्तिधाम उपेक्षा का शिकार है.

शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब 6 साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल पर बने मुक्तिधाम की उपेक्षा के लिए स्थानीय लोग इसे प्रशासनिक निरंकुशता बता रहे हैं. इस कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका. करीब 42 लाख की लागत से बनाया गया मुक्तिधाम अब नशेबाजों का ठिकाना बन गया है. यहां का गेट और सोलर लाइट की बैटरी गायब है. झाड़ियों से ढ़का यह मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेबाजों का धाम बन गया है.

गोपालगंज से अटल बिहारी पांडेय की रिपोर्ट

आज तक नहीं हुआ एक भी शव का दाह संस्कार
वर्षों पूर्व इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ विद्युत शव दाह गृह बनाए जाने की योजना की गई थी. लेकिन यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी. इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे ने किया था. लेकिन उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम पर प्रशासनिक उपेक्षा की मार पड़ गई. निर्माण के बाद से ही इसकी उपेक्षा करने का नतीजा यह रहा कि आज तक यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका.

स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार और अन्य
समाजसेवी विमल कुमार और अन्य

अटल बिहारी वाजपेयी की मुक्तिधाम योजना की देन
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार ने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी. वहीं, समाजसेवी विमल कुमार के माने तो उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना का शुरूआत की गई थी. जिसे देख गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी. इस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य को शुरुआत की.

उग आईं झांड़ियां
उग आई झांड़ी

अब यहां बनेगा शव दाह गृह
इस कार्य की योजना में कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए और मुक्तिधाम बनकर तैयार हो गया. इसका उद्घाटन वर्ष 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. उन्होंने बताया कि नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका. इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद ने सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा, जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.

गोपालगंज: जिले के एकमात्र शवों के दाह संस्कार के लिए बना मुक्तिधाम खुद की मुक्ति की आस लगाए बैठा है. आलम यह है कि इस मुक्तिधाम पर न ही प्रशासन की नजर जाती और न ही जनप्रतिनिधियों की. यही कारण है कि यह मुक्तिधाम उपेक्षा का शिकार है.

शहर के कमला राय कॉलेज रोड स्थित पोस्टमार्टम हाउस के पास करीब 6 साल पहले 1 एकड़ 46 डिसमिल पर बने मुक्तिधाम की उपेक्षा के लिए स्थानीय लोग इसे प्रशासनिक निरंकुशता बता रहे हैं. इस कारण इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका. करीब 42 लाख की लागत से बनाया गया मुक्तिधाम अब नशेबाजों का ठिकाना बन गया है. यहां का गेट और सोलर लाइट की बैटरी गायब है. झाड़ियों से ढ़का यह मुक्तिधाम का वेटिंग रूम नशेबाजों का धाम बन गया है.

गोपालगंज से अटल बिहारी पांडेय की रिपोर्ट

आज तक नहीं हुआ एक भी शव का दाह संस्कार
वर्षों पूर्व इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ विद्युत शव दाह गृह बनाए जाने की योजना की गई थी. लेकिन यह योजना अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी. इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे ने किया था. लेकिन उद्घाटन के बाद से ही मुक्तिधाम पर प्रशासनिक उपेक्षा की मार पड़ गई. निर्माण के बाद से ही इसकी उपेक्षा करने का नतीजा यह रहा कि आज तक यहां एक भी शव का दाह संस्कार नहीं हो सका.

स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार और अन्य
समाजसेवी विमल कुमार और अन्य

अटल बिहारी वाजपेयी की मुक्तिधाम योजना की देन
स्थानीय समाजसेवी विमल कुमार ने वर्ष 2009 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी. वहीं, समाजसेवी विमल कुमार के माने तो उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मुक्तिधाम योजना का शुरूआत की गई थी. जिसे देख गोपालगंज जिले में भी एक मुक्तिधाम बनाने के लिए सरकार से मांग की गई थी. इस पर सरकार ने अमल करते हुए गोपालगंज को एक मुक्तिधाम बनाने की योजना तैयार कर कार्य को शुरुआत की.

उग आईं झांड़ियां
उग आई झांड़ी

अब यहां बनेगा शव दाह गृह
इस कार्य की योजना में कुल 42 लाख रुपए खर्च हुए और मुक्तिधाम बनकर तैयार हो गया. इसका उद्घाटन वर्ष 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था. उन्होंने बताया कि नगर परिषद, प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण इसका पूर्ण विकास नहीं हो सका. इस संदर्भ में जब नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि शहर की जनसंख्या को देखते हुए मुक्तिधाम अपर्याप्त है. नगर परिषद ने सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें ढाई करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल शव दाह गृह बनेगा. साथ ही जंगलिया वार्ड नंबर 15 में 16 लाख की लागत से 4 सीट का मैनुअल शव दाह गृह बनेगा, जिसका डीपीआर तैयार हो चुका है. उन्होंने कहा कि चिराई घर के पास इलेक्ट्रिक शव दाह गृह इस वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा.

Last Updated : Mar 4, 2020, 9:56 PM IST
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